जंग के लिए तैयार हो रही आर्मी! चीन-पाक दोनों को एक साथ टैकल करने बड़ा प्लान
जंग के लिए तैयार हो रही आर्मी! चीन-पाक दोनों को एक साथ टैकल करने बड़ा प्लान
Indian Army News:भारतीय सेना को तवांग के पास मंडाला फायरिंग रेंज मिल चुका है, जिसे अभ्यास के लिए इस्तेमाल में लाया जा रहा है तो दूसरा कमराला फायरिंग रेंज जल्द मिलेगा. खास बात यह है कि ये दोनों रेंज LAC से 50 किलोमीटर एरियल डिस्टेंस पर 10,000 फीट की हाई ऑल्टीट्यूड पर स्थित है. अगर हम भारतीय सेना के फायरिंग रेंज की बात करें तो देशभर में दो दर्जन से ज्यादा रेंज है, जहां भारतीय सेना ने टैंक आर्टीलरी गन, मैकेनाइजड इंफैंट्री, एयर डिफेंस और वॉर एक्सरसाइज को अंजाम देते है.
नई दिल्ली. भविष्य की संभावित जंग का मैदान या तो उंची पहाड़ियां और हाई ऑल्टीट्यूड एरिया होगा या फिर नीला समंदर और दोनों की फ्रंट के लिए भारतीय सेना खुद का तैयार कर रही है. जमीन पर चीन और पाकिस्तान के साथ टू फ्रंट वॉर की संभावनाओं के तहत अपनी तैयारियों को तेजी से अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया है. नए घातक अत्याधुनिक हथियारों को सेना में शामिल किया जा रहा है तो साथ ही ट्रेनिंग के लिए भी अपने फायरिंग रेंज को मजबूत करने में जुटा है और उसी कड़ी में एक नया फायरिंग रेंज का दयार बढ़ाने की तैयारी तेज है. खासतौर पर पूर्वोत्तर के हाई ऑल्टीट्यूड एरिया में. सेना के सूत्रों के मुताबिक, भारतीय सेना को इन्टर्न सेक्टर में LAC के पास नए फायरिंग रेंज मिलने जा रहा है.
इससे पहले पिछले साल ही भारतीय सेना को तवांग के पास मंडाला फायरिंग रेंज मिल चुका है, जिसे अभ्यास के लिए इस्तेमाल में लाया जा रहा है तो दूसरा कमराला फायरिंग रेंज जल्द मिलेगा. खास बात यह है कि ये दोनों रेंज LAC से 50 किलोमीटर एरियल डिस्टेंस पर 10,000 फीट की हाई ऑल्टीट्यूड पर स्थित है. अगर हम भारतीय सेना के फायरिंग रेंज की बात करें तो देशभर में दो दर्जन से ज्यादा रेंज है, जहां भारतीय सेना ने टैंक आर्टीलरी गन, मैकेनाइजड इंफैंट्री, एयर डिफेंस और वॉर एक्सरसाइज को अंजाम देते है. हाई ऑल्टीट्यूड एरिया में जंग लड़ाना एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि वहां सबसे पहला दुश्मन मौसम और टेरेन होता है और वहां पर भारी सैन्य उपकरण से सटीक मार करने के लिए प्रैक्टिस सबसे जरूरी होती है.
तवांग के हाई ऑलटेट्यूड फायरिंग रेंज ‘बुलंद भारत’ अभ्यास को दे चुकी है अंजाम
9 दिसंबर 2022 को तवांग के पास LAC पर भारत और के चीन के बीच विवाद हुआ था. उसके महज 6 महीने के अंदर ही भारतीय सेना ने मंडाला फायरिंग रेंज पर पहले एक बड़े अभ्यास को अंजाम दिया था. इस इंटीग्रेटेड अभ्यास में मोर्टार, फिल्ड गन और 155 मिलिमीटर बफोर्स ने जमकर अपने टारगेट पर सटीक निशाना साधा, तो स्पेशल फोर्स और अन्य सैनिक के साथ-साथ LAC पर तैनात शस्त्र सीम बाल SSB और ITBP ने मिलकर अभ्यास को अंजाम दिया था. इस डिविजन स्तर के इंटीग्रेटेड सर्वेलांस और फायर पावर अभ्यास को नाम भी दिया गया था. ‘बुलंद भारत’ यानी की चीन को भारतीय सेना तोपों की बुलंद गर्जना सुनाई गई थी.
अयोध्या फील्ड फायरिंग रेंज की जगह नए रेंज की तलाश –
इसी कड़ी में सेना अब अयोध्या स्थित फायरिंग रेंज के डीनोटिफाई होने के बाद नए रेंज की तलाश में जुटी है. दरअसल, अयोध्या में मंदिर निर्माण और उसके विकास और कायाकल्प के लिए सैकड़ों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया. भव्य राम मंदिर बना, एयरपोर्ट बना और जमीन के अधिग्रहण को लेकर कई विवाद भी हुए, जिसमें से एक है भारतीय सेना का अयोध्या में पड़ने वाला फील्ड एंड फायरिंग रेंज के बफर जोन, जिसे सरकार ने डीनोटीफाई कर इस जमीन का लैंड यूज बदल दिया था. अयोध्या विकास प्राधिकरण (ADA) ने इस इलाके में मैपिंग और इसे निर्माण और कॉमर्शियल उपयोग के लिए सार्वजनिक रूप से खोलने का फैसला लिया है. सरकार की तरफ से फायरिंग रेंज को डीनोटिफाई करने फैसले पर सेना के सूत्रों ने कहा कि चूंकि फायरिंग रेंज नए एयरपोर्ट के फ्लाइट रूट पर आ रहा है लिहाजा यहां पर फायरिंग प्रैक्टिस करना सुरक्षित नहीं है. वहीं दूसरी फायरिंग रेंज की तलाश जारी है. चूंकि डिफेंस लैंड के अधिग्रहण की एक प्रक्रिया है, जिसके तहत डिफेंस लैंड मैनेजमेंट पोर्टल पर किसी भी सिविल कार्य के लिए जमीन के लिए आवेदन किया जाता है. किस वजह के लिए जमीन लेनी है, क्यों वो व्यवहारिक है या नहीं इसकी रिपोर्ट पर डीजी डिफेंस स्टेट के डीजी अपनी राय रखते है फिर रक्षा मंत्रालय उसे जांचता है.
इसके बाद मंजूरी मिलती है, जो नियम है डिफेंस लैंड के लिए है. इसमें जो भी सरकार या सरकारी एजेंसी को जमीन लेनी होती है. उसे जिस डिफेंस लैंड की जितनी जमीन और जितना भी निर्माण उस जमीन पर उसके एवज में उतनी ही जमीन और उतना ही निर्माण किसी दूसरी जगह पर देना होता है. इसके अलावा कैश मुआवजे का भी प्रावधान, लेकिन सेना इसको कम ही उपयोग में लाती है. अयोध्या में डिफेंस लैंड के डीनोटिफाई और अधिग्रहण के एवज में भी वही प्रक्रिया को अपनाया जाएगा. हालांकि देश के कई डिफेंस लैंड पर अनाधिकृत कब्जे की खबरों को सेना के सूत्रों ने सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि देश में किसी भी जमीन पर अनाधिकृत कब्जा नहीं है और इस तरह के मसलों के लिए सेना के पास कड़ा मैकेनिजम है. इसके अलावा भारतीय सेना 10 कैन्टोनमैंट एरिया को स्थानीय प्रशासन को सौंपा जाएगा, जिसमें अजमेर, बबीना, क्लेमनटाउन, देवलाली, देहरादून, फतेहगढ, नसीराबाद, मथुरा कैंट शामिल है.
Tags: Indian armyFIRST PUBLISHED : September 2, 2024, 18:40 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed