कुत्ते के काटने पर अब इस जगह मिलेगा पूरा इलाज यहां शुरू हो चुकी है एंटी-रेबीज क्लिनिक

प्रोफेसर (डॉ.) सीएम सिंह ने बताया कि रेबीज 100 प्रतिशत घातक ज़ूनोटिक बीमारी है. विश्व स्तर पर हर दिन हर 9 मिनट में रेबीज़ के कारण एक मौत होती है. 

कुत्ते के काटने पर अब इस जगह मिलेगा पूरा इलाज यहां शुरू हो चुकी है एंटी-रेबीज क्लिनिक
अंजलि सिंह राजपूत/लखनऊ. कुत्ते के काटने पर अब इलाज के लिए या एंटी रेबीज के लिए भटकना नहीं पड़ेगा, क्योंकि लखनऊ शहर के एक बड़े अस्पताल में अब इसका पूरा इलाज मिलेगा. एक ही छत के नीचे इसका पूरा इलाज ऐसे लोगों को मिल सकेगा. आपको बता दें डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में एंटी-रेबीज क्लिनिक की शुरुआत हो चुकी है. कमरा नंबर 32, ग्राउंड फ्लोर, हॉस्पिटल ब्लॉक में इसकी शुरुआत हुई है. सामुदायिक चिकित्सा विभाग के तहत यह क्लिनिक जानवरों के काटने के पीड़ित लोगों को परामर्श, ओपीडी परामर्श, टीकाकरण की सेवा उपलब्ध कराएगा. प्रोफेसर (डॉ.) सीएम सिंह ने बताया कि रेबीज 100 प्रतिशत घातक ज़ूनोटिक बीमारी है. विश्व स्तर पर हर दिन हर 9 मिनट में रेबीज़ के कारण एक मौत होती है. किसी जानवर के काटने के बाद घाव को धोना, समय पर परामर्श और टीकाकरण का पूरा कोर्स करना इसके लिए बहुत महत्वपूर्ण है. सीएमएस प्रो. एके सिंह ने बताया कि एंटी-रेबीज क्लिनिक कुत्ते के काटने से होने वाली रेबीज से शून्य मानव मृत्यु के लक्ष्य की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. हर साल लखनऊ में भी लगातार कुत्ते के काटने के मामले बढ़ जाते हैं. ऐसे में लोग नहीं समझ पाते हैं कि उन्हें एंटी रेबीज कहां लगवाना है, क्या करना है, जिस वजह से उनके शरीर में इंफेक्शन फैल जाता है और कई लोगों को बचा पाना मुश्किल हो जाता है. यह क्लीनिक लोगों को ना सिर्फ इलाज उपलब्ध कराएगी बल्कि उनको जागरूक भी करेगी. डीन प्रोफेसर प्रद्युम्न सिंह ने बताया कि क्लिनिक से 100 फीसदी घातक बीमारी पर शोध के रास्ते भी खुलेंगे. इस तरह होगा इलाज एंटी रेबीज क्लिनिक के नोडल अधिकारी डॉ. मनीष कुमार सिंह ने रेबीज के लिए पोस्ट और प्री एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस पर बात की. उन्होंने बताया कि जानवर के काटने से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति को घाव को कम से कम 15 मिनट तक बहते पानी के नीचे साबुन से अच्छी तरह से धोना चाहिए और तुरंत टीकाकरण कराना चाहिए. जानवरों के काटने के नए मामलों में टीकाकरण की बात करें तो इंट्रामस्क्युलर मार्ग से 5 डोज 0,3,7,14 और अंतिम डोज 21-28 दिनों के बीच दी जानी चाहिए. याइंट्राडर्मल मार्ग से 0,3,7 और 28वें दिन प्रत्येक दिनों पर 2 डोज दी जानी चाहिए.गंभीर श्रेणी (Category -3 bite) के काटने पर टीकाकरण के साथ इम्युनोग्लोबुलिन/एंटीबॉडी दी जाती है.जिन लोगों ने अतीत में टीकाकरण का पूरा कोर्स लिया है – उन्हें 0 और 3 दिन पर केवल 2 बूस्टर डोज देने की आवश्यकता है. Tags: Lucknow news, UP newsFIRST PUBLISHED : May 29, 2024, 16:39 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed