अब CM फेस पर चुनाव लड़ेगी BJP PM मोदी के नाम पर असेंबली चुनाव लड़ने से परहेज!
अब CM फेस पर चुनाव लड़ेगी BJP PM मोदी के नाम पर असेंबली चुनाव लड़ने से परहेज!
भाजपा विधानसभा चुनावों के लिए अब अपनी रणनीति बदलने पर विचार कर रही है. अव्वल तो अब नरेंद्र मोदी के नाम पर विधानसभा का चुनाव भाजपा नहीं लड़ेगी. दूसरा यह कि अपवाद छोड़ कर चुनाव से पहले ही पार्टी सीएम फेस की घोषणा करेगी.
BJP प्रयोगधर्मी पार्टी है. बीजेपी का पहला प्रयोग 2014 से 2024 के बीच दिखा. भाजपा ने बिना सीएम का चेहरा सामने रखे कई राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़े. नरेंद्र मोदी के नाम पर ही विधानसभा चुनावों में जीत भी मिलती रही. सीएम का चेहरा सामने आया तो लोग चौंकते रहे. हरियाणा में मनोहर खट्टर और झारखंड में रघुवर दास के सीएम बनने के बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था. छत्तीसगढ़ में भी भाजपा ने विष्णुदेव साय को सीएम बना कर चौंकाया था. इतना ही नहीं, जिन राज्यों में सीएम का चेहरा सामने रखा भी तो उन्हें सीएम नहीं बनाया. मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान इसके ज्वलंत उदाहरण हैं. महाराष्ट्र भी यही हो रहा है. एकनाथ शिंदे सीएम की रेस से बाहर हो गए हैं. देवेंद्र फणनवीस के नाम की भी खूब चर्चा है. पर, कोई नया चेहरा सामने आ जाए तो आश्चर्य नहीं.
महाराष्ट्र में सीएम के चेहरे बिना चुनाव
महाराष्ट्र में भाजपा ने सीएम का कोई चेहरा इस बार भी सामने नहीं रखा था. वैसे महायुति में भाजपा के सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरने के बाद देवेंद्र फणनवीस को लोग सीएम के रूप में देखना जरूर चाहते हैं. फणनवीस ने भी कभी दावा नहीं किया, लेकिन मन ही मन वे खुद को सीएम जरूर मान रहे होंगे. इसलिए कि पूर्व सीएम होने और प्रतिकूल परिस्थिति को पांच महीने में ही अनुकूल बनाने में उन्होंने अपनी रणनीति और मेहनत का लोहा मनवाया है. पर, उनके सीएम बनने की भी गारंटी नहीं दी जा सकती. इसलिए कि अभी भाजपा ने अपना नेता चुनने की औपचारिकता पूरी नहीं की है. एकनाथ शिंदे को भी एनडीए का भरोसेमंद और उपयोगी पार्टनर होने के नाते सीएम पद दोबारा मिल जाने की उम्मीद जरूर रही होगी. उनकी ही ब्रेन चाइल्ड है लाडकी बहना योजना है, जिसे महाराष्ट्र में महायुति की बड़ी जीत का कारक सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक सभी मान रहे हैं. अब तक की सूचनाओं से तो यह साफ हो चुका है कि शिंदे सीएम की रेस से बाहर हो गए हैं.
अब सीएम फेस पर चुनाव लड़ेगी भाजपा
भाजपा महसूस कर रही है कि बिना चेहरे का चुनाव लड़ना अब खतरे से खाली नहीं है. झारखंड विधानसभा का चुनाव इसका ज्वलंत उदाहरण है. नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़े गए 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को अकेले 37 सीटें मिली थीं. भाजपा ने रघुवर दास को सीएम की कुर्सी पर बिठा दिया. इतना ही नहीं, 2019 में अपना सीएम फेस उन्हें रिपीट कर दिया. इसका हश्र सामने है. भाजपा 25 सीटों पर लुढ़क गई है. वैसे विधानसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी का चेहरा अब कारगर साबित नहीं रहा. यह बंगाल में भी दिखा. भाजपा को अब इस बात का इल्म हो गया है.
झारखंड में हार की वजह CM फेस न होना
झारखंड की जनता को गैर आदिवासी और बाहरी चेहरा पसंद नहीं आया. पिछला हश्र देख कर भी भाजपा चूक गई . भाजपा ने इस बार कई बड़े आदिवासी नेता रहने के बावजूद किसी का नाम सामने नहीं रखा. हालांकि कामयाबी मिलने पर निश्चित ही उनमें से ही कोई सीएम बनता. भाजपा में बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा तो पहले से ही थे, बाद में चंपाई सोरेन को भी भाजपा ने जेएमएम से झटक लिया. यह भी तय था कि बहुमत मिलने पर भाजपा इनमें से ही किसी को सीएम बनाती. इस बार सीएम फेस घोषित न होना भी भाजपा की दुर्गति का एक कारण रहा है.
भाजपा अब सीएम का फेस सामने रखेगी
भाजपा अब फिर नया प्रयोग कर रही है. अब विधानसभा चुनावों में भाजपा सीएम का चेहरा सामने रखेगी. आने वाले समय में तीन राज्यों के चुनाव महत्वपूर्ण हैं. इनमें बिहार और दिल्ली में अगले ही साल 2025 में चुनाव होने हैं. 2026 में पश्चिम बंगाल में चुनाव है, जहां असम और त्रिपुरा की तरह ही भाजपा को कमल के कमाल की पूरी गुंजाइश दिखती है. बिहार में नीतीश कुमार लंबे समय से एनडीए के नेता बतौर सीएम बने हुए हैं.इसलिए एनडीए के सीएम फेस वही होंगे, इसमें कोई शक नहीं. बिहार अपवाद रहेगा. पर, भाजपा उनका विकल्प भी तैयार रखेगी. दिल्ली में भी सीएम का चेहरा सामने रख कर ही भाजपा चुनाव लड़ेगी. हालांकि चेहरे की घोषणा अभी तक नहीं हुई है.
बंगाल में छह महीने पहले सीएम फेस
जहां तक पश्चिम बंगाल का सवाल है तो इस बार भाजपा पिछली बार से अधिक मेहनत करेगी, इतना तय है. दो-चार सीटों तक वर्षों से सिमटी रही भाजपा पिछले चुनाव में 77 सीटों तक जा चुकी है. तब सीएम का फेस सामने नहीं था. हां, लोगों ने नरेंद्र मोदी के केंद्र में कामकाज को देख कर जरूर अनुमान लगाया था कि भाजपा बंगाल को वैसा ही सीएम देगी. इस बार भाजपा ने तय किया है कि 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सीएम का चेहरा 2025 में ही घोषित कर दिया जाएगा. कम से कम छह महीने पहले बंगाल के लोग यह जान जाएंगे कि भाजपा की सरकार बनने पर सीएम कौन होगा. भाजपा का यह प्रयोग बंगाल में कितना कारगर होगा, यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा, जब नतीजे आएंगे.
यूपी में योगी बने रहेंगे सीएम का चेहरा
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ लगातार दो टर्म से सीएम हैं. उनका कामकाज भी संतोषजनक है. इस बार लोकसभा चुनाव परिणामों को छोड़ दें तो योगी की छवि पर कोई बट्टा नहीं लगा है. उपचुनावों की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि योगी में स्पार्क बरकरार है. इसलिए 2027 में भी योगी ही भाजपा के सीएम फेस होंगे, इसमें कोई दो राय नहीं. भाजपा की कोशिश उन राज्यों में भी अपने एक नेता को सीएम के चेहरे के तौर पर उभारने की है, जहां एनडीए के घटक दल के नेता सीएम हैं. बिहार और महाराष्ट्र इसके ज्वलंत उदाहरण हैं. महाराष्ट्र में भाजपा ने महायुति के बैनर तले जरूर चुनाव लड़ा, लेकिन अघोषित तौर पर देवेंद्र फणनवीस को ही लोग संभावित सीएम के रूप में देख रहे थे. बड़ी पार्टी होकर बिहार में भाजपा ने नीतीश कुमार को सीएम बनने में मदद की. इसी नजीर ने भाजपा को वहां उलझा दिया है. पखवाड़े भर बाद महाराष्ट्र में सरकार बनने की संभावना दिख रही है तो इसके पीछे बिहार माडल ही है. भाजपा अब ऐसी गलती नहीं दोहराना चाहती.
Tags: BJP, Narendra modiFIRST PUBLISHED : December 3, 2024, 17:05 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed