कोलकाता. लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में पहुंचने के साथ ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और भारत सेवाश्रम संघ (बीएसएस) के बीच विवाद खड़ा हो गया है. इसकी वजह है तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की अध्यक्ष की वह बयान, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि कुछ भिक्षु या संत भाजपा के लिए काम कर रहे हैं. पिछले तीन दिनों में ममता बनर्जी ने बीएसएस के एक प्रमुख संत पर फिर से निशाना साधा और पिछले महीने रामनवमी जुलूस के दौरान मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में हुए दंगों के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया.
बनर्जी ने बाद में सोमवार को बांकुरा जिले के बिष्णुपुर निर्वाचन क्षेत्र में एक सार्वजनिक रैली में स्पष्ट किया, “मैं रामकृष्ण मिशन (आरकेएम) के खिलाफ नहीं हूं. मुझे किसी संस्था के ख़िलाफ़ क्यों होना चाहिए और अनादर क्यों दिखाना चाहिए? यहां तक कि जब महाराज (आरकेएम के पूर्व प्रमुख) बीमार थे तो मैंने उनसे मुलाकात भी की थी. मैंने सिर्फ एक या दो लोगों के बारे में बात की है. भारत सेवाश्रम संघ लोगों के लिए महान परोपकारी कार्य करता है और वे भी मुझसे प्यार करते हैं.”
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक उन्होंने आगे कहा, “मैंने केवल एक नाम का जिक्र किया और वह कार्तिक महाराज हैं. उन्होंने हमारे एजेंटों को मतदान केंद्रों में जाने की अनुमति नहीं दी. मुर्शिदाबाद में चुनाव से दो दिन पहले उन्होंने जिले में दंगा भड़का दिया. इसलिए मैंने उनका नाम लिया.” ममता के इस भाषण के बाद बीएसएस की बेलडांगा इकाई के प्रमुख स्वामी प्रदीप्तानंद, जिन्हें कार्तिक महाराज के नाम से भी जाना जाता है, ने तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो को कानूनी नोटिस भेजकर 48 घंटे के भीतर बिना शर्त माफी मांगने को कहा है.
हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक, प्रदीप्तानंद के वकील बिल्वादल भट्टाचार्य ने नोटिस में कहा, “…आपसे (ममता बनर्जी) आग्रह करता हूं कि आप तुरंत प्रेस को संबोधित करें और बिना शर्त माफी मांगें. नोटिस मिलने के 48 घंटों के भीतर अपने जहरीले और दुर्भावनापूर्ण बयान को वापस लें और मेरे मुवक्किल के खिलाफ इसी तरह के बयान देना बंद करें और मेरे मुवक्किल की छवि खराब करने से बचें.”
प्रदीप्तानंद ने मीडिया से कहा, “अपने कानूनी नोटिस में, मैंने कहा कि सीएम के झूठे आरोपों से संतों और भक्तों के बीच प्रतिक्रिया हुई है. (नोटिस में, मैंने उनसे कहा कि) उन्होंने जो आरोप लगाए हैं, उनके लिए सबूत मुहैया कराएं. अन्यथा, उन्हें बिना शर्त माफ़ी मांगनी चाहिए.” उन्होंने दावा किया कि बनर्जी की टिप्पणियां अत्यधिक अपमानजनक थीं और उन्होंने चार दिनों के भीतर जवाब देने की मांग की, अन्यथा वह कानूनी कार्रवाई करेंगे.
हालांकि, बीएसएस ने स्वामी प्रदीप्तानंद की टिप्पणी से खुद को अलग कर लिया है. ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के हवाले से बीएसएस हेडक्वॉर्टर के प्रधान सचिव स्वामी विश्वात्मानंद ने कहा, “आदेश गरीबों के लिए किए गए कार्यों के लिए बनर्जी का सम्मान करता है.” प्रदीप्तानंद के बयान उनकी व्यक्तिगत थे और बीएसएस उनका ‘समर्थन नहीं’ करता. उन्होंने कहा, “उनको ऐसा नहीं कहना चाहिए था. यह अफ़सोस की बात है. हमसे (बीएसएस मुख्यालय) से कोई अनुमति नहीं मांगी गई थी. हम इसकी जांच करेंगे.”
वास्तव में क्या हुआ?
अपने विरोध प्रदर्शन के दौरान, प्रदीप्तानंद ने कहा, “सभी दलों के मेरे साथ सौहार्दपूर्ण संबंध हैं. यहां तक कि टीएमसी नेता भी मुझसे मिलने आते रहे हैं. कांग्रेस और बीजेपी नेताओं ने भी ऐसा ही किया. बेलडांगा में लोगों का एक वर्ग मुझे अपना अभिभावक मानता है. इसमें कोई राजनीति नहीं है.” उन्होंने अपनी पार्टी के विधायक हुमायूं कबीर द्वारा दिए गए सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी बयान के खिलाफ नहीं बोलने के लिए ममता बनर्जी की आलोचना की. उन्होंने कहा, “मुझे अपने धर्म की रक्षा करने का अधिकार है.”
श्री रामकृष्ण की पत्नी सारदा देवी की जन्मस्थली हुगली के जयरामबाटी में शनिवार को एक रैली में ममता बनर्जी ने कार्तिक महाराज का जिक्र किया था और कहा था, ”मैं उन्हें साधु नहीं मानती क्योंकि वह सीधे तौर पर राजनीति में शामिल हैं और देश को बर्बाद कर रहे हैं. मैं भारत सेवाश्रम संघ का बहुत सम्मान करता था.”
बनर्जी ने रामकृष्ण मिशन (आरकेएम) के कुछ सदस्यों पर भाजपा के लिए काम करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने आगे कहा कि रामकृष्ण मिशन के सदस्यों को “निर्देश दिल्ली से” मिलते हैं. ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के हवाले से बनर्जी ने कहा, “रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ के कुछ भिक्षु दिल्ली में बीजेपी नेताओं के प्रभाव में काम कर रहे हैं.”
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को बनर्जी पर मुस्लिमों और घुसपैठियों की रक्षा के लिए इस्कॉन, आरकेएम और बीएसएस को ‘बुरा कहने’ और ‘धमकी देने’ का आरोप लगाया और उन्हें टीएमसी का वोट बैंक बताया. उन्होंने बांकुरा की एक रैली में कहा, “…मुख्यमंत्री वोट हासिल करने के लिए कट्टर मुस्लिम संगठनों के दबाव में हमारे महान संगठनों को बदनाम कर रही हैं. टीएमसी बंगाल की विरासत और संस्कृति का अपमान कर रही है. वे बार-बार राम मंदिर (अयोध्या में) के खिलाफ अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करते हैं. क्या आप टीएमसी की तुष्टिकरण की राजनीति का जवाब अपने वोटों से नहीं देंगे?”
Tags: Loksabha Election 2024, Loksabha Elections, Mamata banerjee, Narendra modiFIRST PUBLISHED : May 21, 2024, 16:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed