मेरठ के इस पार्क में लगी वर्टिकल विंड मिल बिजली संकट से दिलाएगी राहत

क्लब-60 के सदस्य हरि बिश्नोई ने लोकल 18 से खास बातचीत करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश की अगर बात की जाए, तो यह पहला ऐसा पार्क है जहां पर वर्टिकल विंड मिल का उपयोग करते हुए अब पवन ऊर्जा के माध्यम से पार्क रोशन हो रहा है. पार्क में जो विंड मिल लगाई गई है, यह आधुनिक हाई टेक्नोलॉजी का एक बेहतर उदाहरण है.

मेरठ के इस पार्क में लगी वर्टिकल विंड मिल बिजली संकट से दिलाएगी राहत
मेरठ. प्रकृति द्वारा हमें विभिन्न प्रकार के ऐसे स्रोत प्रदान किए गए हैं, जिनका सदुपयोग करते हुए अगर हम आगे बढ़ें तो हम कई तरह से बेहतर कार्य कर सकते हैं. इसकी एक बानगी मेरठ के शास्त्री नगर के टैगोर पार्क में देखने को मिल रही है. यहां समय-समय पर पर्यावरण संरक्षण को लेकर विभिन्न प्रकार के कार्य किए जाते हैं. इसी कड़ी में ऊर्जा संरक्षण के लिए भी यहां पर पवन ऊर्जा का बेहतर उपयोग किया गया है. दरअसल जितनी तेज हवाएं चलेंगी, उतनी ही यहां पर ऊर्जा एकत्रित होती जाएगी, जिसके माध्यम से पार्क रोशन होगा. जी हां, इस पार्क में वर्टिकल विंड मिल लगाई गई है, जो हवाओं के माध्यम से ऊर्जा को संचरित करती है. क्लब-60 के सदस्य हरि बिश्नोई ने लोकल 18 से खास बातचीत करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश की अगर बात की जाए, तो यह पहला ऐसा पार्क है जहां पर वर्टिकल विंड मिल का उपयोग करते हुए अब पवन ऊर्जा के माध्यम से पार्क रोशन हो रहा है. पार्क में जो विंड मिल लगाई गई है, यह आधुनिक हाई टेक्नोलॉजी का एक बेहतर उदाहरण है. इसके माध्यम से ऊर्जा संरक्षण का बेहतर उपयोग हो रहा है. उन्होंने इसके लिए मेरठ जिलाधिकारी दीपक मीणा का आभार जताया, जिनके माध्यम से यह वर्टिकल विंड मिल मेरठ के इस पार्क में लग पाई है. ऊर्जा संरक्षण का संदेश देना मकसद हरि बिश्नोई कहते हैं कि क्लब के सभी सदस्यों का मुख्य उद्देश्य यही है कि जिस तरीके से मेरठ में ऊर्जा के कनेक्शन बढ़ने लगे हैं, ऐसे में सभी लोग प्रकृति द्वारा प्रदान किए गए विभिन्न स्रोतों का उपयोग करते हुए बिजली पर निर्भर न रहे बल्कि सौर ऊर्जा व पवन ऊर्जा का उपयोग करते हुए भी आगे बढ़ें. उन्होंने कहा कि जब से इस पार्क में यह वर्टिकल विंड मिल लगाई गई है, तब से वह काफी ऊर्जा को संचरित कर पा रहे हैं क्योंकि यह टू इन वन है. एक तरफ जहां यह तेज हवाओं से बिजली का संरक्षण कर पाएगी, वहीं इसमें सौर ऊर्जा से संबंधित डिवाइस भी लगाई गई है, जिसमें पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा दोनों ही इसके लिए काफी फायदेमंद है. इतनी बिजली का हो सकता है उत्पादन हरि बिश्नोई के अनुसार, इस टेक्नोलॉजी का उपयोग भारतीय सेवा ने लेह लद्दाख, रुड़की, देहरादून में और एयरपोर्ट अथॉरिटी ने मुंबई में किया है. इस प्रणाली के माध्यम से 500 वॉट से 5 किलोवॉट तक ऊर्जा जनरेट की जा सकती है. इसमें कुल लागत डेढ़ लाख रुपये से अधिक रही है. जितनी तेज हवाएं या धूप रहेगी, उतनी ही इसमें बिजली जनरेट होगी. Tags: Local18, Meerut news, UP newsFIRST PUBLISHED : June 27, 2024, 14:01 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed