सब्जी बेचकर परिवार चलाता है यह शख्स हादसे में गवां दिया था शरीर का अभिन्न अंग

मकरंद नगर निवासी हरनाम ने बताया कि परिवार को पालने के लिए सारे कष्ट पीछे रह गए. दर्द भी बहुत होता है, लेकिन जीना भी है और परिवार को पालना भी है. कानपुर में सड़क हादसे ने मेरा हाथ ले लिया. इसके बाद लोगों ने चंदा कर इलाज करवाया. पत्नी ने कभी साथ नहीं छोड़ा और आज भी किसी पर निर्भर नहीं है. मेहनत कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं.

सब्जी बेचकर परिवार चलाता है यह शख्स हादसे में गवां दिया था शरीर का अभिन्न अंग
कन्नौज. उत्तर प्रदेश के कन्नौज में एक अधेढ़ शख्स जिंदादिली का मिशाल पेश कर रहे हैं. इनपर जिनकी भी नजर पड़ती है, वे हिम्मत और हौंसले की जरूर तारीफ करते हैं. 60 साल की उम्र में भी हरनाम लगातार मेहनत कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. करीब 25 साल पूर्व एक दर्दनाक हादसे में दाहिना हाथ गवां दिया, लेकिन जिंदगी से हार नहीं मानी. किसी पर बोझ बनने के बजाए सब्जी बेचकर परिवार चला रहे हैं. हरनाम किसी भी निर्भर रहने के बजाए सारा काम खुद से ही करते हैं. सब्जी बेचकर परिवार का कर रहे हैं भरण-पोषण कन्नौज के मकरंदनगर क्षेत्र के रहने वाले हरनाम करीब 25 साल पूर्व रक्षाबंधन से 12 दिन पहले अपनी बहन के घर बस से सवार होकर कानपुर जा रहे थे. तभी एक हादसे में उनका हाथ कट गया.हालांकि काफी जद्दोजहद के बाद हरमान की जिंदगी बच गई. लेकिन, हरनाम ने जिंदगी से हार नहीं मानी और एक हाथ कट जाने के बाद भी काम करते रहे. हरनाम शुरुआत से ही बेहद गरीब परिवार के थे. हादसे के वक्त उनके पास कुछ भी ऐसा नहीं था कि अच्छा इलाज हो सके. कानपुर के सरकारी अस्पताल में हुआ इलाज कानपुर के सरकारी अस्पताल में इलाज हुआ और उसके बाद हरनाम वहां से यहां चले आए. पट्टी करने के भी पैसे नहीं होते थे. जानने वाले लोग चंदा देकर उनका इलाज कराते थे.थोड़ा सा सही होने के बाद हरनाम ने फिर से अपनी मेहनत शुरू की और सब्जी का ठेला लगाना शुरू किया. हरनाम के कुल 7 बच्चे हैं. जिसमें चार बेटियां और तीन बेटे हैं. हरनाम ने अपनी मेहनत के दम पर चार बेटी और दो बेटे की शादी की है. जबकि एक बेटे का शादी होना बांकी है. परिवार को पालने में सारा कष्ट पीछे रह गया मकरंद नगर निवासी हरनाम ने बताया कि परिवार को पालने के लिए सारे कष्ट पीछे रह गए. दर्द भी बहुत होता है, लेकिन जीना भी है और परिवार को पालना भी है. कानपुर में सड़क हादसे ने मेरा हाथ ले लिया. इसके बाद लोगों ने चंदा कर इलाज करवाया. पत्नी ने कभी साथ नहीं छोड़ा. आज भी किसी पर निर्भर नहीं है. मेहनत कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. वहीं हरनाम की पत्नी निर्मला बताती हैं कि जीवन बहुत संघर्ष भरा रहा. पति ने हिम्मत से काम लिया.  सरकार से अगर कुछ मदद मिल जाए तो जीवन थोड़ा सा सरल हो जाएगा. हालांकि पेंशन की सुविधा तो मिली हुई है, लेकिन इस महंगाई के दौर में जीवन कष्टमय तरीके से व्यतीत हो रहा है. Tags: Kannauj news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : August 27, 2024, 17:08 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed