कॉलेजियम के फैसले के खिलाफ जज पहुंचे SC फिर जो हुआ बन गया इतिहास

हिमाचल प्रदेश कॉलेजियम के फैसले को वहां के दो सीनियर जिला जजों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. उनका कहना था कि वो हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में प्रमोशन के हकदार थे लेकिन इसे नजरअंदाज कर दिया गया.

कॉलेजियम के फैसले के खिलाफ जज पहुंचे SC फिर जो हुआ बन गया इतिहास
हाइलाइट्स हिमाचल प्रदेश के दो जज ने कॉलेजियम के फैसले को चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया. हिमाचल कॉलेजियम के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया. नई दिल्‍ली. ऐसा माना जाता रहा है कि जजों की नियुक्ति के लिए बनाए गए कॉलेजियम को चैलेंज नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने इस मिथक को शुक्रवार को तोड़ दिया. हिमाचल प्रदेश के दो सीनियर डिस्ट्रिक्‍ट  जज ने सुप्रीम कोर्ट में हिमाचल प्रदेश कॉलेजियम के फैसले को चुनौती दी. अपनी अर्जी में दोनों जजों ने कहा कि वो हाईकोर्ट में प्रमोश के हकदार थे लेकिन उनकी उम्‍मीदवारी को नजरअंदाज कर दिया गया. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पहली बार हिमाचल प्रदेश कॉलेजियम के फैसले को खारिज कर दिया. याचिका को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे विचार योग्‍य माना. शीर्ष अदालत ने इस साल की शुरुआत में कॉलेजियम द्वारा की गई चयन प्रक्रिया को रद्द कर दिया. न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने कहा कि कॉलेजियम का फैसला परामर्श के अभाव के कारण प्रभावित हुआ, क्योंकि हाईकोर्ट के चीफ जस्टि ने व्यक्तिगत रूप से दो जिला न्यायाधीशों के नामों पर पुनर्विचार न करने का फैसला किया था. बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस  कॉलेजियम के अन्य जजों के परामर्श से निर्णय लेना चाहिए था. यह भी पढ़ें:- केजरीवाल सरकार काटेगी तिहाड़ जेल के अफसरों की सैलरी! किसको देने का है प्‍लान, नई योजना का ऐलान हिमाचल प्रदेश कॉलेजियम का फैसला खारिज सुप्रीम कोर्ट ने ने “प्रभावी परामर्श के अभाव” के कारण हिमाचल प्रदेश कॉलेजियम के फैसले को खारिज कर दिया. बेंच ने निर्देश दिया कि हाईकोर्ट के कॉलेजियम को अब प्रक्रिया ज्ञापन (MOU) के तहत चयन तंत्र के लिए निर्धारित मानदंडों के अनुसार दो जिला न्यायाधीशों के नामों पर पुनर्विचार करना चाहिए, जो संवैधानिक न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति का मार्गदर्शन करता है. सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय शीर्ष  कोर्ट द्वारा कॉलेजियम के निर्णय में हस्तक्षेप करने का पहला उदाहरण है. इस तरह के मामलों को आमतौर पर न्यायालय द्वारा प्रशासनिक रूप से निपटाया जाता है. कॉलेजियम के निर्णयों के खिलाफ याचिकाओं को अक्‍सर अदालतें सुनने से बचती हैं. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश को किया नजरअंदाज बिलासपुर के जिला न्यायाधीश चिराग भानु सिंह और सोलन के अरविंद मल्होत्रा ​​ने मई में शीर्ष न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के कॉलेजियम ने उनकी योग्यता और वरिष्ठता दोनों की अनदेखी की. साथ ही हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए उनके नामों पर विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की एक सिफारिश की भी अनदेखी की. सिंह ने पहले प्रतिनियुक्ति पर सर्वोच्च न्यायालय में रजिस्ट्रार के रूप में भी काम किया था. Tags: Himachal pradesh news, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : September 6, 2024, 23:55 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed