आपके बच्चों में दिखाई दें ये 3 लक्षण तो समझ लें आंखों में आ गई बीमारी
आपके बच्चों में दिखाई दें ये 3 लक्षण तो समझ लें आंखों में आ गई बीमारी
भारतीय बच्चों में नजर की समस्या बहुत तेजी से बढ़ रही है. पेंरेंट्स ने अगर समय से ध्यान नहीं दिया तो छोटे-छोटे बच्चों की आंखों की रोशनी घट जाएगी और मोटे लैंस का चश्मा लगाना पड़ेगा. मायोपिया की ये दिक्कत लंबे समय तक फोन और टीवी देखने से भी हो रही है. आइए जानते हैं इसके लक्षणों के बारे में ताकि समय से पहले बीमारी को पहचान लें..
हाइलाइट्स भारत में छोटे बच्चों में नजर घटने की समस्या बहुत ज्यादा देखी जा रही है. इन बच्चों को टीवी, बोर्ड यहां तक कि किताब भी पढ़ने में दिक्कत होती है.
Eye Care tips for parents: छोटे बच्चों में कुछ बीमारियों को पकड़ना काफी मुश्किल होता है. आंखों की दिक्कत उन्हीं में से एक है. एक तो बच्चे अपनी परेशानी को अच्छे से बता नहीं पाते, दूसरा माता-पिता इतने व्यस्त रहते हैं कि बच्चों में कई लक्षण उनकी आंखों के सामने होते हैं लेकिन जानकारी के अभाव में वे भी उन्हें पहचान नहीं पाते. यही वजह है कि बच्चों की आंखों में बीमारी का जब तक पता लगता है वह इतनी बढ़ जाती है कि या तो चश्मा लग जाता है या दवाएं शुरू हो जाती हैं.
कुछ दिन पहले ही नई दिल्ली एम्स में जारी किए गए एक सर्वे में बताया गया कि 2001 में बच्चों में आंखों से कम दिखाई देने या आंखों की रोशनी घटने यानि मायोपिया की बीमारी सिर्फ 7 फीसदी को थी लेकिन कोरोना के बाद साल 2021 में किए गए सर्वे में यह बीमारी बढ़कर करीब 22 फीसदी बच्चों में पहुंच गई.
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एम्स दिल्ली में आरपी सेंटर, डिपार्टमेंट ऑफ ऑप्थेल्मोलॉजी के प्रोफेसर, डॉ. रोहित सक्सेना कहते हैं कि बच्चों की आउटडोर एक्टिविटी कम होने और घर के अंदर टीवी और मोबाइल फोन देखने की लत की वजह से आंखों की नजर इतनी कम उम्र में गिर रही है. हालांकि इसके लक्षण बच्चों में दिखाई देने लगते हैं. ऐसे में पेरेंट्स के लिए जरूरी है कि वे बच्चों की गतिविधियों को गौर से देखें और समय रहते बीमारी के लक्षणों की पहचान कर लें.
ये दिखाई देते हैं 3 लक्षण
. बच्चा किताब, मोबाइल फोन, टीवी या स्कूल में बोर्ड को नजदीक से देखे. दूर से बच्चे को दिखाई न दे.
. आंखों में बच्चे को कुछ चुभे और बच्चा बार-बार आंखों को खुजलाए या बच्चे की आंख से पानी आने लगे.
. तीसरा लक्षण है अगर बच्चे की आंख की पुतली एक तरफ रुक जाती हो, कुछ भैंगापन जैसा लगे तो समझ जाएं कि बच्चे की आंख में रिफरेक्टिव एरर आ रहा है.
क्या करें पेरेंट्स
डॉ. रोहित सक्सेना कहते हैं कि दुनियाभर में मायोपिया यानि द्रष्टिदोष तेजी से बढ़ रहा है. ईस्ट एशियन कंट्रीज में 80 से 90 फीसदी बच्चों में रिफरेक्टिव एरर यानि नजर की समस्या है. भारत के बच्चों में भी यह तेजी से बढ़ रहा है. इसलिए जरूरी है कि पेरेंट्स इन 3 लक्षणों पर गौर करके बच्चों को तत्काल किसी ऑप्थेल्मोलॉजिस्ट के पास ले जाएं और देर होने से पहले आंखों की जांच कराएं.
ये है बस उपाय..
डॉ. बताते हैं कि मायोपिया या रिफरेक्टिव एरर का एक ही उपाय है चश्मा. अगर आपके बच्चे की आंखों में ये बीमारी आ गई है तो उसको चश्मा लगाना जरूरी है. बिना चश्मे के दवाओं से यह कंट्रोल नहीं होता. इसलिए अगर आपके बच्चे के चश्मा लगा है तो उसे लगातार लगाना भी जरूरी है. ऐसा करने से मायोपिया कम भी हो सकता है लेकिन अगर बच्चा चश्मा नहीं लगाता है तो उसकी आंखों को खतरा और बढ़ सकता है.
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Tags: Child Care, Eyes, Health News, Lifestyle, Trending newsFIRST PUBLISHED : May 21, 2024, 08:20 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed