मथुरा के ज्ञान बावरी का है पौराणिक महत्व वराह पुराण में भी है चर्चा

श्री कृष्ण जन्म स्थान के प्रशासनिक अधिकारी विजय बहादुर ने बताया कि ज्ञान बावरी का अर्थ है कुआं और कुएं पर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की प्यास बुझती है. द्वापर कालीन इस स्थान पर भगवान श्री कृष्णा और युधिष्ठिर आकर युद्ध की मंत्रणा करते थे. जन्मभूमि से 200 मीटर दूर पोतरा कुंड के पश्चिम में ज्ञान बाबरी नामक यह स्थान स्थित है. इसका उल्लेख वराह पुराण में भी अंकित है.

मथुरा के ज्ञान बावरी का है पौराणिक महत्व वराह पुराण में भी है चर्चा
मथुरा. यूपी के मथुरा में भगवान श्री कृष्ण का जन्म द्वापर में हुआ था. यहां उनकी लीलाओं के कन-कन में  दर्शन मिल जाएगा. मथुरा में एक स्थान ऐसा है, जिसे ज्ञान-बावरी के नाम से उसे जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि श्री कृष्ण और धर्मराज युधिष्ठिर यहीं बैठकर अपने विचारों को एक-दूसरे से साझा करते थे. भगवान श्री कृष्ण और धर्मराज युधिष्ठिर युद्ध को लेकर चर्चा जिस स्थान पर करते थे, वह स्थान आज भी मौजूद है. द्वापर काल में श्रीकृष्ण और युधिष्ठिर यहां करते थे यहां मंथन श्री कृष्ण जन्म स्थान के प्रशासनिक अधिकारी विजय बहादुर ने ज्ञान-बाबरी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि द्वापर काल का यह स्थान आज भी यादों को अपने अंदर समेटे हुए हैं. उन्होंने बताया कि ज्ञान बावरी का अर्थ है कुआं और कुएं पर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की प्यास बुझती है. द्वापर कालीन इस स्थान पर भगवान श्री कृष्णा और युधिष्ठिर आकर युद्ध की मंत्रणा करते थे. जन्मभूमि से 200 मीटर दूर पोतरा कुंड के पश्चिम में ज्ञान बावरी नाम का यह स्थान स्थित है. ज्ञान बावरी का उल्लेख वराह पुराण में भी अंकित है. बराह पुराण में धर्मराज की ज्ञानवापी के नाम से अंकित है. बराह पुराण में यह भी उल्लेख है कि इस बावरी के जल से जो व्यक्ति स्नान कर लेता है, वह पुनर्जन्म के जंजाल से मुक्त हो जाता है. ज्ञानवापी में है राजा भरतरी की समाधि श्री कृष्ण जन्म स्थान के प्रशासनिक अधिकारी विजय बहादुर ने बताया कि पश्चिम बंगाल से चैतन्य महाप्रभु मथुरा आए तो उन्होंने भगवान केशव देव के सबसे पहले दर्शन किए. उन्होंने ज्ञान बाबरी में स्नान किया तो एक ज्ञान प्राप्त हुआ और भगवान के साधना में लीन हो गए. चैतन्य महाप्रभु ने जिन-जिन स्थानों की खोज की, वह आज भी मौजूद है और भगवान को समर्पित हैं. ज्ञानवापी के परिसर में राजा भरतरी की समाधि भी है. अनदेखी की चलते आज पौराणिक तीर्थ स्थलों को खोते जा रहे हैं. Tags: Local18, Lord krishna, Mathura news, UP newsFIRST PUBLISHED : September 5, 2024, 18:03 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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