ATM से कम नहीं है इस सब्जी की खेती जड़ से लेकर पत्ते तक की मार्केट में डिमांड

अरबी की खेती के लिए बलुई दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है, जिसमें जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो.वखेत की मिट्टी को 1-2 बार गहरी जुताई करके भुरभुरा बनाया जाता है, जिससे मिट्टी में हवा का संचरण हो सके.

ATM से कम नहीं है इस सब्जी की खेती जड़ से लेकर पत्ते तक की मार्केट में डिमांड
रायबरेली: समय के साथ खेती-बाड़ी में भी बदलाव हो रहा है. किसान अब पारंपरिक फसलों जैसे धान और गेहूं के साथ सब्जियों की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. इनमें एक ऐसी सब्जी है, जो बाजार में हमेशा मांग में रहती है—अरबी. यह फसल किसानों के लिए कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली है. अरबी की जड़ से लेकर पत्तियां तक बाजार में अच्छे दामों पर बिक जाती हैं, जो इसे एक आकर्षक विकल्प बनाती है. रायबरेली जिले के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के प्रभारी अधिकारी शिव शंकर वर्मा (बीएससी एजी, डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद) के अनुसार, अरबी का उपयोग आमतौर पर सब्जी, अचार और अन्य व्यंजनों में किया जाता है. यह फसल सभी प्रकार की जलवायु में आसानी से उगाई जा सकती है, लेकिन उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में इसकी पैदावार अधिक होती है. अरबी की खेती में सफलता के लिए जरूरी बातें शिवशंकर वर्मा किसानों को अरबी की खेती में अच्छी पैदावार के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव देते हैं: 1. मिट्टी का चयन और तैयारी अरबी की खेती के लिए बलुई दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, जिसमें जल निकासी की बेहतर व्यवस्था हो. खेत की मिट्टी को 1-2 बार गहरी जुताई कर भुरभुरा बनाएं ताकि हवा का संचरण हो सके. जुताई के बाद मिट्टी को समतल करें और कूड़ों या खुरपी से बड़ी मिट्टी की गांठों को तोड़ दें. 2. उर्वरक का प्रयोग प्रति एकड़ 10-15 टन गोबर की सड़ी हुई खाद या जैविक खाद मिलाएं, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है. रासायनिक उर्वरकों में, 80 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और 80 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें. इन्हें रोपण के समय और पौधों की बढ़त के दौरान दें. 3. जल निकासी का प्रबंध अरबी की खेती में जल निकासी का ध्यान रखना जरूरी है, क्योंकि अधिक पानी फसल को नुकसान पहुंचा सकता है. खेत में 60-90 सेंटीमीटर की दूरी पर मेड़ या क्यारियां बनाएं, जिससे पानी की निकासी सही हो और जड़ें सड़ने से बचें.4. बीज की बुआई बीज के रूप में अरबी के कंदों या आंखों वाले टुकड़ों का उपयोग किया जाता है. 60-90 सेंटीमीटर की दूरी पर कंदों को 5-10 सेंटीमीटर गहराई में बोना चाहिए. बुआई के बाद हल्की सिंचाई करें ताकि बीज अंकुरित हो सकें.5. सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करना आवश्यक है. इसके बाद 7-10 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई करें. ध्यान रखें कि खेत में पानी ठहरा न हो. बरसात के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता कम होती है, लेकिन जल निकासी का प्रबंध जरूरी है. 6. खरपतवार नियंत्रण शुरुआती चरण में खरपतवार हटाने के लिए निराई-गुड़ाई करें, ताकि पौधे को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह और पोषण मिल सके. 7. रोग और कीट नियंत्रण रोग और कीटों से बचाव के लिए जैविक या रासायनिक कीटनाशकों का समय पर उपयोग करें. तने और पत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों से फसल की रक्षा के लिए नीम के तेल या अन्य जैविक अरबी की खेती में किसानों को सही देखभाल और उन्नत तकनीकों का उपयोग कर बेहतर पैदावार और मुनाफा मिल सकता है. Tags: Agriculture, Good prices of vegetables, Local18FIRST PUBLISHED : September 9, 2024, 10:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed