आप साथ आ जाएं… इंदिरा को पिता के दोस्त ने किया था मना मसुरियादीन की कहानी
आप साथ आ जाएं… इंदिरा को पिता के दोस्त ने किया था मना मसुरियादीन की कहानी
जवाहर लाल नेहरू और मसुरियादीन एक साथ फूलपुर सीट से जीत दर्ज कर साल 1952 में संसद भवन पहुंचे थे. मसुरियादीन एक वंचित अनुसूचित जाति परिवार में जन्मे थे. वह महात्मा गांधी से प्रभावित थे. उन्हें नेहरू और इंदिरा गांधी का करीबी माना जाता था.
नई दिल्ली. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को दुनिया एक कद्दावर नेता के रूप में जानती है लेकिन देश का एक लोकसभा चुनाव ऐसा भी था जब इंदिरा को उनके पिता जवाहर लाल नेहरू के खास रहे दलित नेता सुरियादीन ने साथ देने से इनकार कर दिया था. यह वक्त था साल 1969 का, जब कांग्रेस में फूट पड़ चुकी थी और पार्टी दो हिस्सों में बंट गई थी. साल 1971 में देश के 5वें लोकसभा चुनाव हुए. इंडिया गांधी ने अपने पिता के समय में बेहद खास रहे मसुरियादीन को साथ आने का न्योता दिया था. आजादी के आंदोलन में महात्मा गांधी के साथ बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने वाले मसुरियादीन के इंदिरा गांधी के साथ भी अच्छे संबंध थे लेकिन उन्होंने तत्कालीन पीएम का साथ देने से इनकार कर दिया था.
इंदिया ने उन्हें कहा- चाचा आप साथ आ जाइये. मसुरियादीन ने जवाब दिया कि मैं तुम्हें अपनी बेटी मानता हूं लेकिन मैं जुबान दे चुका हूं. साथ नहीं आ पाऊंगा. हालांकि कांग्रेस (O) से फूलपुर सीटी से मैदान में उतरे मसुरियादीन को इन चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था. 1978 में उनका निधन हो गया था. चुनावी इतिहास में फूलपुर को भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निर्वाचन क्षेत्र के रूप में याद किया जाता है. कम ही लोग जानते हैं कि नेहरू उस समय उत्तर प्रदेश सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले एकमात्र सांसद नहीं थे. 1950 के दशक में, 86 लोकसभा सीटों पर “दो सदस्यीय” प्रतिनिधित्व था. तब एक सीट पर दो सांसदों का चुनाव होता था. 1961 में यह प्रथा समाप्त कर दी गई थी. आजादी के शुरुआती सालों में एससी और एसटी का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए मुख्य रूप से यह प्रथा शुरू की गई थी.
फूलपुर से नेहरू-मसुरियादीन एक साथ जीतकर पहुंचे थे संसद
साल 1952 का लोकसभा चुनाव हुआ तो फूलपुर सीट से जवाहर लाल नेहरू और मसुरियादीन एक साथ जीत दर्ज कर संसद भवन पहुंचे थे. मसुरियादीन एक वंचित अनुसूचित जाति परिवार में जन्मे थे. वह महात्मा गांधी से प्रभावित थे. वो राष्ट्रीय आंदोलन की ओर आकर्षित हुए और मोतीलाल नेहरू के आग्रह पर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए. मसुरियादीन को नमक सत्याग्रह (1930) के दौरान और फिर 1940 और 1942 में जेल में डाल दिया गया था. उन्होंने एक प्रिंटिंग प्रेस भी चलाई, जो उपनिवेशवाद विरोधी थी. जब उनकी पहली पत्नी राम प्यारी का निधन हुआ वो वह जेल में थे. जेल अधिकारियों ने उनसे कहा कि अगर वह सरकार विरोधी लेख प्रकाशित करना बंद कर दें तो उन्हें अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी. उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया था. बाद में उनके बेटे शशि प्रकाश 1991 में उत्तर प्रदेश के चायल से जनता दल के सांसद चुने गए थे.
टीचर की सैलरी का निकाला नायाब तरीका…
मसुरियादिन ने इलाहाबाद में एक हरिजन छात्रावास और नौ हरिजन प्राथमिक पाठशालाओं की स्थापना की. उनका संदेश था कि घर के कम से कम एक बच्चे को स्कूल भेजें. इन स्कूलों में कक्षा के बाहर मिट्टी का खाली बर्तन (मटकी) रखा जाएगा. माता-पिता एक मुट्ठी अनाज, सब्जियां या सिक्के गिरा देते थे. वह शिक्षक का वेतन होगा. उनकी बेटी का नाम कमला देवी है, जो लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) की राष्ट्रीय महिला शाखा की अध्यक्ष हैं. बेटी कहती हैं, “पिता ने आपराधिक जनजाति अधिनियम को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने हमारे समुदाय को कलंकित किया. यही कारण है कि उनका जन्मदिन आज भी पासी समाज द्वारा मनाया जाता है.
Tags: 2024 Lok Sabha Elections, Indira Gandhi, Jawahar Lal Nehru, Loksabha Election 2024, Loksabha ElectionsFIRST PUBLISHED : May 21, 2024, 18:31 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed