माया की वजह से लाज बचाने में कामयाब हुई भाजपा वरना इतने पर सिमट जाती पार्टी!
माया की वजह से लाज बचाने में कामयाब हुई भाजपा वरना इतने पर सिमट जाती पार्टी!
कभी राष्ट्रीय दल का दर्जा रखने वाली बसपा इस बार अपना खाता नहीं खोल पाई है. लेकिन, इस बार उसकी चर्चा इस वजह से नहीं बल्कि उसने यूपी में भाजपा या इंडिया ब्लॉक किसको नुकसान पहुंचाया... इस वजह से हो रही है. बसपा के उम्मीदवारों ने यूपी की कम से कम 16 सीटों पर चुनावी नतीजों को प्रभावित किया.
यूपी में बसपा को लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली है. कभी यूपी की चार-चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती की पार्टी का यह हाल देख उनके समर्थकों में मायूसी छा जाना स्वाभाविक है. लेकिन, उन्होंने इस लोकसभा चुनाव में अपने लिए कुछ करने से ज्यादा विरोधियों को नुकसान पहुंचाया है. इस बार 16 सीटों पर उनके उम्मीदवारों को मिले वोट उन सीटों पर जीत-हार के अंतर वाले से वोट काफी ज्यादा हैं. ऐसे में इन 16 सीटों पर मायावती ने सीधे पर तौर अपने विरोधियों को नुकसान पहुंचाया. लेकिन, अब सवाल यह है कि उन्होंने किनको ज्यादा- भाजपा या इंडिया ब्लॉक नुकसान पहुंचाया?
आइए थोड़ा आंकड़ों को विश्लेषण कर लेते हैं. चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक इन 16 में से 14 सीटों पर भाजपा को जीत मिली जबकि दो सीटों पर उसकी सहयोगी रालोद और अपना दल (सोनेवाल) के उम्मीदवारों को जीत मिली.
इंडिया ब्लॉक को मिल जातीं और सीटें
अब सवाल यह है कि अगर ये सीटें इंडिया ब्लॉक के खाते में चली गई होतीं तो क्या होता? भाजपा 33 से घटकर 19 सीटों पर लुढ़क जाती. वो भी बिना बसपा-सपा गठबंधन के. इन दोनों दलों के बीच 2019 के चुनाव में गठबंधन हुआ था बावजूद इसके भाजपा को 62 सीटें मिली थीं.
दरअसल, इस चुनाव में इंडिया गठबंधन बसपा के कोर वोटर्स के यह समझाने में सफल रहा है कि भाजपा के खिलाफ मायावती का रुख आक्रामक नहीं है. इस कारण तमाम सीटों पर मायावती का एक बड़ा वोट बैंक इंडिया गठबंधन की ओर शिफ्ट हो गया.
जिन 16 सीटों पर मायावती के उम्मीदवार जीत के अंतर से ज्यादा वोट पाने में कामयाब हुए हैं वहां इसका सीधा फायदा भाजपा और उसके सहयोगी दलों को हुआ है. अगर ये उम्मीदवार प्रभावी नहीं होते और इंडिया गठबंधन अन्य सीटों की तरह यहां के वोटरों के समझाने में कामयाब हो जाता कि मायावती मजबूती से भाजपा का विरोध नहीं कर रही हैं तो स्थिति अलग हो सकती थी.
राजनीति में 2 और 2 चार नहीं होता
हालांकि, यह सही है राजनीति में हमेशा दो और दो चार नहीं होता. लेकिन, इस चुनाव में जिस तरह से मायावती के वोटर्स इंडिया गठबंधन के साथ जुड़े हैं उसको देखते हुए कहा जा सकता है कि बसपा सुप्रीमो ने भाजपा की लाज बचाने में सहयोग किया.
जिन सीटों पर बसपा के उम्मीदवारों की वजह से भाजपा को जीत मिली वे सीटें हैं- अकबरपुर, अलीगढ़, अमरोहा, बांसगांव, भदोही, बिजनौर, देवरिया, फर्रुखाबाद, फतेहपुर सिकरी, हरदोई, मेरठ, मिर्जापुर, मिसरिख, फूलपुर, शाहजहांपुर और उन्नाव. इन सभी सीटों पर भाजपा को जीत बसपा के वोट काटने की वजह से हुई है.
Tags: BSP chief Mayawati, Loksabha Election 2024, Loksabha ElectionsFIRST PUBLISHED : June 6, 2024, 11:44 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed