इस मंदिर में भगवान हो जाते हैं बीमार ठीक करने के लिए पिलाया जाता है काढ़ा

जगन्नाथ मंदिर के महंत राघवाचार्य ने बताया कि 7 दिनों तक भगवान की पूजा आराधना की जाती है. भोग लगाया जाता है और विभिन्न प्रकार के औषधि युक्त जिसमें कस्तूरी, केसर, दालचीनी, जटामांसी, शिवलिंगी आदि मिश्रित करके काढ़ा बनाया जाता है

इस मंदिर में भगवान हो जाते हैं बीमार ठीक करने के लिए पिलाया जाता है काढ़ा
अयोध्या: प्रभु राम की नगरी अयोध्या मंदिर और मूर्तियों की वजह से पूरे विश्व में विख्यात है. अयोध्या में लगभग 8000 मठ मंदिर हैं और हर मठ मंदिर की अपनी अलग परंपरा अलग मान्यता है. अयोध्या के एक ऐसे मंदिर के बारे में आज हम आपको बताएंगे. जिसे जानकर आपको भी हैरानी होगी. दरअसल सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि देवता भी बीमार होते हैं और भगवान के बीमार होने पर पुजारी अयोध्या के इस मंदिर में औषधि युक्त काढ़ा उन्हें पिलाते हैं. हम बात कर रहे हैं अयोध्या के जगन्नाथ मंदिर की. जहां भक्तों के लिए 7 दिनों तक दर्शन भी बंद कर दिया गया. तो वहीं भगवान के इलाज के लिए 7 दिनों तक पुजारी कड़ी मशक्कत भी करते हैं. तो चलिए इस रिपोर्ट में जानते हैं कि आखिर भगवान क्यों बीमार हो जाते हैं और उन्हें क्यों काढ़ा पिलाया जाता है. परंपरा के मुताबिक आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में प्राचीन मठ मंदिरों में विशेष पूजन अर्चन किया जाता है. दूर-दराज से श्रद्धालु भी मठ मंदिर पहुंचते हैं. लेकिन प्रभु राम की नगरी अयोध्या में एक ऐसा मंदिर है, जहां एक हफ्ते के लिए श्रद्धालु भगवान का दर्शन नहीं कर पाते हैं. इसकी भी अपनी अनोखी परंपरा है. राम मंदिर से मात्र 100 मीटर दूरी पर स्थित जगन्नाथ मंदिर है. जहां धार्मिक मान्यता है कि जेठ पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ चंदन लगाकर स्नान करने के लिए जाते हैं. अधिक स्नान करने की वजह से उनके सिर में दर्द होता है और जब वह लौट कर जब आते हैं, तो उनकी पत्नी वहां विराजमान नहीं होती है. जिसकी वजह से भगवान गुस्सा हो जाते हैं और अस्वस्थ हो जाते हैं. अस्वस्थ होने की वजह से भगवान का श्रृंगार नहीं किया जाता. जिसकी वजह से पूर्णिमां से लेकर प्रतिपदा तक भगवान का पट भक्तों के लिए बंद रहता है. जगन्नाथ मंदिर के महंत राघवाचार्य ने बताया कि 7 दिनों तक भगवान की पूजा आराधना की जाती है. भोग लगाया जाता है और विभिन्न प्रकार के औषधि युक्त जिसमें कस्तूरी, केसर, दालचीनी, जटामांसी, शिवलिंगी आदि मिश्रित करके काढ़ा बनाया जाता है. मंदिर के अंदर पुजारी भगवान का श्रृंगार करते हैं. उसके बाद भगवान को यह काढ़ा पिलाया जाता है. ताकि भगवान जल्द स्वस्थ हो जाएं. 7 दिनों तक मंदिर प्रांगण के बाहर भजन होता है. अनुष्ठान किया जाता है. उसके 7 दिनों के बाद भगवान को नगर भ्रमण कराया जाता है. जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं. यह परंपरा कई वर्ष पुरानी परंपरा है, जिसका निर्वहन आज भी अयोध्या में किया जाता है . Tags: Hindi news, Jagannath mandir, Local18, Religion 18FIRST PUBLISHED : July 1, 2024, 14:41 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.
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