कमाल है! पिता दिहाड़ी मजदूर बेटे ने 150 रुपये से खड़ी 3 हजार करोड़ की कंपनी
कमाल है! पिता दिहाड़ी मजदूर बेटे ने 150 रुपये से खड़ी 3 हजार करोड़ की कंपनी
Success Story : आदमी पैदा जरूर गरीबी में होता है, जो उसकी किस्मत पर निर्भर करता है. लेकिन, उसकी जिंदगी गरीबी में बीतेगी या नहीं, यह उसकी मेहनत तय करती है. आपको यह बात किताबी लगती है तो जरा पीसी मुस्तफा की यह कहानी पढ़ लीजिए. आज से आपकी भी धारणा बदल जाएगी.
हाइलाइट्स कभी पाई-पाई को मोहताज रहने वाला परिवार आज करोड़ों रुपये में खेल रहा है. परिवार को गरीबी से निकालने के लिए 150 रुपये निवेश से सफर शुरू किया. आज मुस्तफा की कंपनी के प्रोडक्ट हजारों घरों में इस्तेमाल किए जाते हैं.
नई दिल्ली. कहते हैं हथेलियों को मेहनत पर घिसो तो सोई किस्मत का जिन्न भी जाग उठता है. पीसी मुस्तफा की सफलता भी हाथों पर बनी मेहनत की इसी लकीर से परवान चढ़ी. कभी पाई-पाई को मोहताज रहने वाला परिवार आज करोड़ों रुपये में खेल रहा है. यह कमाल रातोंरात नहीं हुआ, बल्कि मुस्तफा ने इसके लिए काफी मेहनत की और परिवार को गरीबी से निकालने के लिए 150 रुपये निवेश से सफर शुरू किया, जो आज 3000 करोड़ रुपये की कंपनी में बदल चुका है. आज मुस्तफा की कंपनी के प्रोडक्ट हजारों घरों में इस्तेमाल किए जाते हैं. उनकी सफलता की कहानी पढ़कर आप भी कह उठेंगे, कर्म से किस्मत जरूर बदलती है.
पीसी मुस्तफा का जन्म केरल के निम्न-मध्य वर्गीय परिवार में हुआ था. उनके पिता दिहाड़ी मजदूर थे और परिवार चलाने के लिए अदरक के खेतों में काम करते थे, जहां उन्हें रोजाना 10 रुपये की मजदूरी मिलती थी. 10 साल की उम्र में ही मुस्तफा पर पिता का हाथ बंटाने की जिम्मेदारी आ गई और उन्हें अपने अन्य भाई-बहनों के साथ मिलकर गांव में ही लकडि़यां बेचने का काम शुरू कर दिया.
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150 रुपये से शुरू किया बिजनेस
मुस्तफा ने लकडि़यां बेचकर किसी तरह 150 रुपये की पूंजी जुटाई और उससे एक बकरी खरीद लाए. उसे पाल-पोसकर बड़ा किया और बेचकर एक गाय खरीदी. इसका दूध बेचकर इतनी कमाई होने लगी कि परिवार को दो जून की रोटी आराम से मिल जाती थी. परिवार में पैसों की तंगी की वजह से उन्होंने 6वीं के बाद ही पढ़ाई छोड़ दी. बाद में शिक्षकों की मदद से दोबारा बढ़ाई शुरू की.
शिक्षा की रोशनी से जगमगा उठा जीवन
मुस्तफा को पढ़ने का मौका मिला तो पीछे मुड़कर नहीं देखा. कुछ पैसे जोड़कर उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT) में दाखिला लिया. कंप्यूटर साइंस में डिग्री लेने के बाद उन्हें मोटोरोला कंपनी में जॉब मिल गई. यहां से दुबई स्थित सिटीबैंक में नौकरी करने चले गए. वहां से लौटे तो आईआईएम बैंगलोर से एमबीए की डिग्री ली. मुस्तफा IIMB के इतिहास में प्रतिष्ठित पूर्व छात्र पुरस्कार पाने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति भी हैं.
50 हजार में शुरू किया बिजनेस
एमबीए की पढ़ाई के दौरान ही मुस्तफा ने अपने चचेरे भाइयों के साथ मिलकर साल 2005 में iD Fresh Food नाम से स्टार्टअप शुरू कर दिया. यह कंपनी डोसा और इडली का बैटर पैक करके बेचती है. ब्रेकफास्ट बेचने वाली यह कंपनी आज 3,000 करोड़ रुपये की बन गई है. बीते 2 साल में ही इस कंपनी का बिजनेस 100 गुना बढ़ चुका है. वित्तवर्ष 2023 में कंपनी की कमाई 500 करोड़ रुपये थी, जो 2024 में समाप्त वित्तवर्ष में दोगुना बढ़ने का अनुमान है.
Tags: Business news, New Business Idea, Success Story, Successful business leadersFIRST PUBLISHED : May 30, 2024, 16:40 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed