इस गांव में 80 फीसदी रहते हैं घर जमाई दामादों का पुरा नाम से है मशहूर

मिर्जापुर जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर खुटहां गांव स्थित हैं. गांव में पहाड़ के पास घनी बस्ती है. पहले यहां पर कोई नहीं रहता था. करीब तीन दशक पहले ग्राम प्रधान की ओर से पहल करके एक दामाद को रहने के लिए जगह दी गई.

इस गांव में 80 फीसदी रहते हैं घर जमाई दामादों का पुरा नाम से है मशहूर
मुकेश पांडेय/मिर्जापुर : अभी तक आपने कई गांवों के बारे में सुना होगा. जिनमें कुछ वीरता को लेकर तो कुछ अजीबो गरीब नामों की वजह से सुर्खियों में रहते हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के खुटहा गांव में एक कस्बा है, जो दामादों के गांव नाम से मशहूर है. इस कस्बे में रहने वाले 80 प्रतिशत लोग दामाद हैं. जिसको दामाद का पुरा नाम से जाना जाता है. आज भी यहां आकर दामाद बसते हैं. करीब तीन दशक पहले यहां दामादों के बसने का सिलसिला शुरु हुआ था. पहले एक और दो दामाद आकर यहां पर घर बनाकर रहने लगे. वर्तमान में 80 प्रतिशत दामाद मिर्जापुर, वाराणसी, चंदौली व आस-पास के जनपदों से आकर यहीं पर रहते हैं. पूरे क्षेत्र में इस कस्बे को दामाद का पुरा नाम से जाना जाता है. मिर्जापुर जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर खुटहां गांव स्थित हैं. गांव में पहाड़ के पास घनी बस्ती है. पहले यहां पर कोई नहीं रहता था. करीब तीन दशक पहले ग्राम प्रधान की ओर से पहल करके एक दामाद को रहने के लिए जगह दी गई. एक से शुरु हुआ सिलसिला लगभग 35 पहुंच गया है. इस कस्बे में करीब 80 प्रतिशत दामाद आकर बस गए हैं. पूरा कस्बा दामादों का होने की वजह से इसका नाम भी दामाद का पुरा पड़ गया. गांव के नाम से कम इस नाम से लोग ज्यादा जानते हैं. 35 से 40 घर में  हैं दामाद रामआधार मौर्य ने बताया कि इस कस्बे में पूरे दामाद आकर बसे हुए हैं. करीब 35 से 40 दामाद आकर बसे हुए हैं. आस-पास के क्षेत्र के साथ ही अन्य जगहों से दामाद आकर घर बनाकर रह रहे हैं. यहां करीब 100 घर हैं, जिसमें 80 प्रतिशत दामाद व उनके परिवार के लोग हैं. ग्रामीणों ने बताया कि कुछ वर्ष पहले ग्राम प्रधान की ओर से पहल करके एक दामाद को बसाया गया, जिसके बाद दामाद आकर बसने लगे. अब करीब 40 घर हैं. इन्हीं वजहों से इसका नाम दामाद का पुरा पड़ गया. तीन दशक पहले आए दामाद गांव की रहने वाली निशा ने बताया कि इस कस्बे का नाम दामाद का पुरा है. यहां पर काफी दामाद बसे हुए हैं. यहां पर 30 से 35 साल पहले से दामादों का बसने का सिलसिला शुरु हुआ. अब काफी संख्या में दामाद यहां रह रहे हैं. रेहाना बेगम ने बताया कि दामादों के रहने की वजह से इस गांव को दामाद का पूरा कहा जाता है. तीन दशक पहले यहां पर कुछ लोग आकर बसे थे. जिसके बाद कई दामाद आकर घर बनाकर यहीं रहने लगे. Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : July 17, 2024, 08:47 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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