80 दिनों में पकने वाली ये धानउत्पादन भी शानदार! लेकिन फायदे से ज्यादा नुकसान

साठा धान की खेती किसानों के लिए जितना फायदेमंद है. उससे कहीं ज्यादा नुकसानदायक है. साठा धान की खेती करने से पानी की खपत ज्यादा होती है. भूमिगत जलस्तर नीचे जाता है. प्रदेश के कई जिलों में साठा धान की खेती को प्रतिबंधित कर दिया गया है.

80 दिनों में पकने वाली ये धानउत्पादन भी शानदार! लेकिन फायदे से ज्यादा नुकसान
सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर : गेहूं की फसल की कटाई के बाद जून के महीने में किसान धान की रोपाई करते हैं. लेकिन अगर किसान अप्रैल और मई के महीने में खाली रहने वाले खेतों में साठा धान की रोपाई कर दें. तो उनको एक अतिरिक्त आमदनी मिल सकती है. लेकिन यह धान प्रदेश के कई हिस्सों में प्रतिबंधित है. तो कई जगह किसान इसकी खेती करके कम दिनों में अच्छा मुनाफा भी कमाते हैं. कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के प्रभारी डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि साठा धान की फसल जो गेहूं की कटाई के बाद किसान खेतों में रोपाई करते हैं. 80 से 90 दिन में पकने वाली यह फसल जिसमें किसानों को कम दिनों में अच्छा मुनाफा मिलता है. लेकिन शाहजहांपुर में गिर रहे जलस्तर को ध्यान में रखते हुए इस धान की खेती को प्रतिबंधित कर दिया गया है. हलांकि शाहजहांपुर के आसपास के जनपदों में इस धान की खेती की जाती है. साठा की खेती में फायदे से ज्यादा नुकसान डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि साठा धान की खेती से कम दिनों में किसानों को बंपर उत्पादन मिलता है. लेकिन इसकी खेती करने से कई तरह के नुकसान भी होते हैं. साठा धान की खेती से भूमिगत जलस्तर तेजी के साथ नीचे जाता है. क्योंकि इसमें पानी की खपत बेहद ज्यादा होती है. इसके अलावा इस धान की खेती के बाद बरसात के दिनों में लगाई जाने वाली धान की फसल में कीट अधिक लगते हैं. जिससे धान की लागत बढ़ जाती है और किसानों को अच्छा मुनाफा नहीं मिल पाता. साठा धान के ये हैं विकल्प डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि अगर किसान साठा धान की खेती को छोड़कर मक्का, उड़द और मूंग की खेती करें तो वह कम दिनों में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इसके अलावा किसान खरबूजा और तरबूज की भी खेती कर सकते हैं. जिसमें 1 एकड़ में हजारों रूपयों की कमाई होती है. इन फसलों में पानी की खपत बेहद कम होती है. यह हमारे पर्यावरण के लिए भी अच्छी फसलें हैं. इतना ही नहीं इन दिनों में किसान अगर हरी खाद के तौर पर ढैंचा बो दें तो उनकी अगली फसल बरसाती धान में किसानों को बेहद कम लागत लगानी होगी. इसके अलावा मृदा स्वास्थ्य में भी एक बड़ा सुधार होगा. मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा बढ़ेगी. Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : May 3, 2024, 15:10 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed