पुण्यतिथि: कैसे पता लगा कि राजीव गांधी की हत्या एक महिला ने की ये मानव बम थी
पुण्यतिथि: कैसे पता लगा कि राजीव गांधी की हत्या एक महिला ने की ये मानव बम थी
Death Anniversary of Rajiv Gandhi :21 की रात जब श्रीपेरांबुदूर में राजीव गांधी की हत्या हुई तो जो चार थ्योरीज चल रही थीं, उसमें ये कहीं नहीं था कि ये काम किसी मानव बम का है, जांच टीम ने कैसे इसका पता लगाया
हाइलाइट्स राजीव की हत्या के बाद बम विस्फोट की 4 थ्योरी चल रही थीं जो सभी गलत निकलीं चेन्नई के फोरेंसिक विभाग के डायरेक्टर ने कैसे नई थ्योरी पर जांच शुरू की और सही निकले कैसे उन्होंने अंदाज लगाया कि हत्या मानव बम से हुई और ये महिला थी
21 मई 1991 को एक चुनावी रैली के दौरान तमिलनाडु में एक आत्मघाती हमले में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी. चेन्नई के करीब श्रीपेरम्बदूर में उनकी हत्या मानव बम से की गई. हत्या के दो दिनों तक अंदाज नहीं था कि ये हत्या क्यों, कैसे और किसने की. दो दिनों की चुपचाप जांच के बाद इसका पता लगा था. जिससे जाहिर हुआ था कि हत्या एक महिला ने की, जो मानव बम बनकर वहां आई थी. वही जब राजीव गांधी के पैर छूने के लिए झुकी तभी उसने अपनी कमर में लग बम का ट्रिगर दबाया और देखते ही देखते राजीव गांधी और उस हत्यारिन समेत 18 लोगों की पलक झपकते विस्फोट से मौत हो गई.
आइए हम आपको बताते हैं कि कैसे जांच टीम इस नतीजे पर पहुंची कि ये हत्या एक गहन साजिश थी और इसे मानव बम बनी महिला ने अंजाम दिया था.
बम फ़टने के कुछ ही घंटे के भीतर तमिलनाडु फ़ॉरेंसिक साइंस डिपार्टमेंट के डायरेक्टर पी. चन्द्रशेखर घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने दो दिन चुपचाप अपनी जांच जारी रखी.
फिर दो दिनों बाद उन्होंने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट पेश की, जिसमें उन्होंने बताया, बम को बेल्ट की तरह एक औरत ने पहन रखा था. उसने हरे रंग का सलवार-कुर्ता पहना था. जब बम फटा, उस वक़्त वो राजीव गांधी के पैर छूने के लिए झुक रही थी.
हत्या की चार थ्योरीज शुरू में बताई गईं
जब फ़ॉरेंसिक डिपार्टमेंट की टीम की जांच के लिए पहुंची, तब तक बम फटने की चार थ्योरियां सामने आ रहीं थीं.
1. बम को रेड कारपेट के नीचे रखा गया था
2. बम फूलों से भरी एक डलिया में था
3. बम को हवा में उछाला गया था
4. बम राजीव गांधी को पहनाई माला में था
तब किसी को अंदाज भी नहीं था कि ये हत्या बम विस्फोट से बेशक हुई लेकिन इसके लिए मानव बम का इस्तेमाल किया गया. चंद्रशेखर ने दो थ्योरी को तुरंत नकार दिया.
– न तो हत्या डलिया में बम होने से हुई थी
– न ही रेड कारपेट के नीचे बम रखे जाने से
क्योंकि अगर ऐसा होता तो डलिया कई जगहों से टूटी होती. उसका कुछ भी नहीं बचा होता, जो नहीं हुआ था. रेड कारपेट भी उस तरह डैमेज नहीं हुआ था यानि बम को उसके नीचे भी नहीं रखा गया था.
– तीसरी थ्योरी भी उन्होंने नकार दी कि बम को हवा में राजीव गांधी के ऊपर फेंका गया था. ऐसा होने पर क्षति दूर तक और ज्यादा होती जबकि सारा हादसा एक सर्किल के भीतर ही दीख रहा था.
– चौथी थ्योरी भी नकार दी गई कि बम माला में रहा होगा क्योंकि इतने शक्तिशाली बम को पतली और छोटी माला में छिपाना संभव नहीं था.
अब फिर आगे क्या हुआ
चंद्रशेखर ने बम विस्फोट में मारे गए 16 शवों का परीक्षण किया. इनमें एक शव राजीव गांधी का भी था. एक शव ऐसा भी था जिसमें अवशेष ही बचे थे. इसकी त्वचा नाजुक थी और त्वचा के सारे बाल उड़ गए थे, इससे ये पता लगा कि बम का सबसे ज्यादा असर एक महिला पर और उनके सामने खड़े राजीव गांधी पर ही हुआ था. महिला के शव का सिर्फ सिर, लेफ़्ट बाजू और कमर के नीचे का कुछ हिस्सा ही बचा था. पूरा दाहिना हाथ और पेट का हिस्सा गायब था. इससे जाहिर होने लगा कि हत्या मानव बम से हुई और ये एक महिला थी.
हत्या से ऐन पहले खींची गईं तस्वीरों ने भी ये बयां कर दिया कि मानव बम कोई और नहीं वो महिला ही थी, जो राजीव गांधी का पैर छूने के लिए झुक रही थी. जांच में डेनिम के कपड़े की बनियान मिली, जिसमें वेल्क्रो लगा हुआ था. मतलब ये था कि बम को इसी में बेल्ट के जरिए लगाया गया होगा. किसी केस के चक्कर में कुछ महीने पहले चंद्रशेखर ने इंग्लैंड में ऐसी ही एक वेल्क्रो लगी बनियान देखी थी. वेल्क्रो मतलब ऐसी बेल्ट जो रोएंदार टेप की तरह हो, जिसका इस्तेमाल पेट या बनियान पर किसी चीज को चिपकाने के लिए किया गया हो और साथ ही इसे बेल्ट से बांधा गया हो.
तस्वीरें और जांच अब पुख्ता तरीके से ये बताने लगी थीं कि हत्या इसी महिला ने की और यही मानव बम थी. सारे शवों के पैर किसी गोले के केंद्र की ओर इशारा कर रहे थे. ये भी जाहिर हो रहा था कि ब्लास्ट ज़मीन के तीन-साढ़े तीन फ़ीट ऊपर हुआ था. बम पेट की नहीं था बल्कि पीठ की ओर लगाया गया था, क्योंकि महिला का चेहरा बच गया था लेकिन उसका सिर का पिछला हिस्सा उड़ गया था.
जब महिला के कपड़े देखे गये तो मालूम चला कि उसकी सलवार एकदम ठीक थी. जबकि कमीज़, दुपट्टा और ब्रा के चीथड़े उड़ गए थे. ब्रा, डेनिम बनियान से चिपक गयी थी. इसका मतलब था कि बम वाली डेनिम की बनियान, ब्रा और कमीज़ के बीच में पहनी गयी थी.
मान लीजिये कोई आपके कोई पैर छूने आता है तो आप क्या करते हैं? उसे उठाएंगे और इसके लिए कुछ झुकेंगे. यही काम राजीव गांधी ने किया. जैसे ही मानव बम और पैर छूने के लिए नीचे झुकी, राजीव गांधी ने कुछ झुककर उसे उठाने की कोशिश की, इसी समय उसने ट्रिगर दबा दिया. इसी वजह से राजीव गांधी का चेहरा पूरी तरह से उड़ गया. चेहरे की हड्डियां दूर तक फैल गईं.
जांच किस नतीजे पर पहुंची
– हत्या मानव बम से हुई
– ये मानव बम वही महिला थी जो उनका पैर छूने के लिए झुुकी थी
चंद्रशेखर को इस क्राइम की पूरी रिपोर्ट और डॉक्यूमेंट तैयार करने में 06 महीने का समय लगा. इसमें कई उन तस्वीरों का सहारा लिया गया जो ब्लास्ट के पहले और बाद में खींचीं गयी थीं. इस महिला का नाम धनु था, जो लिट्टे की सदस्य थी.
कहां हैं अब राजीव के हत्यारे
अब आइए बात करते हैं कि राजीव गांधी के हत्यारों की. इस हत्याकांड में ट्रायल कोर्ट ने 26 दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई थी. हालांकि मई 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने 19 लोगों को बरी कर दिया था. बचे हुए सात में से चार अभियुक्तों (नलिनी, मुरुगन उर्फ श्रीहरन, संथन और पेरारिवलन) को मृत्युदंड सुनाया गया और बाक़ी (रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार) को उम्र क़ैद की सज़ा मिली.
चारों की दया याचिका पर तमिलनाडु के राज्यपाल ने नलिनी की मौत की सज़ा तो उम्र क़ैद में तब्दील कर दी. बाकी अभियुक्तों की दया याचिका 2011 में राष्ट्रपति ने ठुकरा दी थी. इस साल अप्रैल में इन सभी की सजा पूरी हो गई और इन्हें रिहा कर दिया गया. अब राजीव गांधी की हत्या में कोई जेल में नहीं है. अंतिम तीन दोषियों मुरुगन उर्फ श्रीहरन, जयकुमार और रॉबर्ट पायस को तीन दशकों तक जेल की सजा काटने के बाद उच्चतम न्यायालय ने करीब दो वर्ष पहले उन्हें रिहा कर दिया. ये सभी श्रीलंका भेज दिए गए.
Tags: Congress, Prime minister, Priyanka gandhi, Rahul gandhi, Rajiv GandhiFIRST PUBLISHED : May 21, 2024, 08:20 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed