कहता है कारगिल : शहादत से पहले कैप्टन अनुज ने 9 पाक सैनिकों को हलाक कर दुश्मन के 3 बंकरों को किया था जमींदोज
कहता है कारगिल : शहादत से पहले कैप्टन अनुज ने 9 पाक सैनिकों को हलाक कर दुश्मन के 3 बंकरों को किया था जमींदोज
Kahta Hai Kargil: मैं कारगिल, आज बात करूंगा एक ऐसे सूरमा की, जिसने प्वाइंट 4875 की लड़ाई में अकेले दम नौ दुश्मन सैनिकों को मौत के घाट उतारते हए दुश्मन की तीन मध्यम मशीन गन पोजीशन को नेस्तनाबूद कर दिया था. देश के लिए अपने प्राणों को कुर्बान करने वाले इस जांबाज को मरणोपरांत महावीर चक्र से भी सम्मानित किया गया था.
Kahta Hai Kargil: मैं कारगिल … आज आपको मशकोह वैली में ऑपरेशन विजय की एक लड़ाई के बारे में बताने जा रहा हूं. यह लड़ाई मशकोह वैली के प्वाइंट 4875 पर कब्जे के लिए लड़ी गई थी. दरअसल, आतंकियों के भेष में घुसपैठ कर आए पाकिस्तानी सैनिकों ने टाइगर हिल के प्वाइंट 4875 पर भी अपना कब्जा जमा लिया था.
समुद्र से करीब 15,990 फीट की ऊंचाई पर मशकोह वैली पर स्थित प्वाइंट 4875 सामरिक नजरिए से बेहद अहम था. लिहाजा, ‘पिंपल टू’ नाम से विख्यात प्वाइंट 4875 पर मौजूद पाकिस्तानी सैनिकों को उनके अंजाम तक पहुंचाते हुए पीक पर दोबारा कब्जा हासिल करने का टास्क 6 जुलाई 1999 को 17 जाट रेजीमेंट को सौंपा गया. टास्क मिलते ही मेजर ऋतेश शर्मा के नेतृत्व में 17 जाट रेजीमेंट की चार्ली कंपनी अपने मिशन के लिए कूच कर गई और 7 जुलाई को दुश्मन के साथ भारतीय जांबाजों के साथ सीधा मुकाबला शुरू हो गया.
जख्मी मेजर ऋतेश को लौटाया गया बेस और फिर …
मेजर ऋतेश शर्मा मिशन के पहले चरण में गंभीर रूप से जख्मी हो गए, जिसके चलते उन्हें रणभूमि से इलाज के लिए वापस भेज दिया गया. मेजर ऋतेश शर्मा की वापसी के साथ ही कैप्टन अनुज नय्यर को पदोन्नति देते हुए चार्ली कंपनी की कमान सौंप दी गई. कैप्टन अनुज ने अपनी नई रणनीति के तहत, एसाल्ट टीम को दो हिस्सों में बांटने का फैसला किया.
पहली टीम का नेतृत्व कैप्टन विक्रम बत्रा को सौंपा गया, जबकि दूसरे एसाल्ट ग्रुप की जिम्मेदारी कैप्टन अनुज नय्यर ने अपने पास ही रखी. कैप्टन अनुज ने दुश्मन की टोह लेने के लिए एक टीम को रवाना किया. टोह लेने गई टीम ने कुछ ही समय बाद दुश्मन के चार बंकरों की मौजूदगी की सूचना कैप्टन अनुज को दी. सूचना मिलने के साथ कैप्टन अनुज की टीम हमले के लिए आगे बढ़ गई.
दुश्मन के बंकर में कूद गए कैप्टन अनुज और फिर …
भारतीय जांबाजों पर नजर पड़ते ही दुश्मन ने बंकर से मोर्टार फायरिंग शुरू कर दी और आर्टिलरी फायरिंग का रुख उधर की ओर मोड़ दिया. कैप्टन अनुज की टीम दुश्मन के हमले का जवाब देते हुए आगे बढ़ती गई और कुछ ही पलों में दुश्मन तक पहुंचने में कामयाब हो गई. कैप्टन अनुज ने आगे बढ़ते हुए दुश्मन के पहले बंकर पर रॉकेट लांचर से हमला किया और ग्रेनेड से बमबारी करते हुए दुश्मन के बंकर में कूद गए.
कैप्टन अनुज ने एक-एक कर दुश्मन के तीन बंकरों को जमींदोज कर दिया और चौथे बंकर की ओर बढ़ गए. भारतीय जांबाजों के बढ़ते कदमों को देख दुश्मन इस कदर घबराया कि उसने आटोमैटिक हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. कैप्टन अनुज नय्यर ने अपनी जान की परवाह न करते हुए हमला जारी रखा.
देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दे गए कैप्टन अनुज
दुश्मन ने रॉकेट लांचर की मदद से कैप्टन अनुज पर ग्रेनेड हमला कर दिया. दुश्मन के इस हमले में कैप्टन अनुज गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्होंने मौके पर ही देश के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दे दिया. प्वाइंट 4875 की इस लड़ाई में कैप्टन अनुज नय्यर ने अकेले दम नौ दुश्मन सैनिकों को मौत के घाट उतारते हए दुश्मन की तीन मध्यम मशीन गन पोजीशन को नेस्तनाबूद कर दिया था.
कैप्टन अनुज नय्यर ने अदम्य साहस, धैर्य और देश के प्रति दृढ़ संकल्प का न केवल प्रदर्शन किया, भारतीय सेना की सच्ची परंपराओं का अनुसरण करते हुए देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दे दिया. कैप्टन अनुज नय्यर की बहादुरी को देखते हुए उन्हें महावीर चक्र से मरणोपरांत अलंकृत किया गया था.
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