रक्षाबंधन पर बहन ने भाई से मांगी थी संपत्ति अब गांव में कोई नहीं मनाता पर्व

Raksha Bandhan 2024: प्राण जाए पर वचन न जाए, इस कहावत को आज भी काफी ऐसे लोग हैं, जो वास्तव में पूरा करते हुए दिखाई देते हैं. कुछ इसी तरह संभल जिले के बेनीपुर गांव के यादव परिवारों में भी देखने को मिलता है. जहां रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जाता है.

रक्षाबंधन पर बहन ने भाई से मांगी थी संपत्ति अब गांव में कोई नहीं मनाता पर्व
मेरठ: रक्षाबंधन के पावन पर्व को देखते हुए देश भर के बाजारों में जमकर खरीदारी की जा रही है. इस पवित्र पर्व के दिन हर बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक ऐसा भी गांव है. जहां पिछले कई सालों से रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जाता है. जिसकी वजह जानकर आप हैरान हो जाएंगे. जी हां! दरअसल, संभल जिले के बेनीपुर चक गांव में लोग इसलिए रक्षाबंधन नहीं मनाते हैं, कहीं उपहार स्वरूप बहन कुछ ऐसा ना मांग ले, जिसको वह कभी पूरा ही ना कर पाएं. इसलिए गांव के लोग रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाते हैं. वचन निभाने के लिए छोड़ना पड़ा था गांव बेनीपुर गांव के राजवीर बताते हैं कि गांव में रक्षाबंधन ना मनाने का इतिहास काफी साल पुराना है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी अब भी निभाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि वह मूल रूप से अलीगढ़ अतरौली तहसील के सेमराई गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि काफी साल पहले की बात है कि अतरौली गांव में ठाकुरों परिवार के कोई लड़का नहीं था. सिर्फ लड़कियां ही थी. ऐसे में ठाकुर परिवार की लड़कियां यादव परिवार अर्थात उनके परिवार के बच्चों के राखी बांधने लगी थी, लेकिन एक बार ठाकुर परिवार की लड़की ने मजाक मजाक से राखी बांधने के बाद उपहार में उनके पूर्वजों से गांव की सम्पत्ति मांग ली थी. बहन की मांग पूरी करने के लिए छोड़ दिया था गांव इसके बाद उन्होंने अपनी बहन की मांग को पूरा करते हुए गांव छोड़ने का मन बना लिया था. इसके बाद ठाकुर परिवार और बहन ने भी भाई को समझाया. वह मजाक कर रही हैं, लेकिन उसके बावजूद उन्होंने जो वचन दिया था. उसे निभाते हुए गांव छोड़कर यहां संभल आकर बस गए थे. इस गोत्र के लोग नहीं मनाते रक्षाबंधन राजीव बताते हैं कि उनके परिवार का जो गोत्र है. वह बकिया यादव परिवार से ही है. ऐसे में इस गोत्र से ताल्लुक रखने वाले जो भी परिवार देश के किसी भी हिस्से में रहते हैं. वह रक्षाबंधन नहीं मनाते हैं. क्योंकि सैकड़ों वर्षों से जो परंपरा चलती आ रही है. अब युवा पीढ़ी भी उस परंपरा को निभाते हुए नजर आ रही है. क्योंकि सभी को डर रहता है. अगर वह इस परंपरा से अलग जाएंगे. तो कहीं कोई अनहोनी ना हो जाए. बता दें कि कि यह दायरा सिर्फ गांव तक की सीमित नहीं है. बल्कि इस गांव में जिन लड़कियों की भी शादी होती है. वह भी अपने शहर गांव जाकर रक्षाबंधन के पर्व पर भाइयों के राखी नहीं बांध पाती हैं. Tags: Local18, Meerut news, Raksha bandhanFIRST PUBLISHED : August 18, 2024, 14:03 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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