दो कन्याओं के बलिदान से जुड़ी है कहानी सिकंदर लोदी को पड़ी थी मुंह की खानी
दो कन्याओं के बलिदान से जुड़ी है कहानी सिकंदर लोदी को पड़ी थी मुंह की खानी
Ballia News: बलिया के सिकंदरपुर नगर पंचायत में पौराणिक धार्मिक और पर्यटन स्थल का एक बड़ा केंद्र है. यहां सिकंदर लोदी द्वारा दो कन्याओं की बलि देने के बाद भी किला पूरा नहीं बन पाया. आज उस जगह पर कन्याओं को देवियों के रूप में पूजा जाता है.
सनन्दन उपाध्याय/बलिया: एक ऐसा प्रसिद्ध स्थान जो न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि पौराणिक धार्मिक और पर्यटन स्थल के साथ आस्था का भी बड़ा केंद्र है. जहां 2 कन्याओं के बलिदान से जुड़ी इसकी कहानी बड़ी रोचक है. पाखंड के रास्ते को अख्तियार करने वाले सिकंदर लोदी का सपना कैसे टूट कर बिखर जाता है. इसका जीवंत उदाहरण सिकंदरपुर का ये प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है.
आज भी सिकंदर लोदी का सपना पूरी तरह से अधूरा है, इसका इतिहास बलिया विरासत के ऐतिहासिक पन्नों में दर्ज है. आइए जानते हैं इसके इतिहास को लेकर क्या कहते हैं प्रख्यात इतिहासकार शिवकुमार सिंह कौशिकेय.
बलिया के प्रख्यात इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने लोकल 18 को बताया कि जल्पा-कल्पा बलिया जिले के सिकंदरपुर नगर पंचायत के अंदर किला कोहना मोहल्ला नाम इसलिए पड़ा कि 1493 ईस्वी में जब सिकंदर लोदी बलिया आया तो सिकंदरपुर से पश्चिम कठौड़ा जो पुराना नाव पतन था. वहां डेरा डाला और इसी इलाके में सिकंदर लोदी ने एक किला बनवाना शुरू कर दिया.
बता दें कि यह कहानी 531 साल पुरानी है, जब किला बनाते समय दीवार दिन भर में तैयार होती थी और शाम को जनता गिरा देती थी. सिकंदर को लगता था कि कोई अदृश्य शक्ति, प्रेतात्मा या शैतान गिरा रहे हैं. इसका कोई समाधान नहीं निकल पा रहा था.
सिकंदर को दिया गया बलि का सलाह
बलिया में किला बनवाते समय सिकंदर पूरी तरह से हार चुका था. इसके बाद उसने अपने नजूमियो यानी ज्योतिषियों से सलाह ली तो नजूमियों ने सिकंदर को बताया कि इस किले को बनाने के लिए दो कन्याओं (एक ब्राह्मण और एक अनुसूचित जाति) की बलि देनी पड़ेगी. किले के पूर्वी छोर पर अनुसूची जाति की कन्या कल्पा और पश्चिमी छोर पर ब्राह्मण जाति की कन्या जल्पा की बलि दी गई.
सिकंदर का सपना नहीं हुआ पूरा
इन दो कन्याओं की बलि देने के बाद भी सिकंदर लोदी का सपना पूरा नहीं हुआ और उसका वह किला जिसके लिए उसने इन दो कन्याओं को बलि दी थी, बनकर तैयार नहीं हो पाया, आज भी वह किला अधूरा पड़ा हुआ है.
बलि दी गई कन्याएं बन गई देवियां
बलि दी गई कन्याएं आज देवियों के रूप में पूजित है. लाखों भक्त प्रतिवर्ष यहां पूजन करने के लिए आते हैं और महीने भर का मेला लगता है. वर्तमान में मेला लगा हुआ है. जहां दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं की मुरादे पूरी होती हैं. मान्यता है कि यहां से कोई खाली हाथ नहीं जाता हर किसी की झोली ये दो कन्याएं भर देती हैं. यह एक ऐतिहासिक पौराणिक और पर्यटन स्थल भी है. जिसका वर्णन बलिया विरासत पुस्तक में भी किया गया है.
Tags: Ballia news, Local18FIRST PUBLISHED : June 25, 2024, 17:39 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed