Banana Farming: केले की खेती किसानों को बना रही अमीर
Banana Farming: केले की खेती किसानों को बना रही अमीर
बाराबंकीः आज के समय में किसान पारंपरिक फसलों की खेती तो करते ही हैं. लेकिन उसके साथ ही अन्य कई तरह की फसलों की भी खेती करते हैं. इससे उन्हें अच्छा मुनाफा भी हो रहा है. दरअसल, किसानों को केले की खेती बहुत ज्यादा आकर्षित कर रही है.
अंजली शर्मा/कन्नौज: उत्तर प्रदेश के कन्नौज में किसानों को अगर सबसे उच्च स्तरीय सब्जियों की पौध लेनी है तो किसान उमर्दा क्षेत्र में बने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल में आ सकते हैं. जहां इंडो इजराइल पद्धति से मृदा रहित सब्जियों की पौध तैयार की जाती है. जहां भिंडी, तुरई, टमाटर, शिमला मिर्च, पतली मिर्च सहित कई और तरीके की सब्जियों की पौध यहां पर तैयार होती है. यहां पर तैयार हुई पौध में किसी भी तरह के किट का प्रकोप नहीं होता है. ऐसे में किसानों के लिए यह पौध बहुत लाभकारी साबित होती है और इसकी प्रोडक्शन क्षमता भी बहुत अधिक होती है.
उमर्दा तहसील से ले सकते हैं पौधे
कन्नौज मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर उमर्दा तहसील क्षेत्र में यह सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल बना हुआ है. यहां पर किसानों को 2 तरह से पौधे मिलते हैं. बता दें कि पहले किसान बीज देकर पौधों को एक रुपए प्रति पौधे के हिसाब से ले सकते हैं. वही बिना बीज के 2 रुपए प्रति पौधे मिलते हैं. इसके लिए किसान को सीधे केंद्र में जाकर संपर्क करना होता है.
जानें कैसे किसानों को होगा फायदा
यहां पर पौधे इंडो-इजराइल पद्धति के आधार पर तैयार किए जाते हैं. जहां किसी भी मौसम में यहां पर पौधे मृदा रहित तैयार किए जाते हैं. इसके अलावा किसान अगर बाहर से पौधे तैयार करते हैं तो शंकर प्रजाति के बीज बहुत महंगे साबित होते हैं. वहीं, इनको नर्सरी में तैयार करने पर 50 से 60% ही पौधे तैयार हो पाते हैं, जिसमे कीट लगाने की संभावना बनी रहती है. ऐसे में किसानों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है. वहीं, यहां पर किसी भी मौसम में बहुत ही आसान तरीके से पौधे तैयार हो जाती है. जिससे किसानों को सीड के साथ एक रुपए प्रति पौधे बिना सीड के 2 रुपए के हिसाब से मिल जाएगा.
जानें कौन-कौन सी सब्जियां होती हैं तैयार
इस वक्त किसानों को भिंडी, तुरई, टमाटर, शिमला मिर्च, पतली मिर्च की पौध मिल जाएगी. वहीं, किसान किसी भी मौसम में होने वाली सब्जियों की पौध भी यहां पर तैयार कर सकते हैं. इसके लिए किसानों को एक महीने का वक्त देना होता है. एक महीने बाद किसानों के आर्डर पर पौधे तैयार करके यहां पर मिल जाते हैं.
जानें क्या बोले कृषि वैज्ञानिक
कृषि वैज्ञानिक जीएस यादव बताते हैं किसानों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल से पौधे लेने पर कई तरीके से फायदा होता है. सबसे पहला फायदा यहां की मृदा रहित पौध किसी भी मौसम में इंडो इजराइल पद्धति से तैयार होती है. इसमें कीट लगने की संभावना न के बराबर होती है. ऐसे में किसान अगर बाहर से शंकर प्रजाति के बीज से पौधे तैयार करते हैं तो उसमें प्रोडक्शन 50 से 60% ही होता है. ऐसे में यहां पर 100 फीसदी अच्छे पौधे तैयार मिलते हैं. जिससे सब्जियों की उर्वरक क्षमता अच्छी होती है. साथ ही कम लागत में किसानों को मुनाफा भी ज्यादा होता है. यहां पौधे तैयार करने के लिए लोग मिट्टी का प्रयोग नहीं करते हैं.
Tags: Kannauj news, Local18FIRST PUBLISHED : July 10, 2024, 10:34 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed