एक लाख बच्चों को रोजाना खाना खिला रही है यह संस्था इमोशनल है शुरूआत की कहानी

अक्षय पात्र फाउंडेशन की शरूआत प्रभ़ुपाद ने 2004 में की थी. इस किचन की शुरुआत के पीछे भी भी दिलचस्प कहानी है. इसकी शुरूआत एक कुत्ते और बच्चे के झगड़ने के साथ हुई थी. आज यह संस्था मथुरा के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले एक लाख से अधिक बच्चों का भेट भरने का काम कर रही है. 400 से अधिक कर्मचारी ऑटोमेटिक मशीन के जरिए खाना तैयार करते हैं.

एक लाख बच्चों को रोजाना खाना खिला रही है यह संस्था इमोशनल है शुरूआत की कहानी
मथुरा. वृंदावन में एक ऐसा किचन संचालित होता है, जो प्रतिदिन एक लाख से अधिक बच्चों का खाना खिलाता है. इस किचन की शुरुआत के पीछे भी भी दिलचस्प कहानी है. बता दें कि इस किचन की शुरूआत एक कुत्ते और बच्चे के झगड़ने के साथ हुई. एक कुत्ते के चलते हजारों नहीं बल्कि लाखों बच्चों को भरपेट भोजन मिल रहा है. कुत्ते की सीख हमेशा उन बच्चों के लिए यादगार रहेगी जो बच्चे आज सरकारी स्कूल में पढ़ रहे हैं. कुत्ता भले ही इस दुनिया में नहीं है, लेकिन वह अपने आप को अमर करके गया है. जब-जब अक्षय पात्र संस्था की इस मेगा किचन का जिक्र होगा, तब-तब उस कुत्ते का इस कहानी में जिक्र होगा. यहां प्रतिदिन खाने का मेन्यू डिसाइड होता है और बच्चों को पौष्टिकता से भरा हुआ खाना परोसा जाता है. इस तरह अक्षय पात्र फाउंडेशन की हुई थी शुरूआत अक्षय पात्र फाउंडेशन के जन्मदाता प्रभुपाद ने इस किचन की शुरुआत की है और आज लाखों बच्चे इस किचन के माध्यम से अपना पेट भर रहे हैं. अक्षय पात्र फाउंडेशन के मेगा किचन के क्वालिटी विभाग में कार्यरत आशीष पाठक ने बताया कि इस किचन की शुरुआत प्रभुपाद जी की प्रेरणा के अनुसार हुई है. प्रभुपाद ने जब एक कुत्ते और एक बच्चे को खाने के पीछे झगड़ते हुए देखा, तो उनका मन भर आया और उन्होंने पहले अपने घर से बच्चों को खाना खिलाने की शुरुआत की. उन्हीं के इस प्रकल्प को हम लोग आगे बढ़ा रहे हैं और आज मथुरा के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले एक लाख से अधिक बच्चे प्रतिदिन खाना खाते हैं. उन्होंने बताया कि 2004 में इस किचन की शुरुआत हुई थी और आज 1 लाख से अधिक बच्चों को यह किचन प्रतिदिन भोजन परोसती है. हर दिन बच्चों को मिलता है अलग-अलग तरह का खाना आशीष आगे बताते हैं कि इस मेगा किचन का प्रतिदिन का मेन्यू सेट रहता है. हर दिन बच्चों को अलग-अलग तरह का खाना दिया जाता है. इस मेगा किचन में सारे लोग परिवार की तरह काम करते हैं. हर डिपार्टमेंट का अलग काम है. एक डिपार्टमेंट जो खाने की क्वालिटी को देखता है और दूसरा डिपार्टमेंट बच्चों की संख्या को लेकर यहां सूचित करता है. उन्होंने बताया कि प्रतिदिन बच्चों की संख्या के हिसाब से खाना बनता है. सभी काम ऑटोमेटिक तरीके से होता है. बड़ी-बड़ी मशीनें दाल, चावल, रोटी और सब्जी बनाने में अपना काम बड़ी ही कुशलता से करती है. सुबह 3 बजे से खाना बनाना शुरू करते हैं और स्कूल टाइम में हम लोग खाना पहुंचा देते हैं. 400 कर्मचारी मिलकर बच्चों के लिए बनाते हैं खाना आशीष ने बताया कि वृंदावन के अक्षय पात्र फाउंडेशन की इस मेगा किचन में लगभग 400 कर्मचारी प्रतिदिन बच्चों के लिए खाना बनाते हैं. क्वालिटी विभाग यहां गुणवत्ता को चेक करता है और उसके बाद यहां खाना पात्रों में भरकर स्कूलों के लिए रवाना कर दिया जाता है. लगभग 80 वाहन स्कूलों में खाना पहुंचाने का कार्य करते हैं. वृन्दावन का अक्षय पात्र में 2004 से लगातार स्कूली बच्चों को खाना परोसने का काम कर रही है. Tags: Akshay Patra, Local18, Mathura news, SCHOOL CHILDREN, Uttarpradesh newsFIRST PUBLISHED : August 5, 2024, 14:06 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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