शिंदे गायब तो कहीं CM लापता फडनवीस बने देवा भाऊ महायुती में ठनी

Maharashtra politics: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में ज्यों-ज्यों नजदीक आ रहे हैं महायुती गठबंधन में तालमेल बिठाना मुश्किल हो रहा है. सरकार की स्कीम पर गठबंधन की तीनों पार्टियां आपस में ही भिड़ गई हैं. सरकार की प्रमुख योजनाओं के प्रचार और क्रेडिट लेने पर महायुती में विवाद गहराता जा रहा है.

शिंदे गायब तो कहीं CM लापता फडनवीस बने देवा भाऊ महायुती में ठनी
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही सियासी गलियारों में हलचल पैदा हो गई है. हालांकि सबकी नजर महायुति गठबंधन पर है. इस गठबंधन में बीजेपी, एनसीपी और शिव सेना शामिल हैं. लेकिन इन दिनों गठबंधन में तालमेल बना पाना मुश्किल होता जा रहा है. सरकार की प्रमुख योजनाओं के प्रचार और क्रेडिट लेने पर विवाद गहराता जा रहा है. मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन योजना के विज्ञापनों से सीएम एकनाथ शिंदे की तस्वीर हटाने के फैसले ने महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर तनाव पैदा कर दिया है. दरअसल 28 जून को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने राज्य का वार्षिक बजट पेश किया, जिसका मुख्य आकर्षण मुख्यमंत्री माझी लड़की बहन योजना थी. 24 घंटे से भी कम समय बाद, मुंबई और ठाणे जिले में इस योजना के पोस्टर लगाए गए, जिनमें बीच में सीएम एकनाथ शिंदे की तस्वीर प्रमुखता से दिखाई गई. इनमें से किसी भी पोस्टर में, जिन्हें जल्दी से डिजाइन और पोस्ट किया गया था, उप-मुख्यमंत्रियों, भाजपा के देवेंद्र फडणवीस या राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अजीत पवार की तस्वीरें नहीं थी. पढ़ें- ‘खई के पान…’ पर BJP विधायक ने स्टेज पर ठुमकों से लगाई आग, तो भड़का विपक्ष यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि यह अचानक लिया गया कदम था या किसी सुनियोजित रणनीति का हिस्सा था. लेकिन इस कदम ने भाजपा और एनसीपी के पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को झकझोर कर रख दिया. जिन्होंने शिंदे को इस योजना का एकमात्र चेहरा बनाने की शिवसेना की चाल को मंजूरी नहीं दी. दो महीने से अधिक समय से चल रही इस योजना को लेकर सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के भीतर मतभेद 5 सितंबर को साप्ताहिक कैबिनेट बैठक में फिर से उभरे, जब शिवसेना के एक मंत्री ने इस प्रमुख परियोजना के विज्ञापनों से CM की तस्वीर हटाने के NCP के फैसले पर आपत्ति जताई. वाकयुद्ध के बाद, दोनों पक्षों को शांत करने के लिए शिंदे के हस्तक्षेप की आवश्यकता पड़ी और यह निर्णय लिया गया कि सहयोगियों को इस योजना पर एकरूपता और एकता सुनिश्चित करनी चाहिए. आपस में ही क्यों भिड़ा महायुति गठबंधन? इस योजना का श्रेय लेने को लेकर सहयोगी दलों के बीच मतभेद कोई रहस्य नहीं है. नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना के साथ, तीनों महायुति दल महिला-केंद्रित योजना के माध्यम से अपने चुनावी आधार को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. प्रत्येक पार्टी इस योजना के माध्यम से अपने नेताओं को आगे बढ़ाने के लिए सार्वजनिक बैठकें और रैलियां कर रही है. यहां तक कि भाजपा ने भी इस योजना पर अपने कार्यक्रमों से “मुख्यमंत्री” शब्द हटा दिया है. अपनी कई रैलियों में, इस प्रमुख परियोजना को लड़की बहन योजना के रूप में संदर्भित किया गया. पार्टी ने फडणवीस को “प्यार करने वाले भाई” के रूप में चित्रित करने के लिए उनके लिए “देवा भाऊ” उपनाम का उपयोग करना भी शुरू कर दिया है. फडणवीस बने देवा भाऊ पवार के गृह क्षेत्र बारामती सहित पूरे राज्य में फडणवीस की छवि और “देवा भाऊ” वाले बैनर लगाए गए हैं. इन पोस्टरों के बारे में पूछे जाने पर, फडणवीस ने बताया, “लोग अक्सर मुझे प्यार से देवेंद्र भाऊ, देवा भाऊ कहकर संबोधित करते हैं. व्यक्तिगत रूप से, मुझे देवा भाऊ पसंद है, क्योंकि यह अधिक प्यारा लगता है.” एक मराठी टीवी चैनल के साथ इंटरव्यू के दौरान, फडणवीस ने इस योजना पर कैबिनेट के टकराव पर बात की. उन्होंने कहा, “कोई झगड़ा नहीं था. इस बात पर चर्चा हुई कि हमें प्रमुख परियोजना को कैसे ब्रांड करना चाहिए. हमें लगा कि एकरूपता होनी चाहिए.” Tags: Ajit Pawar, Devendra Fadnavis, Eknath Shinde, Maharashtra PoliticsFIRST PUBLISHED : September 9, 2024, 10:39 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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