गर्मी के निशाने पर देश के ये 3 बड़े शहर 12 साल में हजारों को लील गई हीट वेव
गर्मी के निशाने पर देश के ये 3 बड़े शहर 12 साल में हजारों को लील गई हीट वेव
भारत में हीट वेव का कहर जारी है. ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन की वजह से पड़ रही भीषण गर्मी की वजह से पिछले 12 साल तक हजारों लोगों की मौत हुई है.
हर व्यक्ति जिंदगी को सुख-सुविधाओं से जीने के लिए देश के बड़े शहरों में रहना चाहता है लेकिन यही बड़े शहर अब लोगों के लिए जानलेवा हो रहे हैं. भारत के कई बड़े शहर गर्मी के निशाने पर हैं और यही वजह है कि पिछले 12 सालों में इन शहरों में हजारों लोगों की जान हीट वेव यानि भीषण लू और गर्मी की वजह से चली गई है. हाल ही में इनवायरनमेंटल इंटरनेशनल जर्नल 2024 में छपी ये मल्टी सेंटर स्टडी आपकी आंखें खोलने के लिए काफी है.
देश के 10 बड़े या मेट्रो शहरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, हैदराबाद, बंगलुरू, पुणे, शिमला, वाराणसी के आंकड़ों को इकठ्ठा कर हुई स्टडी बताती है कि साल 2008 से लेकर 2019 तक इन शहरों में हर साल करीब 1116 लोगों की मौत भीषण हीट वेव की चपेट में आने से हुई है.
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स्टडी बताती है कि एक दिन में बहुत ज्यादा तापमान की वजह से 12.2 फीसदी रोजाना मृत्यु दर बढ़ी है. जबकि अगर दो दिन तक लगातार हीट वेव बनी रही है तो यह प्रतिशत 14.7 फीसदी, तीन दिन लगातार हाई टेंपरेचर रहने पर मृत्यु दर 17.8 फीसदी और लगातार 5 दिन तक इतना ही गर्म मौसम रहने पर मृत्यु दर में 19.4 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखी गई है.
ये शहर हैं गर्मी के निशाने पर..
स्टडी के अनुसार 10 शहरों में से छह शहरों में चिलचिलाती गर्मी की वजह से मौतों का प्रतिशत ज्यादा रहा है. इनमें दिल्ली, अहमदाबाद, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नई और वाराणसी शामिल हैं. जबकि टॉप थ्री शहरों में दिल्ली, अहमदाबाद और चेन्नई हैं, जहां आसमान से बरसती आग ने हजारों जानें लील लीं.
एक्सट्रीम हीट वेव का हुआ ये असर..
फॉर्टिस अस्पताल, शालीमार बाग, क्रिटिकल केयर में सीनियर डायरेक्टर डॉ. पंकज कुमार कहते हैं कि हीट वेव में कार्डियोवैस्कुलर बीमारियां मौतों का प्रमुख कारण रही हैं. 65 साल से ऊपर के लोग और बच्चे हीट वेव के आसान शिकार रहे हैं. हीट वेव की वजह से होने वाले डिहाइड्रेशन की वजह से कार्डियो की समस्याएं हुईं और किडनी फेल हुईं, या रेस्पिरेटरी डिसऑर्डर हुआ, जिससे लोगों की मौतें हुई. बहुत सारे लोग जो कोमोरबिड हैं या न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से जूझ रहे हैं वे बॉडी के तापमान को कंट्रोल नहीं कर पाए और हीट स्ट्रोक या हीट एक्सहॉशन का शिकार हुए हैं.
वहीं दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन विभाग में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. एम वली कहते हैं कि 39 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा बॉडी टेंपरेचर शरीर पर खराब असर डालता है, जबकि 40 डिग्री सेल्सियस या 104 डिग्री फारेनहाइट से ऊपर पहुंचने पर यह शरीर के न्यूरोनल फंक्शन को लकवा ग्रस्त भी बना सकता है. अगर शरीर में पसीने का मैकेनिज्म काम नहीं करता है तो यह हीट स्ट्रोक की वजह से कोमा तक कर सकता है. इस साल भी उत्तर भारत के अस्पतालों में 5 से 10 मौतें हीट वेव की वजह से देखी जा रही हैं.
इन शहरों में मौतों का क्या है कारण..
भारतीय मौसम विभाग के पूर्व डीजीएम डॉ. के जे रमेश कहते हैं कि हर साल हीट वेव में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से है. इतना ही नहीं शहरों में बड़े स्तर पर हो रहा कंस्ट्रक्शन कार्य और प्रदूषण भी गर्मी को बढ़ाने में मददगार है. जितने भी बड़े शहरों में हीट वेव का खतरनाक प्रकोप देखने को मिल रहा है वहां कंक्रीट का जंगल फैल रहा है, जबकि पेड़-पौधों की संख्या कम हो रही है. इसलिए जरूरी है कि एक्सट्रीम हीट से बचाव के लिए पेड़ पौधों को लगाने के साथ ही पर्यावरणीय संतुलन बनाने की जरूरत है.
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Tags: Ahmedabad, Chennai news, Child death, Delhi news, Heat WaveFIRST PUBLISHED : June 26, 2024, 13:36 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed