मुड़िया मेले के दिन क्यों की जाती है गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा जानिए मान्यता
मुड़िया मेले के दिन क्यों की जाती है गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा जानिए मान्यता
गोवर्धन की परिक्रमा अपने आप में ही एक अलग महत्व रखती है. उतना ही महत्व रखता है यहां का मुड़िया पूर्णिमा मेला. इस मेले को करोड़ी मेले के नाम से भी जाना जाता है. मुड़िया मेले में करोड़ों श्रद्धालु अपनी आस्था लेकर यहां की परिक्रमा करते हैं.
निर्मल कुमार राजपूत /मथुरा : गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा द्वापर काल से शुरू हुई. सैकड़ों साल पहले गोवर्धन पर्वत में मुड़िया मेला शुरू हुआ. इस मेले में गोवर्धन की परिक्रमा लगायी जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस मेले के दौरान जो भक्त परिक्रमा लगता है, उसे श्री कृष्ण बैकुंठ बुला लेते हैं.
पर्वत उठाने के बाद गोवर्धन परिक्रमा को बृजवासियों ने किया था शुरू
गोवर्धन की परिक्रमा अपने आप में ही एक अलग महत्व रखती है. उतना ही महत्व रखता है यहां का मुड़िया पूर्णिमा मेला. इस मेले को करोड़ी मेले के नाम से भी जाना जाता है. मुड़िया मेले में करोड़ों श्रद्धालु अपनी आस्था लेकर यहां की परिक्रमा करते हैं. गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा इस मेले में क्यों लगाई जाती है, वह हम आपको बता रहे हैं.
पंडित गौरांग शर्मा ने बताया कि गोवर्धन की परिक्रमा अपने आप में एक अलग ही मान्यता रखती है. द्वापर काल से ही यह परिक्रमा ब्रजवासियों के साथ-साथ देश-विदेश आने वाले श्रद्धालु लगाते हैं. गोवर्धन परिक्रमा लगाने के पीछे एक बड़ी मान्यता है. कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने जब इंद्र के मन को मर्दन के लिए इंद्र की पूजा को बंद कर दिया था. इंद्रदेव की पूजा बंद होने से इंद्रदेव क्रोधित हो गए और उन्होंने ब्रज में घनघोर बारिश कई महीनों तक की. उन्होंने यह भी बताया कि जब इंद्र का मानमर्दन हुआ श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत अपने हाथ की उंगली पर उठाया, तब से यह गोवर्धन परिक्रमा की मान्यता चली आ रही है. गोवर्धन की परिक्रमा लोग करते आ रहे हैं.
मुड़िया पूर्णिमा के दिन पर्वत की परिक्रमा लगाने से होती है बैकुंठ की प्राप्ति
भगवान श्री कृष्ण ने घनघोर बारिश से ब्रज वासियों को बचाया था और इंद्र का मान मर्दन किया. इंद्र ने भगवान श्री कृष्ण के सामने आकर उनसे क्षमा याचना की. तभी से इंद्र की पूजा न होकर भगवान श्री कृष्ण के इस पर्वत की पूजा होती चली आ रही है. मुड़िया पूर्णिमा के दिन परिक्रमा लगाने से एक विशेष फल मिलता है. सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं. मुड़िया संत रूप सनातन गोस्वामी 550 वर्ष पूर्व यहां आए थे. रूप सनातन गोस्वामी ने गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करना शुरू किया. रूप सनातन गोस्वामी को मोक्ष प्राप्त हुआ. मान्यता है कि जो भी मुड़िया पूर्णिमा की परिक्रमा लगता है, तो उसकी मनोकामना पूर्ण होने के साथ ही भगवान श्री कृष्ण के साथ बैकुंठ में चला जाता है.
Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : July 21, 2024, 10:09 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed