थर-थर कांपेगा PAK पिनाका का नया अवतार सबको है इंतजार रेंज 300 पार

Indian Army: अब तक तो भारतीय सेना रूसी मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर ग्रैड और स्मर्च के ज़रिए जंग लड़ने की तैयारी करती थी लेकिन स्वदेशी मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर पिनाका के भारतीय सेना में शामिल होने के बाद से क्षमताओं में जबरदस्त इजाफा हुआ है.

थर-थर कांपेगा PAK पिनाका का नया अवतार सबको है इंतजार रेंज 300 पार
नई दिल्ली: आज का युद्ध नॉन कॉंटैक्ट काइनेटिक वॉर में बदल गया है. जमीन पर आमने सामने की लडाई लड़ने के बजाए पहले लॉंग रेंज रॉकेट, मिसाइल, यूएवी और लॉयटरिंग एम्यूनेशन के जरिए अपनी ताकत का लोहा मनवाया जाता है. तीन साल के करीब हो चुके रूस यूक्रेन युद्ध को देख लें या फिर पिछले तकरीबन एक साल से मल्टी फ़्रंट पर लड़ रहे इजरायल को ही देख लें. जितना इस्तेमाल रॉकेट, मिसाइल और यूएवी का किया गया है उतना कभी नहीं हुआ. अब जब दुनिया इतने बडे जंग को देख रही है सीख रही है तो टू फ़्रंट वॉर की संभावनाओं के मद्देनजर भारतीय सेना भी अपनी नॉन कॉंटेंट काइनेटिक वॉरफेयर की क्षमता में भी इजाफा करने में जुटा है. पिनाका एक्सटेंडेड रेंज 300 पार अब तक तो भारतीय सेना रूसी मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर ग्रैड और स्मर्च के ज़रिए जंग लड़ने की तैयारी करती थी लेकिन स्वदेशी मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर पिनाका के भारतीय सेना में शामिल होने के बाद से क्षमताओं में जबरदस्त इजाफा हुआ है. और अब इसकी मारक क्षमताओं बडी तेज़ी से आगे बढ़ाने के लिए कोशिशें जारी है. डीजी आर्टीलरी ले. जनरल अदोश कुमार के मुताबिक़ पिनाका भारत के आत्मनिर्भरता की सफलता की कहानी है और हम फिलहाल इसकी रेंज को मौजूदा रेंज से दोगुना से चार गुना रेंज चाहते है. पढ़ें- सुबह-सुबह कुलगाम में सेना की आंतकियों से मुठभेड़, 2 आतंकवादी ढेर, 4 जवान घायल अगर हम मौजूदा पिनाका की बात करें तो पिनाका की मारक क्षमता 38 किलोमीटर है और एक साथ पूरी बैटरी दागने पर दुश्मन के 1000 गुना 800 मीटर के इलाके को पूरी तरह से तहस नहस कर सकता है. पिनाका की एक बैटरी में 6 फायरिंग यूनिट यानी लॉन्चर होती है और एक लॉन्चर में 12 ट्यूब होती है यानी की एक बैटरी में कुल मिलाकर 72 रॉकेट होते हैं और महज़ 44 सैंकेड ये सारे रॉकेट लॉन्च हो जाते हैं. ख़ास बात तो ये है कि लॉन्चिंग के तुरंत बाद से लॉन्चर अपना लोकेशन बदलते हैं और फिर दोबारा से आर्मड किए जा सकते है. लेकिन अब भारतीय सेना इसकी बढ़ी रेंज का इंतेजार कर रही है. यानी की पिनाका के रॉकेट एक्सटेंडेड रेंज की है. ले जनरल अदोश कुमार ने कहा कि हाई ऑलटिट्यूड इलाके में इसके सभी ट्रायल पूरे हो चुके हैं और अगले महीने से प्लेन एरिया में ट्रायल शुरू होंगे और सारे ट्रायल पूरे सफलता पूर्वक पूरे होते ही पिनाका रॉकेट के नए अवतार के करार का रास्ता साफ़ हो जाएगा. यही नहीं सेना तो 300 किलोमीटर मार करने वाले पिनाका का इंतेजार कर रही है. फ़िलहाल जिस पिनाका के एक्सटेंडेड रेंज रॉकेट का इंतेजार है इसकी रेंज 75 किलोमीटर से ज्यादा है. जोकि मौजूदा रेंज से दोगुनी है ऐसा होने से पिनाका रॉकेट लॉन्चर रूसी स्मर्च जोकि भारतीय सेना में सबसे लंबी मार करने वाले रॉकेट लॉन्चर है वो उसके क़रीब पहुंच जाएगा. स्मर्च की मारक क्षमता है 90 किलोमीटर