विनेश फोगाट की तरह बनना चाहते हैं पहलवान ऐसे बना सकते हैं कुश्ती में करियर

कुश्ती कोच डॉ. जबर सिंह सोम ने बताया कि कुश्ती में करियर बनाने और ओलंपिक तक पहुंचने के लिए कई महत्वपूर्ण चरणों और खिताबों को पार करना आवश्यक है. कुश्ती में करियर की शुरुआत आमतौर पर 8-10 साल की उम्र में होती है. प्रारंभिक प्रशिक्षण के लिए एक अच्छे कोच और कुश्ती अकादमी का चयन करना महत्वपूर्ण है.

विनेश फोगाट की तरह बनना चाहते हैं पहलवान ऐसे बना सकते हैं कुश्ती में करियर
मेरठ. पेरिस ओलंपिक में भारतीय महिला रेसलर विनेश फोगट के साथ हुई घटना के बाद इनका नाम हर किसी के जुबान पर है. भारत के खेल प्रेमियों से लेकर आम लोग इनसे गोल्ड मेडल का आस लगाए बैठे थे. लेकिन, महज 100 ग्राम वजन ज्यादा होने की वजह से विनेश फोगट अपना फाइनल मुकबला नहीं खेल सकीं. भले ही वह मेडल न जीत पाई हों, लेकिन करोड़ों युवाओं के मन में कुश्ती खेल में भी गोल्ड मेडल की आस भविष्य के लिए जगा दी है. ऐसे में जो युवा कुश्ती में अपना भविष्य बनाना चाहते हैं, उनके लिए कुश्ती कोच डॉ. जबर सिंह सोम ने शुरुआत से लेकर अंतिम चरण तक की जानकारी प्रदान की. कैसे करें कुश्ती की शुरूआत चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय परिसर में संचालित रुस्तम ए जमा दारा सिंह कुश्ती स्टेडियम की कुश्ती कोच डॉ. जबर सिंह सोम ने लोकल 18 को बताया कि कुश्ती एक प्राचीन और प्रतिष्ठित खेल है, जो ना केवल शारीरिक शक्ति बल्कि मानसिक दृढ़ता की भी मांग करता है. कुश्ती में करियर बनाने और ओलंपिक तक पहुंचने के लिए कई महत्वपूर्ण चरणों और खिताबों को पार करना आवश्यक है. कुश्ती में करियर की शुरुआत आमतौर पर 8-10 साल की उम्र में होती है. प्रारंभिक प्रशिक्षण के लिए एक अच्छे कोच और कुश्ती अकादमी का चयन करना महत्वपूर्ण है. भारत में विभिन्न कुश्ती अकादमियां और प्रशिक्षण केंद्र उपलब्ध हैं, जो बच्चों को बुनियादी तकनीक और फिटनेस पर ध्यान केंद्रित करके प्रशिक्षित करते हैं. ओलंपिक में जाने के लिए महत्वपूर्ण खिताब जीतना जरूरी कुश्ती कोच डॉ. जबर सिंह सोम ने बताया कि कुश्ती में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेना आवश्यक है. राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतना न केवल आपके करियर को आगे बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि आपको अधिक उन्नत प्रशिक्षण और समर्थन भी प्राप्त होता है. ओलंपिक तक पहुंचने के लिए विभिन्न महत्वपूर्ण खिताब जीतने की आवश्यकता होती है. इनमें प्रमुख राष्ट्रीय चैंपियनशिप, जैसे सीनियर नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं शामिल हैं. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान प्राप्त करने के लिए एशियाई खेल, विश्व कुश्ती चैंपियनशिप और कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे टूर्नामेंट में भाग लेना आवश्यक है कैसे होगा ओलंपिक में क्वालिफिकेशन डॉ. सोम ने बताया कि ओलंपिक में भाग लेने के लिए एथलीट को ओलंपिक क्वालिफाइंग टूर्नामेंट में शीर्ष स्थान प्राप्त करना होता है. इन टूर्नामेंट्स में उच्च प्रदर्शन करना और अपनी वेट कैटेगरी में शीर्ष स्थान प्राप्त करना अनिवार्य है. ओलंपिक क्वालिफाइंग टूर्नामेंट्स में सफलता प्राप्त करने के बाद ही एथलीट को ओलंपिक में भाग लेने का मौका मिलता है. कुश्ती में प्रशिक्षण और समर्पण है बेहद जरूरी डॉ. सोम ने बताया कि कुश्ती में करियर बनाने के लिए निरंतर अभ्यास और समर्पण आवश्यक है. उच्च स्तर की फिटनेस, तकनीकी कौशल और मानसिक मजबूती पर लगातार काम करना पड़ता है. उचित पोषण, फिटनेस रूटीन और मानसिक तैयारी भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. उन्होंने बताया कि एक पहलवान को प्रतिदिन सुबह-शाम तीन-तीन घंटे की प्रैक्टिस करना अनिवार्य है, क्योंकि पहलवान जितना प्रैक्टिस करते हैं, उतना ही पहलवानी के क्षेत्र में उनमें निखार आता है और वह विभिन्न प्रतियोगिताओं में परचम लहराते हैं. समर्थन और संसाधन भी है जरूरी डॉ. सोम ने बताया कि कुश्ती में सफलता प्राप्त करने के लिए सरकार, खेल संघों और प्रायोजकों का समर्थन भी महत्वपूर्ण है. सही प्रशिक्षण सुविधाएं, चिकित्सा सहायता और वित्तीय समर्थन से एथलीट अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच सकते हैं. उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए स्टेट, नेशनल और इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करते हुए मेडल लाता है. उसके अनुसार सरकार एवं अन्य संस्थाओं के माध्यम से उन्हें कैश प्राइज प्रदान किया जाता है. जिससे वह अपनी प्रेक्टिस और अपनी डाइट का विशेष ध्यान रख सके. इस उम्र से शुरू हो जाता है कुश्ती प्रतियोगिता डॉ. सोम ने बताया कि भले ही आठ साल की उम्र से ही पहलवानी के गुर सिखाए जाते हों, लेकिन सबसे पहले जो प्रतियोगिता खेला जाता है वह अंडर 15 का होता है. उसके बाद निरंतर प्रतियोगिताओं का दौर शुरू हो जाता है. उन्होंने बताया कि कुश्ती में करियर बनाने और ओलंपिक तक पहुंचने की यात्रा कठिन है, लेकिन सम्मोहक है. सही मार्गदर्शन, कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से आप इस लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं. वजन घटाने के लिए एक्सरसाइज है विकल्प डॉ. सोम ने बताया कि पहलवान के लिए जितनी जरूरी डाइट है, उतना ही उसके लिए वजन नियंत्रण करना भी आवश्यक होता है. वजन नियंत्रित करने के लिए खिलाड़ी जितनी ज्यादा एक्सरसाइज करता है, उतना ही उसके वजन में गिरावट देखने को मिलती है. इसलिए खिलाड़ी को‌ विभिन्न तरह का एक्सरसाइज कराया जाता है. इसमें ग्राउंड के चक्कर लगाना, रस्सी पर चढ़ना, विभिन्न प्रकार के योगासन सहित प्रतिदिन घंटे की प्रैक्टिस शामिल है. बताते चलें कि वर्ष 1983 से लेकर अब तक डॉ. जबर सिंह सोम चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय परिसर में संचालित रुस्तम ए जमा दारा कुश्ती स्टेडियम में बेटे-बेटियों को कुश्ती के गुर सिखाते हुए आ रहे हैं. उनके सिखाए हुए काफी पहलवान राष्ट्रीय  और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन कर चुके हैं. जिसमें अर्जुन अवार्डी अलका तोमर से लेकर विभिन्न खिलाड़ियों के नाम शामिल है. Tags: Local18, Meerut news, Sports news, Uttarpradesh news, Wrestling Federation of IndiaFIRST PUBLISHED : August 12, 2024, 16:02 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed