दुधारू पशुओं के लिए बेहद खतरनाक है ये छोटा सा परजीवी जानें बचाव के उपाय
दुधारू पशुओं के लिए बेहद खतरनाक है ये छोटा सा परजीवी जानें बचाव के उपाय
जूं एक परजीवी संक्रमण है. जो पशुओं की त्वचा और बालों में होती है. जूं छोटे पंख विहीन कीड़े होते हैं. जो पशुओं के खून त्वचा और सीरम को खाते हैं.यह बीमारी विशेष रूप से गाय , भैंस,भेड़, बकरी और घोड़ों में होती है. पशुओं में या बीमारी होने पर पशु अस्वस्थ हो जाता है.
रायबरेली. बारिश का मौसम पशुओं के लिए कई बीमारियों को लेकर आता है. इसीलिए जरूरी है कि इस मौसम में लोग अपने पशुओं के स्वास्थ्य का भी खास ख्याल रखना बेहद जरूरी है . जिससे इस दौरान कोई बड़ी बीमारी न हो. पशुओं के बीमार पड़ने पर पशुपालकों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. आपको बताते चलें कि बारिश के मौसम में पशुओं को कई घातक बीमारियां अपनी चपेट में लेती हैं. जिनमें जूं भी एक बड़ा कारण है. जो जानवरों के लिए बेहद खतरनाक होती है.
रायबरेली जिले के राजकीय पशु चिकित्सालय शिवगढ़ के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. इंद्रजीत वर्मा(एमवीएससी वेटनरी) बताते हैं, कि जूं एक परजीवी संक्रमण है. जो पशुओं की त्वचा और बालों में होती है. जूं छोटे पंख विहीन कीड़े होते हैं. जो पशुओं के खून त्वचा और सीरम को खाते हैं. यह विशेष रूप से गाय , भैंस,भेड़, बकरी और घोड़ों में होती है. इस कारण दुधारू पशु के दुग्ध उत्पादन पर भी असर पड़ता है.
3 प्रकार से फैल सकता है जूं
संपर्क के माध्यम से: जूं एक पशु से दूसरे पशु में सीधे संपर्क के माध्यम से फैलती हैं. जब पशु एक दूसरे के निकट आते हैं या एक साथ रहते हैं, तो जूं एक से दूसरे में संक्रमण कर सकती हैं.
संक्रमित सामग्री के माध्यम से: जूं संक्रमित पशुओं के उपयोग की गई वस्तुओं जैसे कि कंबल, ब्रश, या अन्य उपकरणों के माध्यम से भी फैल सकती हैं.
हवा के माध्यम से: जूं कुछ समय के लिए पर्यावरण में भी जीवित रह सकती हैं, और पशु के संपर्क में आने पर उन्हें संक्रमित कर सकती हैं.
पशुओं में जूं के लक्षण
खुजली और अस्वस्थता: संक्रमित पशु लगातार खुजली करते रहते हैं, जिससे उनकी त्वचा पर घाव हो सकते हैं.
बालों का झड़ना: कुछ मामलों में बालों का झड़ना भी देखा जा सकता है.
त्वचा पर घाव: जूं के काटने से त्वचा पर घाव और सूजन हो सकती है.
जूं से बचाव के उपाय:
डा. इंद्रजीत वर्मा बताते हैं कि इससे बचाव के लिए पशुपालक कुछ आसान उपाय अपना सकते हैं जिससे उन्हें किसी प्रकार के नुकसान का सामना नहीं करना पड़ेगा.
कीटनाशक शैंपू या स्प्रे: पशुओं के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए कीटनाशक शैंपू या स्प्रे का उपयोग किया जाता है.
संक्रमित वस्तुओं का उपचार: पशु के उपयोग की गई वस्तुओं को भी कीटनाशक से उपचारित करना चाहिए.
स्वच्छता: पशुओं के रहने के स्थान को साफ और शुष्क रखना भी जरूरी है.इसके साथ ही आप अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय से संपर्क कर अपने पशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण कारण एवं जूं का संक्रमण होने पर पशु विशेषज्ञ की सलाह पर जूं रोधी दवा का उपयोग करें.
Tags: Agriculture, Local18, Rae Bareli News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : September 2, 2024, 16:44 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed