अब्दुल कलाम और प्रणब मुखर्जी समेत कई राष्ट्रपतियों ने पहनी है यहां की शेरवानी

Presidents Sherwani: 1947 में शुरू हुई मेहंदी हसन टेलर की दुकान अपनी बेहतरीन कारीगरी के ज़रिये अब अपनी एक अलग पहचान बन चुकी है. यही कारण है कि अमेरिका, न्यूजीलैंड और सऊदी अरब आदि देशों से शेरवानी बनवाने के लिए यहां आर्डर आते हैं.....

अब्दुल कलाम और प्रणब मुखर्जी समेत कई राष्ट्रपतियों ने पहनी है यहां की शेरवानी
रिपोर्ट- वसीम अहमद अलीगढ़: अगर आप भी शेरवानी पहनने का शौक रखते हैं तो यह खबर आपके काम की है. उत्तर प्रदेश का जनपद अलीगढ़ ताला और तालीम के लिए दुनिया भर में मशहूर है. शायद कम ही लोग जानते हैं कि अलीगढ़ शेरवानी के लिए भी जाना जाता है. अलीगढ़ की शेरवानी ने राष्ट्रपति भवन तक में जगह बना ली है. इसी अलीगढ़ की शेरवानी को पूर्व राष्ट्रपति डॉ जाकिर हुसैन से लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तक पहन चुके हैं. अलीगढ़ शहर के तस्वीर महल चौराहे पर स्थित मेहंदी हसन टेलर के दुकान की शेरवानी भारत के कई राष्ट्रपति, कई फिल्मी सितारों से लेकर राजनेता तक पहन चुके हैं. यहां रॉयल ट्रेडिशनल एथेनिक शेरवानी, वेडिंग शेरवानी, जोधपुरी शेरवानी, इंडो वेस्टर्न शेरवानी पाकिस्तानी शेरवानी जैसी कई प्रकार की शेरवानी मिलती है. 1947 में शुरू हुई मेहंदी हसन टेलर की दुकान अपनी बेहतरीन कारीगरी के ज़रिये अब अपनी एक अलग पहचान बन चुकी है. यही कारण है कि अमेरिका, न्यूजीलैंड और सऊदी अरब आदि देशों से शेरवानी बनवाने के लिए यहां आर्डर आते हैं. साथ ही अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से जुड़े अधिकांश लोग यहीं शेरवानी सिलवाने आते हैं. इन राष्ट्रपतियों की बनी है शेरवानी दुकान मालिक ओवेस अख्तर मेहंदी ने जानकारी देते हुए बताया, “हमारी यह दुकान शेरवानी के लिए स्पेशल तौर पर मशहूर है. हमारे यहां की शेरवानी की खूबी और खासियत यह है कि हम जो शेरवानी बनाते हैं वह बॉडी फिट बनाते हैं. जिस प्रकार बॉडी का स्ट्रक्चर होता है हम उस हिसाब से शेरवानी को शेप को देते हैं. यह फन किसी और के पास नहीं है. लोग इसी वजह से हमारे पास आते हैं. अब तक हमारे यहां 10 प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की शेरवानी सिल चुकी है. चार हमारे वालिद साहब ने बनाई थी जिसमें डॉ जाकिर हुसैन, नीलम संजीवा रेड्डी, फखरुद्दीन अली अहमद जैसे नाम शामिल हैं. उसके बाद हमने 6 प्रेसिडेंट की बनाई जिसमे रामनाथ कोविंद, प्रणब मुखर्जी, हामिद अंसारी, एपीजे अबुल कलाम साहब और शंकर दयाल शर्मा जी शामिल है.” 75 साल पुरानी है दुकान ओवेस अख्तर मेहंदी ने बताया, “साल 1947 में हमारे दादा मेहंदी हसन ने ब्रिटिश शासन काल में इस दुकान की शुरुआत की थी जिसके बाद मेरे पिताजी मेहंदी हसन ने इस दुकान को संभाला. जिसको अब तकरीबन 75 साल हो चुके हैं. हमारे यहां की शेरवानी लोगों को इसलिए भी ज्यादा पसंद आती है क्योंकि हमारे यहां अच्छे मटेरियल यूज़ करने के अलावा हर बॉडी स्ट्रक्चर के हिसाब से शेरवानी को खूबसूरत डिजाइन दिया जाता है. जो लोगों पर अच्छा लगता है. हमारे यहां मिनिमम 3,500 रूपए की शेरवानी सिल जाती है. इसके अलावा शादियों के सीजन में हमारे यहां शेरवानी के साथ नागरा जूते साथ में ही दिए जाते हैं. हमारे यहां ऑफ सीजन में 5 से 6 शेरवानी प्रतिदिन सिली जाती हैं. Tags: Local18FIRST PUBLISHED : August 18, 2024, 20:35 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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