CJI चंद्रचूड़ समेत 6 जजों से अलग फैसला जानें कौन हैं जस्टिस बेला त्रिवेदी

Supreme Court News: शेड्यूल्‍ड कास्‍ट्स में क्लासिफिकेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान पीठ ने ऐतिहासिक फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 6:1 की बहुमत के साथ अपना निर्णय सुनाया. अब राज्‍य भी अनुसूचित जाति का वर्गीकरण हाशिये पर रहने वालों को आरक्षण में वरियता दे सकेंगे.

CJI चंद्रचूड़ समेत 6 जजों से अलग फैसला जानें कौन हैं जस्टिस बेला त्रिवेदी
नई दिल्‍ली. सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान पीठ ने शेड्यूल्‍ड कास्‍ट्स (अनुसूचित जातियां- SC) के क्‍लासिफिकेशन को लेकर ऐतिहासिक फैसला दिया है. CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्‍यक्षता वाली संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत से निर्णय दिया. सुप्रीम कोर्ट ने स्‍पष्‍ट कर दिया कि प्रेसिडेंशियल लिस्‍ट में नोटिफाइड अनुसूचित जातियों को विभिन्‍न श्रेणियों में बांटा जा सकता है और राज्‍यों को ऐसा करने का पूरा अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्‍यों की ओर से SC कैटेगरी में शामिल उपजातियों को वरियता के आधार पर सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का लाभ देना संभव हो सकेगा. शीर्ष अदालत के फैसले के बाद राज्‍य उपजातियों का वर्गीकरण कर हाशिये पर रहने वाले जरूरतमंदों को विशेष लाभ दे सकेगा. हालांकि, संविधान पीठ में शामिल जस्टिस बेला त्रिवेदी ने बहुमत से इतर अपना फैसला दिया. उन्‍होंने कहा कि प्रेसिडेंशियल लिस्‍ट में नोटिफाइड जातियों को बांटने या उसे रिग्रुप करने का अधिकार संसद को है, राज्‍य विधानमंडलों को नहीं. जस्टिस बेला त्रिवेदी ने कहा कि राज्‍य विधानमंडलों (विधानसभा और विधानपरिषद) को SC कैटेगरी में पहले से लिस्‍टेड जातियों को रिग्रुप या सबडिवाइड करने का अधिकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्‍ध जानकारी के अनुसार, जस्टिस बेला त्रिवेदी का जन्‍म 10 जून 1960 को गुजरात के पाटन में हुआ था. उनके पिता भी ज्‍यूडिशियल सर्विस में थे, जिस वजह से उनका ट्रांसफर होता रहता था. ऐसे में उनकी स्‍कूलिंग भी विभिन्‍न शहरों में हुई. उन्‍होंने बड़ौद के एमएस यूनिवर्सिटी से LLB की डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्‍होंने तकरीबन 10 वर्षों तक गुजरात हाईकोर्ट में वकालत की. उन्‍होंने खासकर सिविल और कांस्‍टीट्यूशनल विवादों से जुड़े मामलों में अपने स्किल का प्रदर्शन किया. Explainer: क्या सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद SC/ST आरक्षण में भी लागू होगा क्रीमी लेयर, जाति जनगणना से कितना फायदा लिम्‍का बुक में नाम दर्ज जस्टिस बेला त्रिवेदी 10 जुलाई 1995 को अहमदाबाद के सिटी सिविल और सेशंस कोर्ट में बतौर जज नियुक्‍त हुईं. जस्टिस बेला त्रिवेदी के पिता भी इत्‍तेफाक से उसी कोर्ट में बतौर जज तैनात थे. साल 1996 के एडिशन में उनका नाम लिम्‍का बुक ऑफ इंडियन रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ था. इसका विषय था- पिता और बेटी एक ही कोर्ट में जज. तकरीबन 16 साल के बाद जस्टिस बेला त्रिवेदी को गुजरात हाईकोर्ट का जज बनाया गया. उन्‍होंने हाईकोर्ट में बतौर जज 17 फरवरी 2011 को पदभार ग्रहण किया था. विभिन्‍न पदों पर निभाई जिम्‍मेदारी जस्टिस बेला त्रिवेदी ने जज बनने से पहले कई महत्‍वपूर्ण पदों पर अपनी जिम्‍मेदारी निभाई थी. वह हाईकोर्ट में रजिस्‍ट्रार (विज‍िलेंस) के साथ ही गुजरात सरकार में लॉ सेक्रेटरी भी रह चुकी हैं. इसके अलावा वह सीबीआई जज और स्‍पेशल जज के तौर पर भी जिम्‍मेदारी निभाई. वह राजस्‍थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच में भी रहीं. फिर फरवरी 2016 में उन्‍हें फिर से गुजरात हाईकोर्ट में तैनाती दी गई. गुजरात हाईकोर्ट में सेवा देने के दौरान ही उन्‍हें 31 अगस्‍त 2021 में उन्‍हें प्रमोट कर सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज नियुक्‍त किया गया. जस्टिस बेला त्रिवेदी 9 जून 2025 में रिटायर होंगी. Tags: DY Chandrachud, National News, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : August 2, 2024, 20:08 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed