INS विक्रांत vs INS विक्रमादित्य: भारतीय नौसेना के 2 समुद्री योद्धा एक दूसरे से कितने अलग कितने समान
INS विक्रांत vs INS विक्रमादित्य: भारतीय नौसेना के 2 समुद्री योद्धा एक दूसरे से कितने अलग कितने समान
आईएनएस विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है, जिसकी डिजाइन से लेकर निर्माण तक सबकुछ देश में हुआ है. INS विक्रांत का नाम उसके पूर्ववर्ती, भारत के पहले विमानवाहक पोत के नाम पर रखा गया है, जिसने पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. आईएनएस विक्रमादित्य 2013 में भारत द्वारा रूस से खरीदा गया एक संशोधित कीव-श्रेणी का विमानवाहक पोत है और इसका नाम बदलकर महान सम्राट विक्रमादित्य के सम्मान में रखा गया था.
हाइलाइट्सआईएनएस विक्रांत भारत का पहला पूर्ण स्वदेशी विमानवाहक पोत हैआईएनएस विक्रमादित्य को साल 2013 में भारत ने रूस से खरीदा थाआईएनएस विक्रांत से बड़ा व ज्यादा वजनी है आईएनएस विक्रमादित्य
नई दिल्लीः भारत ने शुक्रवार को स्वदेश निर्मित अपने पहले विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को औपचारिक रूप से नौसेना में शामिल कर लिया, जो 17 साल के निर्माण और परीक्षणों की परिणति है. आईएनएस विक्रांत भारत के समुद्री इतिहास में बनाया गया अब तक का सबसे बड़ा जहाज है और इसमें अत्याधुनिक ऑटोमेशन सुविधाएं हैं. इसे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया है. INS विक्रांत के निर्माण के साथ, भारत अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे देशों के एक चुनिंदा समूह में शामिल हो गया है, जिनके पास स्वदेशी विमानवाहक पोत बनाने की विशिष्ट क्षमता है. आईएनएस विक्रांत की कमिशनिंग के साथ, भारत के पास अब अपनी समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए 2 विमानवाहक पोत मौजूद हैं. दूसरा आईएनएस विक्रमादित्य है. आइए इस बात पर एक नजर डालते हैं कि ये दोनों युद्धपोत एक दूसरे से कितने अलग हैं और इनमें क्या-क्या समानताएं हैं…
दोनों युद्धपोतों के वजूद में आने की कहानी
आईएनएस विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है, जिसकी डिजाइन से लेकर निर्माण तक सबकुछ देश में हुआ है. कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने 20,000 करोड़ रुपये की लागत से इसका निर्माण किया है. इस तरह के बड़े युद्धपोतों के निर्माण के लिए आईएनएस विक्रांत ने भारत को घरेलू क्षमता वाले देशों की एक चुनिंदा लीग में पहुंचा दिया है. विमानवाहक पोत को भारत के प्रमुख औद्योगिक घरानों के साथ-साथ 100 से अधिक एमएसएमई द्वारा आपूर्ति किए गए स्वदेशी उपकरणों और मशीनरी का उपयोग करके बनाया गया है.
भारतीय नौसेना के इन-हाउस संगठन, वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो (WDB) द्वारा डिजाइंड और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित, INS विक्रांत का नाम उसके पूर्ववर्ती, भारत के पहले विमानवाहक पोत के नाम पर रखा गया है, जिसने पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. ‘विक्रांत’ नाम का अर्थ है विजयी और वीर.
आईएनएस विक्रमादित्य 2013 में भारत द्वारा रूस से खरीदा गया एक संशोधित कीव-श्रेणी का विमानवाहक पोत है और इसका नाम बदलकर महान सम्राट विक्रमादित्य के सम्मान में रखा गया था. आईएनएस विक्रमादित्य 2013 में भारत द्वारा रूस से खरीदा गया एक संशोधित कीव.श्रेणी का विमानवाहक पोत है और इसका नाम बदलकर महान सम्राट विक्रमादित्य के सम्मान में रखा गया था. मूल रूप से बाकू नाम के तहत बनाया गया और 1987 में कमीशन किया गया, यह विमानवाहक पोत 1996 में सेवामुक्त होने से पहले सोवियत संघ (सोवियत संघ के विघटन तक) और रूसी नौसेना में सेवारत रहा. क्योंकि इसको संचालित करना बहुत खर्चीला था, रूस की नौसेना ने इसे 1996 में सेवानिवृत्त कर दिया था.
पिछले एनडीए शासन के दौरान 2004 में इस विमानवाहक पोत के लिए सौदे पर हस्ताक्षर किए गए थे. यह 16 नवंबर, 2013 को भारतीय नौसेना में शामिल हुआ था. रूस में तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी द्वारा कमीशन किया गया था. उत्तरी आर्कटिक के सेवेरोडविंस्क बंदरगाह पर सेवमाश शिपयार्ड में कमीशनिंग के दौरान, पोत पर रूसी ध्वज को उतारा गया और उसके स्थान पर भारतीय नौसेना का झंडा फहराया गया. अरब सागर के तट पर कारवार में अपने बेस तक इस विमानवाहक पोत को युद्धपोतों के एक समूह द्वारा एस्काॅर्ट किया गया था. रूस से चलकर लगभग दो महीने की यात्रा करके यह युद्धपोत भारत पहुंचा था.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी |
Tags: India Navy, Indian Armed Forces, Indian navyFIRST PUBLISHED : September 03, 2022, 08:27 IST