100 साल पुराने 9 वृक्षों को संजोने की अनोखी मुहिम यहां बन रही विरासत वाटिका

उत्तर प्रदेश शासन के दिशा निर्देश अनुसार वन विभाग द्वारा विरासत के वृक्ष को संजोया जा रहा है. इसी कड़ी में मेरठ के पांडवान क्षेत्र में भी विरासत वाटिका बनाई जा रही है. जिसमें क्रांति और धार्मिक महत्व रखने वाले 100 साल से अधिक आयु के पेड़ों की पौध बनकर उनको यहां दर्शाया जाएगा. जिससे कि युवा ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व उन पेड़ों का जान सके.

100 साल पुराने 9 वृक्षों को संजोने की अनोखी मुहिम यहां बन रही विरासत वाटिका
विशाल भटनागर/मेरठ: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ से 45 किलोमीटर दूर हस्तिनापुर आज भी हजारों वर्ष के इतिहास को संजोए हुए है, जो महाभारत कालीन यादों को ताजा करते हुए दिखाई देता है. इस कड़ी में उत्तर प्रदेश शासन के दिशा निर्देश अनुसार हस्तिनापुर के पांडवान क्षेत्र में विरासत वाटिका बनाने का कार्य शुरू हो गया है. जिसके तहत 100 साल पुराने सभी पेड़ों के कण से पौधे बनाते हुए उनके इतिहास को संजोया जाएगा. प्रदेश में मिले 948 विरासत वृक्ष डीएफओ राजेश कुमार ने लोकल-18 से खास बातचीत करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश शासन के दिशा निर्देश अनुसार विभाग द्वारा 100 वर्ष से अधिक आयु के विरासत वर्षों की खोज की थी. उन्होंने बताया कि इसकी सुखद परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं. प्रदेश की बात की जाए तो कुल 948 विरासत वृक्षों का प्रथम चरण में चयन किया गया है. वहीं, अगर मेरठ जनपद की बात की जाए तो ऐसे 9 विरासत वृक्ष हैं. जिनकी आयु 100 वर्ष से अधिक है जो क्रांति आध्यात्मिक महत्व रखते हैं. यह पेड़ बताएंगे धार्मिक और क्रांति का महत्व मेरठ जनपद में जिन 9 पेड़ों के कण को विरासत के रूप में संजोने के लिए बीज एवं अन्य माध्यम से पौधे तैयार किए जा रहे हैं.  उनमें पांडेश्वर मंदिर, किला परीक्षितगढ़ श्री श्रृंगी ऋषि आश्रम, गांधारी तालाब, सरधना, सहित मेरठ कॉलेज का बरगद का पेड़ शामिल है. इन पेड़ों का वर्णन किया जाए तो जहां हस्तिनापुर से संबंधित पांडवान क्षेत्र के पेड़ हैं. वह महाभारत कालीन इतिहास को दर्शाते हैं. वह किला परीक्षितगढ़ श्री श्रृंगी ऋषि आश्रम में जो पेड़ हैं. उसे कलयुग का गवाह माना जाता है. भगवान श्री कृष्ण ने यहां बजाई थी बांसुरी इसी के साथ-साथ गांधारी तालाब के पास जो पेड़ है. उसके बारे में कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने यहां पर कभी बांसुरी बजाई थी. इसी तरह मेरठ कॉलेज के पेड़ का वर्णन मिलता है कि आजादी के लिए यहां पर लगातार यज्ञ शाला की गई थी जो कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पक्ष में थी. अभी खोजे जाएंगे विरासत वृक्ष बता दें कि विरासत वाटिका के लिए मेरठ नहीं, बल्कि मेरठ मंडल के अंतर्गत आने वाले जनपदों के विरासत वृक्ष के बीज एवं अन्य माध्यम से पौधे मेरठ के हस्तिनापुर में ही तैयार की जा रही है. अभी यह प्रथम चरण है. द्वितीय चरण के लिए भी ऐसे काफी ऐसे पेड़ हैं, जिनको चयनित किया जाएगा, जो अध्यात्म एवं क्रांति सहित अन्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं. विभाग द्वारा इसे टूरिस्ट प्लैस के तौर पर डेवलप किया जाएगा. जिससे कि जो भी लोग हस्तिनापुर घूमने जाएं, वह सभी विरासत वाटिका में घूम कर पेड़ों के धार्मिक और क्रांति महत्व को भी जान सकें. इसमें पूरा विवरण पेड़ों के साथ दर्शाया जाएगा. Tags: Local18, Meerut city news, Meerut Latest News, Meerut news, Meerut news todayFIRST PUBLISHED : July 5, 2024, 11:30 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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