(स्मिता सिंह/ Simta Singh)
आपका देश के ऐसे कई ऐतिहासिक किले से परिचय हुआ होगा जिनकी कलात्मकता देख आप आश्चर्यचकित रह गए होंगे. लेकिन आज हम जिस किले की सैर पर आपको लेकर चलेंगे उसका सफर जितना खतरनाक है उतना ही रोमांचक भी. इस किले की तरफ बढ़ते हर कदम पर आपकी सांसें थम-सी जाएंगी, मगर इसके साथ ही मंजिल तक पहुंचने की ख्वाहिश भी बढ़ती चली जाएगी. हम भी गए तो लगा पता नहीं वापस घर पहुच पाएंगे या नहीं. लेकिन सफर काफी यादगार रहा.
महाराष्ट्र के लगभग हर जिले में खूबसूरत पहाड़ी और किलें मौजूद हैं. इन किलों का एक अपना समृद्ध इतिहास है. साथ ही, ये किले समय के साथ पर्यटकों के लिए एक विशेष आकर्षण का केंद्र बन गए हैं. इन किलों में से एक है- हरिहर किला.
हरिहर किले तक पहुंचना हर किसी के बस की बात नहीं है क्योंकि इसकी कई चढ़ाई कई जगह 90 डिग्री खड़ी है. यह किला एक खूबसूरत पहाड़ की चोटी पर स्थित है. और यहां की चढ़ाई बहुत ही खतरनाक है. हिमालयन माउंटेनियर ने भी इसे दुनिया का सबसे खतरनाक ट्रैक माना है.
हरिहर किले को हर्षगढ़ किले के नाम से भी जाना जाता है. यह किला महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित इगतपुरी से लगभग 48 किलोमीटर और कसारा से 60 किलोमीटर दूर है. हरिहर फोर्ट त्र्यंबकेश्वर से 22 और नासिक से 45 किलोमीटर दूरी पर स्थित है.
हर्षगढ़ किला पहाड़ के नीचे से चौकोर दिखाई देता है, मगर इसकी बनावट प्रिज्म जैसी है. इसकी दोनों तरफ से संरचना 90 डिग्री की सीध में है और किले की तीसरी साइड 75 डिग्री है.
यह किला पहाड़ पर 170 मीटर की ऊंचाई पर बना है. यहां जाने के लिए एक मीटर चौड़ी लगभग 115 सीढ़ियां हैं. लगभग 50 सीढियां चढ़ने के बाद मुख्य द्वार महादरवाजा आता है, जो आज भी बहुत अच्छी स्थिति में है.
महादरवाजा तक चढ़ने के बाद आगे की सीढ़ियां एक चट्टान के अंदर से होकर जाती हैं और ये आपको किले के शीर्ष पर पहुंचा देती हैं. यहां हनुमानजी और शिवजी के मंदिर हैं. मंदिर के पास एक छोटा तालाब भी है, जहां का पानी इतना साफ है कि इसे पीने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं. यहां से आगे जाने पर दो कमरों का एक छोटा महल दिखता है, जिसमें 10-12 लोग रुक सकते हैं.
हरिहर फोर्ट की चढ़ाई के समय खास तौर पर बंदरों से सावधान रहने की जरूरत होती है. क्योंकि बंदर आपका सामान झपट सकते हैं. बंदरों की छिना-झपटी के दौरान संतुलन बिगड़ने से जान पर भी बन आ सकती है. हरिहर किले की चढ़ाई में आपको 4-5 घंटों का समय लग सकता है और उतरने में भी उतना ही समय लगता है. उतरना उसी रास्ते से होता है. इसलिए उतरते समय खड़ी चट्टानी सीढ़ियों पर खास ध्यान रखने की जरूरत होती है. हरिहर फोर्ट की चढ़ाई इसके बेस में बने निर्गुणपाड़ा गांव से शुरू होती है.
निर्गुड़पाड़ा गांव में होमस्टे की सुविधा भी है. हालांकि, सड़क के किनारे कुछ ढाबे हैं, जहां आपको खाने-पीने के कई विकल्प मिल जाएंगे. जब भी आप महाराष्ट्र आएं तो एक बार यहां की सैर जरूर करें.
यूं तो लोग साल भर हरिहर किला की ट्रेकिंग करते रहते हैं लेकिन यहां पहुंचने का अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी का होता है. आप चाहे तो मॉनसून के समय भी हरिहरगढ़ किला जा सकते हैं. मॉनसून में आपको आसपास की हरियाली और शानदार प्राकृतिक नजारा देखने को मिलेगा.
अगर आपने मॉनसून के समय इस हरिहर किला की चढ़ाई करने का प्लान बनाया है तो आपको बहुत ही सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि इस समय फिसलन की वजह से चढ़ाई करना काफी मुश्किल होता है. हरिहरगढ़ किला से नजदीकी एयरपोर्ट नासिक या फिर मुंबई एयरपोर्ट है. सड़क मार्ग से आने पर आपको सबसे पहले मुंबई से नासिक और नासिक से 40 किलोमीटर दूर हरिहरगढ़ किले के लिए कैब लेनी होगी. किले की ट्रेकिंग के लिए आपको पूरा एक दिन चाहिए. अगर आप ट्रेकिंग के लिए किसी रोमांचक जगह की तलाश कर रहे हैं तो निश्चित रूप से हरिहर फोर्ट एक बार जरूर जाना चाहिए.
Tags: Maharashtra News, Nashik news, Tour and Travels, TravelFIRST PUBLISHED : May 29, 2024, 18:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed