इंदिरा ने कैसे जस्टिस खन्ना को CJI नहीं बनने दिया क्या था वो मामला
इंदिरा ने कैसे जस्टिस खन्ना को CJI नहीं बनने दिया क्या था वो मामला
Parliament Winter Session: इंदिरा गांधी और जस्टिस हंस राज खन्ना के बीच इमरजेंसी के दौरान के विवाद को पीएम नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान याद किया। पीएम ने कांग्रेस पार्टी को संविधान से छेड़छाड़ के मुद्दे पर आइना दिखाया.
Parliament Winter Session: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान शनिवार को लोकसभा में सत्ता और विपक्ष के बीच संविधान पर चर्चा हुई. इस दौरान कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार पर संविधान बदलने की कोशिश के गंभीर आरोप लगाए. इस बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने जब अपनी बात रखनी शुरू की तो एक-एक कर देश की सबसे पुरानी पार्टी द्वारा संविधान की धज्जियां उड़ाने से जुड़े सभी गड़े-मुर्दे उखाड़ दिए. जस्टिस हंस राज खन्ना को जानबूझ कर चीफ जस्टिस बनने से रोकने की घटना को याद कर पीएम मोदी ने कांग्रेस पार्टी के धागे खोल दिए. चलिए हम आज आपको इमरजेंसी के दौरान के इसी घटनाक्रम के बारे में विस्तार से बताते हैं.
दरअसल, कांग्रेस पार्टी सहित तमाम विपक्षी दल लगातार पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और केंद्र सरकार के बीच नजदीकी का आरोप लगाते रहे हैं. रिटायरमेंट से पहले गणपति पूजा के दौरान पीएम मोदी का सीजेआई के घर जाना और पूजा में हिस्सा लेना काफी ज्यादा विवादों में भी रहा था. विपक्षी दलों का कहना है कि केंद्र सरकार न्यायपालिका के कामकाज में सीधे तौर पर दखल देती है, जो संविधान के लिए खतरा है. ऐसे में संसद में जब संविधान पर चर्चा हुई तो पीएम मोदी ने इमरजेंसी के बाद इंदिरा गांधी के सबसे विवादित फैसले का जिक्र छेड़ कांग्रेस को ‘शर्मिंदा’ करने का मौका नहीं छोड़ा.
जस्टिस खन्ना ने इमरजेंसी का किया था विरोधी
तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने साल 1975-1977 तक देश में इमरजेंसी लगाए रखी थी. इस दौरान ‘एडीएम जबलपुर बनाम शिव कांत शुक्ला’ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का केस सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने इमरजेंसी के दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर अपना फैसला सुनाया. उस वक्त के सीजेआई ए.एन. रे सहित न्यायमूर्ति एम.एच. बेग, न्यायमूर्ति वाई.वी. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एन. भगवती सरकार से सहमत थे. चारों का माना था कि संविधान में उपलब्ध जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार जैसे मौलिक अधिकार इमरजेंसी की अवधि के दौरान समाप्त माने जाएं. पांचवें जज जस्टिस हंस राज खन्ना ने इस फैसले से असहमति जताई थी. हालांकि 4-1 के बहुमत से तब इंदिरा गांधी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई थी.
इंदिरा ने जूनियर जज को बनाया सीजेआई
21 महीने की लंबी अवधि के बाद देश से इमरजेंसी हटाई गई. नौ महीने बाद देश को नए सीजेआई मिलने वाले थे. परंपरा के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज को ही अगला चीफ जस्टिस बनाया जाता है. जस्टिस हंस राज खन्ना तब सुप्रीम कोर्ट में सबसे सीनियर जज थे. हालांकि इंदिरा गांधी के इमरजेंसी के फैसले का विरोध करना उन्हें महंगा पड़ा. इंदिरा गांधी ने जस्टिस खन्ना को सीजेआई बनाने की फाइल पर साइन नहीं किया. उनसे जूनियर जज न्यायमूर्ति एम.एच. बेग को भारत का अगला चीफ जस्टिस बना दिया गया था. इंदिरा गांधी के इस फैसले से नाराज जस्टिस खन्ना ने तुरंत इस्तीफा दे दिया था.
Tags: DY Chandrachud, Indira Gandhi, Parliament Winter Session, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : December 15, 2024, 09:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed