पिता 10 रुपये के लिए कुएं से भरते थे पानी बेटे ने बनाई हजारों करोड़ की कंपनी
पिता 10 रुपये के लिए कुएं से भरते थे पानी बेटे ने बनाई हजारों करोड़ की कंपनी
Success Story : सपने देखने और उसे सफल करने के बीच सबसे बड़ा सवाल संघर्ष का होता है. आपका संघर्ष जितना सच्चा होगा, सफलता के चांस उतने ही ज्यादा रहेंगे. इस बात को सच कर दिखाया है मिराज समूह के फाउंडर और चेयरमैन मदन पालीवाल ने. उन्होंने बताया कि कैसे गरीबी से निकलकर आज हजारों करोड़ का साम्राज्य खड़ा किया है.
हाइलाइट्स मिराज समूह के संस्थापक मदन पालीवाल ने सुनाई संघर्ष की दास्तां. कहा, घोर गरीबी में बीता बचपन, तभी तय कर लिया कि कुछ करना है. आज समूह के पास हजारों करोड़ का बिजनेस, इन्फ्रा सेक्टर में बड़ा कदम.
नई दिल्ली. कहते हैं सफलता आपके सपने नहीं सिर्फ संघर्ष देखती है. संघर्ष अगर सच्चे मन से और सही दिशा में किया जाए तो सफलता हर हाल में आपके कदम चूमेगी. इस कहावत को पूरी तरह सच कर दिखाया है मिराज ग्रुप के फाउंडर मदन पालीवाल (Miraj Group Founder Madan Paliwal) ने. बेहद गरीबी में बचपन बिताने वाले मदन पालीवाल ने शुरुआत में ही तय कर लिया था कि आने वाली पीढि़यों को इसका दंश नहीं झेलना पड़े. इसके लिए उन्होंने जितने बड़े सपने देखे, उससे ज्यादा संघर्ष किया. आज हम आपको इसी संघर्ष गाथा को उनकी जुबानी सुनाएंगे.
मदन पालीवाल ने न्यूज18 से बातचीत में बताया कि उनका जन्म राजस्थान के राजसमंद जिले में साल 1959 में हुआ था. जिले के नाथद्वारा कस्बे में ही प्रसिद्ध श्रीनाथ जी का मंदिर है, जहां उनके पिता दीपचंद पालीवाल मंदिर में लगे प्याऊ के लिए घड़े में पानी भरते थे. पिता की एक टांग खराब होने के बावजूद परिवार पालने के लिए कुएं से पानी भरते और दर्जनों सीढि़यां चढ़कर मंदिर तक पानी पहुंचाते. इसके एवज में उन्हें महीने की 10 रुपये पगार मिलती थी. वह भी 5-6 महीने बाद एकमुश्त दी जाती थी. पगार देने वाला इसमें से भी कुछ पैसे काट लेता था.
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नहीं छोटी पढ़ने की धुन
परिवार में गरीबी का आलम ऐसा था कि 8 बाई 10 के किराये के कमरे में 6 लोगों का परिवार रहता था. इतनी गरीबी के बावजूद मदन पालीवाल के मन में पढ़ने की धुन सवार थी. शुरुआती शिक्षा संस्कृत में पूरी करने के बाद उन्होंने आधुनिक शिक्षा की ओर कदम बढ़ाया और मैट्रिक की परीक्षा पास कर नजदीकी जिले उदयपुर में एक कॉलेज में बतौर लिपिक नौकरी शुरू कर दी. बस यहीं से पैसे कमाने का सिलसिला शुरू हो गया.
मैले हाथों ने दिया बिजनेस आइडिया
जी, आपने बिलकुल सही पढ़ा. मदन पालीवाल को पहला बिजनेस आइडिया एक आदमी के मैले-कुचैले हाथों से मिला. दरअसल, यह वाक्या उस समय का है जब वे स्कूल में लिपिक का काम करते थे. इस दौरान उनके एक और सहयोगी थे और एक दिन शाम को वे अपने मित्र सहयोगी के साथ स्कूल के बाहर खड़े थे. तभी स्कूल का चपरासी वहां तंबाकू मसलते हुए आया. मदन के सहयोगी ने उससे तंबाकू खाने को मांगा तो उसने दोनों लोगों को तंबाकू का कुछ हिस्सा दे दिया. मदन कहते हैं कि उन्होंने चपरासी के हाथ से तंबाकू तो ले लिया लेकिन उसके गंदे और मैले हाथों से तंबाकू लेकर खाने की हिम्मत नहीं हुई. तभी दिमाग में आइडिया आया कि तंबाकू खाने के लिए भी कोई सुरक्षित और स्वच्छ तरीका निकाला जाए.
फिर शुरू किया पहला बिजनेस
दिमाग में आइडिया आने के बाद मदन पालीवाल ने अपना पहला बिजनेस शुरू किया. उन्होंने थोक में तंबाकू खरीदा और उसमें चूना मिलाकर उसे खुद से मसलना और रगड़ना शुरू किया. इस तरह, घंटों की मेहनत के बाद चूना और तंबाकू मिलाकर खैनी तैयार की. फिर इसे छोटे-छोटे पैकेट में भरकर दुकानों पर सप्लाई करना शुरू कर दिया.
लड़ाकू विमान पर रखा ब्रांड का नाम
मदन पालीवाल बताते हैं कि रेडीमेड खैनी का प्रोडक्ट तो तैयार हो गया. अब बारी थी इसे एक ब्रांड का नाम देने की. उस समय रूस से मिराज लड़ाकू विमान भारत आया था और मैं इस विमान की खूबियों से काफी प्रभावित था. लिहाजा हमने अपने पहले प्रोडक्ट का ब्रांड नेम ही ‘मिराज’ रख दिया. इस तरह मिराज ग्रुप का पहला बिजनेस शुरू हुआ. खैनी का यह कारोबार चल निकला और स्कूल से मिलने वाली पगार से ज्यादा मुनाफा इस बिजनेस ने देना शुरू कर दिया.
सफलता की शुरुआत में ही आई मुसीबत
अभी बिजनेस ने अपना पांव जमाया भी नहीं था कि तंबाकू और चूना मिलाने की वजह से उठने वाले झार यानी निकोटिन ने मदन पालीवाल की आंतों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया. आलम ये हुआ कि उनकी जान पर बन आई और परिवार ने तो मृत मानकर अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू कर दी. लेकिन, होनी को कुछ और ही मंजूर था. उदयपुर सरकारी अस्पताल में एक महीने तक मौत से जंग लड़कर जिंदगी जीतकर लौटे तो उत्साह चरम पर था. फिर उन्होंने तंबाकू और चूना मिलाने वाली ब्लेंडिंग मशीन खरीदी और पैकिंग के लिए शहर के लोगों को भी शामिल किया.
इस तरह शुरू हुआ मास प्रोडक्शन
अब मदन पालीवाल के पास विजन और लोग दोनों ही थे. तंबाकू-चूना मिक्स कर किलो के भाव से लोगों को देते और उसे छोटी-छोटी पैकेट में पैक कराते. इसके एवज में लोगों को भी रोजना 100 से 500 रुपये तक कमाई होने लगी और उनका कारोबार फलने-फूलने लगा. एक बिजनेस सफल हुआ तो मिराज नमकीन और रेडीमेड पराठे बनाने का बिजनेस शुरू किया. इस प्रोडक्ट की मांग विदेशों में ज्यादा रही.
फिर तो एक के बाद एक बिजनेस सफल रहा
मदन पालीवाल बताते हैं कि अब सामने खुला आसमान था और उड़ान के लिए मेरे सपने. इसके बाद तो हमने पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज मिराज ग्रुप के पास 6 से ज्यादा सेक्टर में सफल बिजनेस हैं. इसमें मिराज प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, मिराज डेवलपर्स लिमिटेड, मिराज एंटरटेनमेंट लिमिटेड, मिराज मल्टीकलर्स प्राइवेट लिमिटेड, मिराज पाइप्स एंड फिटिंग्स प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं. कंपनी की पीवीसी पाइप्स नाम से ब्रांड काफी लोकप्रिय है.
इन्फ्रा के क्षेत्र में बड़ी छलांग
मिराज ग्रुप ने इन्फ्रा सेक्टर में भी बड़ा रास्ता तय किया है. इस समूह के पास देश के 48 शहरों में 100 से ज्यादा मल्टीप्लेक्स हैं. इसके अलावा फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी काम किया. समूह इस समय उदयपुर के पास 50 हजार लोगों की क्षमता वाला इंटरनेशनल स्टेडियम बना रहा है, जो जयपुर के बाद प्रदेश का दूसरा स्टेडियम होगा. इसके अलावा नाथद्वारा में 369 फीट की दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा भी बनवाई है, जिसका नाम ‘विश्वास स्वरूपम’ रखा है. यह अपने आप में भारतीय इंजीनियरिंग की अनूठी कला प्रस्तुत करता है. मिराज समूह आज 10 हजार करोड़ से भी ज्यादा बड़ा बिजनेस बन गया है और मदन पालीवाल की नेटवर्थ भी आज हजारों करोड़ रुपये पहुंच गई है.
Tags: Business news, Success Story, Successful business leadersFIRST PUBLISHED : August 27, 2024, 17:10 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed