Explainer : भारत से बहुत कम ब्रिटेन की आबादी तो संसद में सीटें ज्यादा क्यों
Explainer : भारत से बहुत कम ब्रिटेन की आबादी तो संसद में सीटें ज्यादा क्यों
ब्रिटेन में पहली बार वोटिंग 1802 में हुई और सरकार बनी. लेकिन हकीकत में ब्रिटेन का लोकतंत्र 1832 से शुरू माना जाता है, जब लोगों को वहां वोट देने का अधिकार दिया गया. जानते हैं वहां की संसद के बारे में.
हाइलाइट्स भारत की जनसंख्या ब्रिटेन से 20 गुना ज्यादा हाउस ऑफ कॉमंस में 650 सीटें हैं हाउस ऑफ लॉर्ड्स में करीब 800 सदस्य
ब्रिटेन में 1802 में पहली संसद गठित हुई और पहली सरकार राजा द्वारा नियुक्त की गई. असल में ब्रिटेन में संसदीय लोकतंत्र की शुरुआत 1832 में उस कानून के बाद हुई, जिसमें पुरुषों को वोट देने का अधिकार दिया गया. क्या आपको मालूम है कि ब्रिटेन की संसद के कितने हिस्से होते हैं, कितने सदस्य होते हैं और ये कैसे काम करती है. वैसे ये हैरानी का विषय है कि भारत की आबादी ब्रिटेन से कई गुना ज्यादा होने के बाद भी वहां की संसद में कहीं ज्यादा सीटें हैं. क्या है इसकी वजह.
ब्रिटेन की जनसंख्या भारत की तुलना में बहुत कम है, लेकिन ये बात सही है कि वहां संसद में भारत से ज्यादा सीटें हैं
– 2022 तक ब्रिटेन की जनसंख्या लगभग 6.85 करोड़ है जबकि भारत की जनसंख्या 140 करोड़ से ज्यादा है. इस प्रकार भारत की जनसंख्या ब्रिटेन की जनसंख्या से 20 गुना अधिक है.
– ब्रिटेन में दो सदनों वाली विधायिका संसदीय प्रणाली है – हाउस ऑफ कॉमंस में 650 सीटें हैं और हाउस ऑफ लॉर्ड्स में करीब 800 सदस्य हैं. इसके उलट भारत की संसद भी द्विसदनीय है, जिसमें लोकसभा (निचला सदन) में 543 निर्वाचित सीटें और राज्यसभा (उच्च सदन) में 245 सीटें हैं. इसलिए ब्रिटेन की संसद में सीटों की कुल संख्या भारत की तुलना में काफी अधिक है.
– ब्रिटेन की संसदीय सीटें उसके चार घटक देशों – इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड में वितरित हैं. सीटों की संख्या जनसंख्या के आकार जैसे कारकों के साथ-साथ इतिहास, भूगोल और राजनीति से भी निर्धारित होती हैं. वहीं भारत की संसदीय सीटें मुख्य रूप से जनसंख्या के आधार पर 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों को आवंटित की जाती हैं.
सवाल – ब्रिटेन की संसद के कितने हिस्से हैं और ये चुनाव किस सदन के लिए हुए हैं?
– ब्रिटेन की संसद के दो सदन हैं लेकिन इसके तीन भाग होते हैं – संप्रभु (the sovereign) , हाउस ऑफ लॉर्ड्स (the House of Lords) और हाउस ऑफ कामंस (the House of Commons). कानून बनाने के लिए एक साथ काम करने वाले इन तीन भागों को किंग-इन-पार्लियामेंट कहा जाता है.
हाउस ऑफ कामंस संसद का निर्वाचित निचला सदन है, जिसमें 650 सीटों के लिए हर पांच साल पर चुनाव होते हैं. संवैधानिक परंपरा के अनुसार , प्रधानमंत्री सहित सभी सरकारी मंत्री हाउस ऑफ कामंस या हाउस ऑफ लॉर्ड्स (हालांकि ये कम होता है) के सदस्य होते हैं. अधिकांश कैबिनेट मंत्री कामंस से होते हैं, जबकि जूनियर मंत्री किसी भी सदन से हो सकते हैं.
हाउस ऑफ लॉर्ड्स संसद का ऊपरी सदन है. इसमें दो प्रकार के सदस्य होते हैं, सबसे अधिक संख्या में लॉर्ड्स टेम्पोरल हैं, जिसमें मुख्य रूप से प्रधानमंत्री की सलाह पर संप्रभु द्वारा नियुक्त आजीवन सदस्य शामिल हैं, इसमें वंशानुगत राजपरिवार से जुड़े 92 सदस्य होते हैं. इसमें चर्च ऑफ इंग्लैंड के 26 बिशप भी शामिल होते हैं. यूनाइटेड किंगडम की संसद दुनिया की सबसे पुरानी विधायिका है. दुनियाभर की संसद इससे प्रभावित रही हैं. इसलिए इसे संसद की मां भी कहा जाता है.
सवाल – ब्रिटेन में हाउस ऑफ कामंस की कितनी सीटों के लिए चुनाव होते हैं और कैसे होते हैं?
– भारत की तरह ब्रिटेन में भी चुनावों में कई पार्टियां शिरकत करती हैं. हालांकि 100 सालों के दौरान मुख्य मुकाबला कंजरवेटिव पार्टी और लेबर पार्टी में ही होता रहा है. लेकिन इसके अलावा भी सदन में कई पार्टियां हैं. जिनके पास एक से ज्यादा सीटें हैं. हालांकि मौजूदा सदन में लेबर और कंजरवेटिव के बाद तीसरी बड़ी पार्टी स्काटिश नेशनल पार्टी है, जिसके हाउस ऑफ कामंस में 43 सदस्य हैं. ब्रिटेन में दर्जन भर से ज्यादा छोटी बड़ी पार्टियां हैं.
कुल मिलाकर 650 सीटों के लिए चुनाव होते हैं. जिस पार्टी के पास 326 सीटें होती हैं, वो बहुमत में आ जाती है और सरकार बना सकती है. भारत की तरह यहां भी वोटर एक वोट देता है और अपने निर्वाचन क्षेत्र में वोटिंग में हिस्सा लेता है. अभी हालांकि ब्रिटेन चुनावों के परिणाम पूरी तरह नहीं आए हैं लेकिन लेबर पार्टी 400 से ज्यादा सीटें जीतकर अभूतपूर्व जीत हासिल करने वाली है
सवाल – क्यों ब्रिटेन के चुनावों में एक नहीं बल्कि चार देश हिस्सा लेते हैं और हर देश के पास सीटें कितनी होती हैं?
– ब्रिटेन में चुनावों का मतलब है इंग्लैंड, वेल्स, स्काटलैंड और उत्तरी आयरलैंड के संगठन का चुनाव, क्योंकि ग्रेट ब्रिटेन इन चारों देशों का प्रतिनिधित्व करता है. इंग्लैंड में इस चुनाव के लिए 543 सीटें हैं तो स्काटलैंड में 57, वेल्स में 32 और उत्तरी आयरलैंड में 18 सीटें.
सवाल – ब्रिटेन में वोट बैलेट बॉक्स में डाले जाते हैं या ईवीएम में?
– ब्रिटेन में वोट बैलेट बॉक्स में डाले जाते हैं. यहां ईवीएम का इस्तेमाल कभी किया ही नहीं किया गया और ना ही भविष्य में ऐसा करने का कोई इरादा नजर आता है.
सवाल – ब्रिटेन में कितने मतदाता हैं और यहां वोट देने के लिए क्या आयुसीमा है?
– ब्रिटेन में मौजूदा चुनावों में करीब 05 करोड़ मतदाता हिस्सा लेंगे. चुनाव में वोटिंग सुबह 07 बजे शुरू होती है और रात में 10.00 बजे तक चलती है. इसके तुरंत बाद ही काउंटिंग का काम भी शुरू हो जाता है. बहुत सी जगहों के परिणाम रात में ही आ जाते हैं.
यहां वोट देने के लिए 18 वर्ष का होना जरूरी है. वोट देने वाले को ब्रिटिश नागरिक या आयरलैंड का नागरिक होना चाहिए. यहां पर जेल में सजा काट रहे कैदियों और हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्यों को वोट देने का अधिकार नहीं होता.
सवाल – ब्रिटेन में रंगों के आधार पर मुख्य पार्टी का रंग और निशान क्या है?
कंजर्वेटिव पार्टी का रंग नीला है. इस पार्टी का गठन 1834 में हुआ. इसे सेंट्रल और राइटिस्ट पार्टी माना जाता है, ये आमतौर पर कंजरवेटिव, इकोनॉमिक लिबरल और राष्ट्रवादी पार्टी की छवि रखती है. इन्हें टोरीज़ भी कहा जाता है. वहीं लेबर पार्टी का रंग लाल है. ये वामपंथी पार्टी है. लाल रंग ‘गुस्साए मज़दूरों के खून’ का प्रतिनिधित्व करता है. ये पार्टी 1900 में स्थापित हुई.
सवाल – लेबर पार्टी के पिछले प्रधानमंत्री कौन थे?
– लेबर पार्टी ने ब्रिटेन में आखिरी बार 2010 तक शासन किया, तब उसके प्राइम मिनिस्टर टॉनी ब्लेयर थे, जो लगातार तीन टर्म 1997, 2001 और 2005 में प्रधानमंत्री बने. इसके बाद लेबर पार्टी जो सत्ता से बाहर हुई तो अब लौटी है.
FIRST PUBLISHED : July 5, 2024, 17:07 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed