अलर्ट: टीनएजर्स को भी शिकार बना रही अधेड़ों वाली यह बीमारी चुपके से करती वार
अलर्ट: टीनएजर्स को भी शिकार बना रही अधेड़ों वाली यह बीमारी चुपके से करती वार
High BP Symptoms In Children: हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन कभी 50 पार की उम्र के लोगों को होता था. फिर धीरे-धीरे ये युवाओं को प्रभावित किया और अब बच्चों को भी शिकार बनाने लगा है. इसके कारण अलग-अलग हो सकते हैं. आइए जानते हैं शुरुआत के सामान्य कारण और लक्षणों के बारे में...
Hypertension In Teenages: दुनियाभर में तमाम ऐसी गंभीर बीमारियों हैं, जो बुढ़ापे में हुआ करती थी. लेकिन आज ये स्थिति पूरी तरह से बदल गई है. ऐसी ही बीमारियों में हाइपरटेंशन भी एक है. जी हां, हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन कभी 50 पार की उम्र के लोगों को होता था. फिर धीरे-धीरे ये युवाओं को प्रभावित किया और अब बच्चों को भी शिकार बनाने लगा है. राजकीय मेडिकल कॉलेज कन्नौज के इंटरनल मेडिसिन के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. राजीव शाक्य कहते हैं कि 6 से 7 साल पहले तक 20-30 साल के युवाओं में हाइपरटेंशन न के बराबर था. लेकिन, आज ये 6 से 19 साल तक के बच्चों में भी देखा जा रहा है. पिछले कुछ समय से बच्चों में हाइपरटेंशन की शिकायतें बढ़ी हैं. ऐसे में जरूरी है कि बच्चों में नजर आने वाले बदलाव और हेल्थ इश्यूज पर ध्यान दें.
डॉ. राजीव शाक्य के मुताबिक, हाइपरटेंशन आमतौर पर एक साइलेंट के तौर पर मनुष्य में प्रवेश कर रहा है. ज्यादातर लोगों को शुरुआत में इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं. यदि समय रहते हम इस पर काबू नहीं पाए, तो आगे चलकर यह हाई प्रेशर हार्ट, अटैक, स्ट्रोक, किडनी की समस्या या डिमेंशिया जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है. अब सवाल है कि आखिर क्या है हाइपरटेंशन? बीमारी में क्या दिखते हैं लक्षण? क्या हैं कारण और उपचार? आइए जानते हैं इन सवालों के बारे में-
क्या होता है हाइपरटेंशन
एक्सपर्ट के मुताबिक, हृदय का मुख्य कार्य शरीर के चारों ओर ब्लड पंप करना है. धमनियों के जरिए ब्लड फ्लो करने के लिए दबाव की एक निश्चित मात्रा की आवश्यकता होती है. ब्लड फ्लो करने के लिए दबाव की एक निश्चित मात्रा की आवश्यकता होती है. वहीं, यदि ब्लड फ्लो का यह दबाव सामान्य दबाव से अधिक होता है, तो यह रक्त वाहिकाओं की दीवार पर अतिरिक्त तनाव डालता है. इसको ही हाई ब्लड प्रेशर या हाईपरटेंशन कहते हैं.
बच्चों में हाइपरटेंशन के मुख्य कारण?
क्लीवलैंड क्लीनिक की रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चों में आमतौर पर हाइपरटेंशन के दो कारण होते हैं. पहला, प्राइमरी हाइपरटेंशन और दूसरा सेकेंडरी हाइपरटेंशन. टीनएजर और यंग में प्राइमरी हाइपरटेंशन सबसे अधिक कॉमन है. वैसे तो यह अनहेल्दी लाइफस्टाइल का नतीजा है. लेकिन, कई बार फैमिली हिस्ट्री के कारण भी यह प्रभावित कर सकता है. इसका सीधा असर हार्ट पर पड़ता है. हालांकि, सेकेंडरी हाइपरटेंशन बच्चों में कम पाया जाता है. यह सामान्यतौर पर किडनी प्रॉब्लम, हाइपरथायरायडिज्म, हार्मोनल इंबैलेंस, हार्ट प्रॉब्लम, बहुत ज्यादा टेंशन और दवाओं के कारण होता है.
हाइपरटेंशन के लक्षणों की कैसे करें पहचान?
हाइपरटेंशन की शुरुआत बेहद खतरनाक होती है. यह साइलेंट होने से प्राइमरी स्टेज में इसके लक्षणों की पहचान कर पाना मुश्किल हो जाता है. हालांकि, फिर भी यदि बच्चों में लगातार उल्टी या मतली, सीने में जकड़न, सांस लेने में परेशानी, सिरदर्द, धड़कनें तेज चलना, दिखने में परेशानी हो तो तुरंत जांच कराएं. क्योंकि, बच्चों में इस तरह के लक्षण हाइपरटेंशन के हो सकते हैं.
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हाइपरटेंशन का क्या है इलाज?
हेल्दी लाइफस्टाइल और डॉक्टर की सलाह से दवा का सेवन इसका मुख्य इलाज है. लेकिन, फिर भी हेल्दी डाइट से भी हाइपरटेंशन को कंट्रोल किया जा सकता है. इसलिए अपनी डाइट में ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और लो फैट डेयरी प्रोडक्ट्स को शामिल करें. साथ ही, नियमित एक्सरसाइज जरूरी है. सप्ताह में कम से कम 150 मिनट वॉकिंग, एरोबिक, स्विमिंग और साइकिलिंग आदि करें. क्योंकि, मोटापे के कारण भी हाइपरटेंशन होता है. स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए योग और मेडिटेशन का सहारा लें. कम से कम 8 से 9 घंटे की अच्छी लें. इसके अलावा, जितना संभव हो, नमक और सैचुरेटेड फैट का सेवन कम करें.
Tags: Health News, Health tips, Hypertension, LifestyleFIRST PUBLISHED : May 15, 2024, 08:57 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed