बुलडोजर को क्यों मुद्दा बना रहे योगी के ये मंत्री असली वजह क्या है

केशव मौर्या के बाद निषाद पार्टी मुखिया संजय निषाद ने भी बुलडोर पर बयानबाजी की है. लेकिन इसके पीछे असली वजह क्या बताई जा रही है. राज्य विधान सभा उपचुनाव में दस में से किन सीटों पर वे निषाद पार्टी की दावेदारी जता रहे हैं, पढ़िए विश्लेषण.

बुलडोजर को क्यों मुद्दा बना रहे योगी के ये मंत्री असली वजह क्या है
उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनावों में हार के कारणों की विवेचना शुरू हुई तो बात काफी आगे तक जाती दिख रही है. पहले उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के कड़े बयान आए. मौर्या और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की, तो राज्य सरकार के एक और मंत्री संजय निषाद ने भी आवाज तेज कर दी है. सरकार में शामिल निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद ने कहा है कि ‘बुलडोजर और अफसरों के व्यवहार’ की वजह से बीजेपी की सीटें लोकसभा में घटीं. पिछले लोकसभा में पार्टी की 62 सीटें थीं. इस बार ये घटकर 32 पर आ गई हैं. हालांकि ये समझने वाली बात है कि सरकार में शामिल निषाद ये भाषा क्यों बोल रहे हैं? ये भी रोचक है कि निषाद पार्टी का पूरा नाम निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल – ‘NISHAD’ है. निषाद पार्टी की स्थिति निषाद पार्टी प्रमुख के बयान पर चर्चा के पहले राज्य विधानसभा में निषाद पार्टी की स्थिति जानना महत्वपूर्ण है. एनडीए में शामिल निषाद पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में कुल 16 उम्मीदवार उतारे थे. इसमें से 5 सीटों पर निषाद पार्टी के प्रत्याशी बीजेपी के चुनाव निशान पर चुनाव लड़े और पांचों विजयी रहे. जबकि 6 सीटों पर निषाद पार्टी के उम्मीदवार उसके सिंबल पर जीतकर विधान सभा पहुंचे. इस तरह से निषाद पार्टी के कुल 11 विधायक थे. कमल चुनाव निशान से निषाद पार्टी जिन सीटों पर जीती थी वे हैं चौरी चौरा, करछना, बांसडीह, सुल्तानपुर, तमुकुहीराज. जबकि ज्ञानपुर, मझवां, मेहदावल, नौतनवा, खड्डा, और शाहगंज से पार्टी ने अपने चुनाव निशान पर जीत हासिल की थी. बाकी 5 उम्मीदवार हार गए. ये भी पढ़ें : IAS पूजा की जिस हरकत पर मचा बवाल, उन्हीं लाल-नीली बत्तियों पर जगमगाते हैं आईएएस बनने के सपने विधायकों की संख्या के लिहाज से निषाद पार्टी कांग्रेस और बीएसपी से बड़ी हो गई थी. जाहिर है संजय निषाद का कद काफी बढ़ गया था. हालांकि उनके बेटे प्रवीण निषाद संतकबीर नगर से सांसद का चुनाव हार गए थे. ये पार्टी के लिए एक बड़ा झटका था. लोकसभा चुनावों के बाद राज्य में विधानसभा की दस सीटें खाली हुईं. यहां चुनाव होने हैं. इनमें निषाद पार्टी भी कम से कम दो सीटों पर अपनी दावेदारी जता रही है. मझवां के विधायक विनोद कुमार बिंद भदोही से बीजेपी के टिकट पर सांसद हो गए. लिहाजा मझवां विधानसभा सीट खाली हुई. ध्यान रखने वाली बात है कि मझवां से निषाद पार्टी के उम्मीदवार ने चुनाव बीजेपी के निशान कमल पर लड़ा था और सांसद भी कमल से ही बने. उपचुनाव में निषाद पार्टी फिर से यहां से अपने लिए दावेदारी कर रही है. कटेहरी की कहानी इसके अलावा पार्टी कटेहरी सीट भी चाह रही है. कटेहरी की कहानी ये है कि वहां से समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की थी, लेकिन निषाद पार्टी के अवधेश कुमार दूसरे स्थान रहे थे. समाजवादी पार्टी उम्मीदवार लालजी वर्मा को उनसे तकरीबन साढ़े सात हजार वोट अधिक मिले थे. पार्टी की दलील है कि ये सीट भी उपचुनाव में निषाद पार्टी की ही बनती है. बीजेपी का रुख जानकारों की मानें तो बीजेपी ने साफ कर दिया है कि अगर निषाद पार्टी चाहे तो दोनों सीटों पर उसके प्रत्याशी को बीजेपी के सिंबल कमल निशान पर उतारा जा सकता था, लेकिन सीटें निषाद पार्टी के चुनाव निशान पर उसे नहीं दी जा सकतीं. बीजेपी दलील दे रही है कि उसके प्रत्याशी यहां अपने दम पर नहीं जीत सकते. माना जा रहा है कि संजय निषाद का बुलडोजर वाला बयान इसी क्षोभ का नतीजा है या फिर वो इस तरह से पार्टी और मुख्यमंत्री योगी पर दबाव बनाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि माफिया पर या सड़कें बनाने के लिए तो बुलडोजर चलाना ठीक है, लेकिन अगर इससे गरीब की छत तोड़ दी जाएगी तो  यही होगा. उन्होंने लोकसभा में बीजेपी की सीटें कम होने के लिए अधिकारियों को भी दोषी करार दिया. निषाद ने रिपोर्टरों से बातचीत में कहा था – ‘एक तो वैसे माहौल खराब है, उपर से अधिकारी और खराब कर रहे हैं.’ Tags: CM Yogi Aditya Nath, Nishad Party, UP bulldozer actionFIRST PUBLISHED : July 17, 2024, 12:28 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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