कोलकाता में 10 सालों में 30 फीसदी घटी हरियाली पेड़ों की कटाई में अहमदाबाद सबसे आगे
कोलकाता में 10 सालों में 30 फीसदी घटी हरियाली पेड़ों की कटाई में अहमदाबाद सबसे आगे
कोलकाता की डिजिटल सीमा करीब 186.6 वर्ग किमी है जिसका 1 फीसदी से भी कम यानी 1.8 वर्ग किमी क्षेत्र जंगल से घिरा है. 2011 के सर्वेक्षण क दौरान यह जंगल का क्षेत्र करीब 2.5 वर्ग किमी था.
हाल ही में आई इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2021 में बताया गया है कि बीते दस सालों में यानी 2011 से 2021 की अवधि में कोलकाता के जंगलों में 30 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. वहीं अगर राज्य के स्तर पर बात करें तो यह कुल 70 वर्ग किमी और दो सालों में 1 फीसदी की गिरावट दर्शाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि शहर में आने वाले चक्रवात के अलावा शहरी विकास परियोजनाओं के चलते तेजी से जंगलों की कटाई की गई है. 88,752 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले राज्य का कुल 16,832 वर्ग किमी जंगली क्षेत्र है.
रिपोर्ट कहती है 2019 में यह जंगल का इलाका 16,901 वर्गकिमी था. पर्यावरणविद और जंगलों को बचाने में जुटे सामाजिक कार्यकर्ताओं का भी यही मानना है कि विकास परियोजनाओं जैसे फ्लाइओवर, मेट्रो, और दूसरे निर्माण कार्यों के चलते और लगातार आते चक्रवातों की वजह से बड़े स्तर पर पेड़ गिरे और गिराए गए हैं. खास बात यह है कि इसकी जगह लगाए गए नए पौधे महज सुंदरता बढ़ाने के लिए हैं और एक औपचारिकता बन कर रह गए हैं. रिपोर्ट बताती है कि सुंदरबन बाघ संरक्षण क्षेत्र ने भी पिछले 10 सालों में 50 वर्ग किमी जंगल खोया है. यह पहली बार है जब सर्वेक्षण रिपोर्ट में बाघ संरक्षण क्षेत्र के अंदर और बाघ कॉरीडोर क्षेत्र को भी कवर किया गया है.
किस बड़े शहर में कितने जंगल कम
रिपोर्ट के अनुसार कोलकाता की डिजिटल सीमा करीब 186.6 वर्ग किमी है जिसका 1 फीसदी से भी कम यानी 1.8 वर्ग किमी क्षेत्र जंगल से घिरा है, 2011 के सर्वेक्षण क दौरान यह जंगल का क्षेत्र करीब 2.5 वर्ग किमी था यानी बीते दस सालों में करीब 30 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. भारत के तमाम बड़े शहरों की बात की जाए तो कोलकाता से आगे सिर्फ अहमदाबाद है जहां वृक्षों की कटाई की फीसदी 48 है. वहीं चैन्नई (26 फीसदी), दिल्ली (11 फीसदी) और हैदराबाद (7 फीसदी) और मुंबई (9 फीसदी) शहरों में बीते 10 सालों में जंगल बढ़े हैं. हालांकि जंगल से इतर अगर हरियाली की बात की जाए तो बंगाल में बीते दो सालों में यानि 2019 (2006 वर्ग किमी) की तुलना में 17 फीसदी (2349 वर्ग किमी) की वृद्धि दर्ज की गई है.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के वरिष्ठ विजिंटिंग फेलो अनुराग डांडा का कहना है कि वृक्षारोपण की वजह से पेड़ों का क्षेत्रफल तो बड़ा है लेकिन चिंता की बात बंगाल में फैले जंगलों का कम होना है भले ही अभी वह बहुत कम ही क्यों न हो.
वहीं बंगाल के प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल के प्रमुख सौमित्र दासगुप्ता का इस बारे में कहना था कि शहर में जो पेड़ों का क्षेत्रफल बड़ा है वह राज्य की वृक्षारोपण पहल की सफलता को दिखाता है. जहां तक जंगल की बात है तो उसमें जो कमी नजर आ रही है वह मामूली है और हो सकता है जब सर्वेक्षण किया गया हो उस दौरान वन क्षेत्रों में कुछ कटाई की गई हो. लेकिन जहां तक रिपोर्ट का सवाल है बंगाल का हरित स्वास्थ्य पूरी तरह से दुरुस्त है.
नेचर, एन्वायर्नमेंट एंड वाइल्डलाइफ सोसायटी के बिस्वजीत रॉय चौधरी का मानना है कि चक्रवात और सड़कों को चौड़ा करने के साथ-साथ, रियल एस्टेट में विकास ने बड़े पैमाने पर पेडों की कटाई को बढ़ावा दिया है. इससे ही सबसे ज्यादा कोलकाता की हरियाली को नुकसान पहुंचा है, यहां तक कि कोलकाता के आसपास के इलाकों मे पक्षियों के घरों को भी खत्म किया जा रहा है. इस मामले में न्यू टाउन सबसे आगे हैं. वहीं गरिया जैसे क्षेत्रों में भी हरियाली को बहुत नुकसान हो रहा है.
देश के राज्यों में कितने घने हैं जंगल
अगर देश के सबसे ज्यादा पेड़ों से घिरे राज्यों की बात की जाए (जंगल के अलावा हरित क्षेत्र जो वृक्षारोपण से बढ़ा है) तो उसमें राजस्थान, मध्यप्रदेश और कर्नाटक आते हैं. 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का करीब 33 फीसदी भौगोलिक क्षेत्र वनों से घिरा है. इनमें लक्षद्वीप, मिजोरम, अंडमान-निकोबार, अरुणाचल प्रदेश और मेघालाय में 75 फीसदी इलाका वनों से आच्छादित है. जबकि मणिपुर, नागालैंड, त्रिपुरा, गोवा, केरल, सिक्किम, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, दादर नगर हवेली और दमन दीव, असम और ओडीशा में 33 से 75 फीसदी के बीच का क्षेत्र वनों से घिरा है. अगर पूरे देश की बात की जाए तो इसका 95,748 वर्गकिमी का क्षेत्र यानि करीब 2.9 फीसदी भौगोलिक क्षेत्र पेड़ों से घिरा है. अगर 2019 से तुलना की जाए तो इसमें करीब 721 वर्गकिमी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
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Tags: Forest area, Kolkata NewsFIRST PUBLISHED : August 26, 2022, 13:31 IST