की है. रूसी से ली गई स्मर्च मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर की 3 रेजिमेंट, ग्रैड की 5 रेजिमेंट और स्वदेशी पिनाका की 4 रेजिमेंट मौजूद है. आत्मनिर्भर भारत के तहत अब स्वदेशी पिनाका रेजिमेंट की संख्या भी बढ़ने वाली है. आने वाले 4 से 5 साल में पिनाका की 10 रेजिमेंट भारतीय सेना के पास होगी. यानी पिनाका की 6 और रेजिमेंट सेना को मिल जाएगी. ये रेजिमेंट अपग्रेटेड होंगी जिससे अलग अलग तरह के एम्युनिशन आसानी से दागे जा सकेंगे. प्रलय और निर्भय मिसाइल भी हो रही है तैयार रक्षा मंत्रालय की रक्षा ख़रीद परिषद ने भारतीय सेना की लंबी दूरी तक मार करने की क्षमता बढ़ाने के लिए प्रलय टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल और निर्भय सब सोनिक क्रूज मिसाइल की ख़रीद को हरी झंडी दी थी. प्रलय टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल जिसकी मारक क्षमता 400 किलोमीटर और निर्भय सब सोनिक क्रूज मिसाइल की ख़रीद को मंज़ूरी दी थी. जिसकी मारक क्षमता 1000 किलोमीटर. जैसा नाम वैसा ही इनका काम और जल्द ही ये हो जाएंगे भारतीय आर्टीलरी के नाम क्योंकि प्रलय के तो सभी ट्रायल पूरे हो चुके हैं. जबकि निर्भय के ट्रायल जारी है और माना जा रहा है कि अगले साल तक ये यूज़र ट्रायल यानी की सेना के ट्रायल के लिए दो दिए जाएंगे. भारतीय तोपख़ाने की सभी गन होगी 155mm साल 1999 में शुरू हुए सेना के आधुनिकीकरण के प्लान में आर्टीलरी तोपें सबसे अहम था. जिसमें साल 2027 तक 2800 तोपें भारतीय सेना में शामिल करने का लक्ष्य है. 155 mm की अलग अलग कैलिबर की तोपें ली जानी है. जिसमें 1580 टोड तोप जो की गाड़ियों के ज़रिये खींची जाने वाली तोपें है. 814 ट्रक माउंटेड गन यानी गाड़ियों पर बनी तोपें. 100 तोपें ट्रैक्टड सेल्फ़ प्रोपेल्ड जो की रेगिस्तानी इलाक़ों के लिए, 180 विल्ड सेल्फ़ प्रोपेल्ड गन और 145 अल्ट्रा लाईट होवितसर सब शामिल था. आर्टेलरी आधुनिकीकरण की प्रक्रिया से गुजर रहा है और सेना का ये प्लान है कि 2040 तक सभी आर्टेलरी रेजिमेंट को 155 mm में तब्दील कर दिया जाए. स्वदेशी तोप धनुष सेना को मिल भी चुकी है और नॉर्दर्न बॉर्डर पर तैनात भी किया जा चुका है. स्वदेशी टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) और माउंटेड गन सिस्टम लेने पर भी काम चल रहा है. ATAGS ट्रायल के अडवांस स्टेज में है. डीआरडीओ और स्वदेशी प्राइवेट सेक्टर ने इसे मिलकर डिजाइन किया है इसके यूजर ट्रायल हो गए हैं. अमेरिका से ली गए M-777 अल्ट्रा लाइट हॉवितसर की 7 रेजिमेंट भारतीय सेना में शामिल की जा चुकी है तो 100 K-9 वज्रा तोप भारतीय सेना में शामिल की जा चुकी है और उसे पाकिस्तान सीमा के पास रेगिस्तान में ऑप्रेट करने के लिहाज से लिया गया था. लेकिन जैसे ही पूर्वी लद्दाख में विवाद बढ़ा इन तोपों को हाई ऑलटेट्यूड में तैनात कर दिया जहां तापमान -20 तक गिर जाता है. चूंकि माइनस तापमान वाले इलाक़ों में ऑयल, लुब्रिकेंट, बैटरी और अन्य कई दिक़्क़तें पेश आती है लेहाजा अब 100 अतिरिक्त K-9 वज्रा तोप ख़ास उन 9 आईटम और फ़ायर एंड कंट्रोल सिस्टम के बदलाव के साथ ली जाना है. 130 mm की पुरानी गन को अपग्रेड कर के उन्हें 155mm स्टैंडर्ड गन में किया जा रहा है. Tags: Indian Armed Forces, Indian armyFIRST PUBLISHED : September 28, 2024, 12:25 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed