ATM से कम नहीं है ऊसर जमीन में उगाया जाने वाला ये पौधा

बागवानी के एक्सपर्ट डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि बेल की खेती में किसानों के लिए अपार सभावना है. यह एक बहुत ही सहनशील वृक्ष है. बेल के पौधे ऊसर जमीन में भी उगाए जा सकते हैं. बेल की खेती करना किसानों के लिए बेहद ही फायदेमंद हो सकता है.

ATM से कम नहीं है ऊसर जमीन में उगाया जाने वाला ये पौधा
शाहजहांपुर : बेल भारत के प्राचीन फलों में से एक है. बेल की जड़, छाल, पत्ते शाख और फल बेहद उपयोगी होते हैं. बेल में कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं. प्राचीन काल से बेल को “श्रीफल” के नाम से जाना जाता है. बेल विटामिन-ए, विटामिन-बी, विटामिन-सी, खनिज तत्व, कार्बोहाइड्रेट सहित कई औषधीय गुणों से भरपूर फल है. कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात बागवानी के एक्सपर्ट डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि बेल की खेती में किसानों के लिए अपार सभावना है. यह एक बहुत ही सहनशील वृक्ष है. बेल के पौधे ऊसर जमीन में भी उगाए जा सकते हैं. बेल की खेती करना किसानों के लिए बेहद ही फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इसके पौधे मजबूत होते हैं. अगस्त के महीने में किसान बेल के पौधे लगा सकते हैं. जिसके लिए जुलाई में ही तैयारी करनी होगी. बेल लंबे समय तक किसानों को आमदनी देता रहेगा. बेल के फल की मांग गर्मियों में बहुत ज्यादा रहती है, उस समय किसानों को बेल से अच्छी आमदनी मिल सकती है. ऐसे करें पौधे लगाने की तैयारी  डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि बेल के पौधे लगाने के लिए जुलाई के महीने से ही तैयारी करनी होती है. बेल का पौधा खेत में लगाने के लिए एक 1 मीटर चौड़ा, 1 मीटर लंबा और 1 मीटर गहरा गड्ढा खोदकर उसकी मिट्टी बाहर निकालने के बाद एक तिहाई मिट्टी, एक तिहाई गोबर की सड़ी हुई गोबर की खाद और इतनी ही मात्रा में बालू मिलाकर, उसमें फंगीसाइड मिलाते हुए गड्ढे को भर दें. गड्ढे में मिट्टी भरते समय 1 किलोग्राम एनपीके खाद का इस्तेमाल भी करें. कलमी पौधों की करें रोपाई डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि अगस्त के महीने में बरसात के दिनों में बेल के अच्छे किस्म के पौधे खरीद कर उन्हें गड्ढों में रोपाई कर दें. कोशिश करें की कलम द्वारा तैयार किए हुए पौधों की ही रोपाई करें जो 2 साल में फल देना शुरू कर देते हैं. 2 साल तक करें सहफसली डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि बेल का पौधा 3 साल बाद उत्पादन देगा लेकिन उससे पहले किसान 2 सालों तक बेल के पौधों में बची हुई जगह में सहफसली के तौर पर दलहन और तिलहन की फसलों को उगा सकते हैं. जिससे पौधे की ग्रोथ भी अच्छी होगी. इसके अलावा बेल के पौधों को तैयार करने में आने वाली लागत का एक बड़ा हिस्सा सहफसली से मिल जाएगा, जिससे किसानों की जेब पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा. Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : June 25, 2024, 18:22 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed