हरियाणा में किसका पलड़ा भारी कितनी टाइट है फाइट आंकड़ों से समझें

हरियाणा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों दल फिलहाल, उम्मीदवार घोषित करने के साथ पार्टी में एकजुटता कायम करने में लगे हैं. लेकिन अगर यहां 2014 से अब तक हुए चुनाव नतीजों के आंकड़े देखें जाय तो राज्य में होने वाले विधान सभा का आंकलन मिलता है.

हरियाणा में किसका पलड़ा भारी कितनी टाइट है फाइट आंकड़ों से समझें
कई मोर्चों पर चल रहे हरियाणा के दंगल के बीच पिछले लोकसभा और विधान सभा चुनावों के कुछ आंकड़े दिलचस्प तसवीर पेश करते हैं. राज्य में 2019 में बीजेपी ने जोरदार प्रदर्शन किया था. पार्टी को उस चुनाव में राज्य की सारी लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी. 2019 से पहले 2014 में भी बीजेपी का पलड़ा भारी रहा. नरेंद्र मोदी की अगुवाई में जब पहली बार बीजेपी की सरकार बनी तो उस समय हरियाणा से बीजेपी को सात सीटें मिली थी. जबकि कांग्रेस इंडियन नेशनल लोकदल को दो सीटों पर जीत हासिल हुई थी. फिर 2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस का मुकाबला बराबरी का रहा. दोनों को पांच पांच सीटें मिलीं. राज्य में लोकसभा की कुल 10 सीटें हैं. 4 जून में लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के आठ महीने बाद विधान सभा चुनावों के नतीजे आएंगे. लोकसभा के लिए देश भर में सात चरणों में मतदान हुआ था. जबकि हरियाणा की 90 विधान सभा सीटों के लिए एक ही चरण में 5 अक्टूबर को मतदान होना है. मतलब करीब चार महीने बाद हरियाणा के लोग अपने राज्य के लिए सरकार चुनेंग. साल 2014, 19 और 2024 लोकसभा और उसके बाद विधान सभा चुनावों में मतदाताओं ने जिस हिसाब से वोट दिए, उनकी एनॉलिसिस करने पर विधान सभा नतीजों की जो तसवीर बनती है, उसमें बीजेपी की राह आसान नहीं दिखती. हां, ये स्थिति तब के लिए होगी जब वोटिंग पैटर्न पिछले जैसा ही रहे. हरियाणा चुनाव में सबसे अहम बात ये दिखती है कि इन सभी चुनावों में राज्य में लड़ रहे दोनों मुख्य पार्टियों के बीच हार जीत का अंतर लगातार घटा है. यानी मुकाबले कड़े हुए हैं. 2019 के लोकसभा नतीजों को विधानसभावार करके देखा जाय तो उस समय सबसे कड़े मुकाबले वाली 30 सीटों पर जीत हार का अंतर 13.3 फीसदी के वोट शेयर का था जो 2024 में घट कर 3.8 फीसदी आ गया. 2019 में आए लोकसभा नतीजों को अगर विधान सभा सीटों में बदल कर देखा जाय तो राज्य की 90 में से 79 बीजेपी के हिस्से में आतीं. वो भी जीत का एवरेज अंतर 50 हजार वोटों का रहता. कांग्रेस को उस स्थिति में 10 सीटों पर जीत मिलती और उसके जीत का एवरेज अंतर 32 हजार होता. इस लोक सभा चुनाव में अगर देखा जाय तो 90 में से 73 सीटों पर कांग्रेस बीजेपी को टक्कर देती हुई दूसरे स्थान पर थी. कुल 11 सीटें ऐसी थी जिन पर हार जीत का अंतर 10 फीसदी से कम था. बहरहाल, 2019 में जब विधान सभा के चुनाव हुए तो बीजेपी को लोकसभा सभा जैसा समर्थन नहीं मिला. पार्टी को विधान सभा में सबसे बड़ी पार्टी तो बनी लेकिन बहुमत से 6 कम 40 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा. कांग्रेस को 31 सीटें मिली. जेजेपी को 10 और इंडियन नेशनल लोकदल को 1 सीट हांसिल हुई. मतलब जिस तरह से लोकसभा में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत हुई थी वैसे नतीजे विधान सभा चुनाव में नहीं रहे. यहां बीजेपी का जीत का एवरेज अंतर 17 हजार पर आ गया. जबकि कांग्रेस की जीत का एवरेज अंतर 13 हजार पर आ गया. 2024 में फिर लोकसभा चुनाव में वोटरों का मन बदला. उन्होंने कांग्रेस और बीजेपी को 5- 5 सीटें दे दीं. अगर इस नतीजे को विधान सभावार समझने का प्रयास किया जाय तो प्रदेश में 33 सीटें ऐसी दिखती है जहां जीत का अंतर 10 फीसदी से कम रहा. इस तरह की बीजेपी की 17 और कांग्रेस की 13 सीटें रही. बाकी सीटों पर अन्य थे. Tags: BJP Congress, Haryana election 2024FIRST PUBLISHED : September 9, 2024, 15:26 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed