शिंदे जितनी ताकत मगर कद तीसरे दर्जे का तो इसलिए मलिक को आगे कर रहे दादा
शिंदे जितनी ताकत मगर कद तीसरे दर्जे का तो इसलिए मलिक को आगे कर रहे दादा
Maharashtra Chunav 2024: एनसीपी के भीतर नवाब मलिक कितने बड़े नेता हैं? आखिर अजीत पवार इनके लिए सीधे भाजपा के साथ पंगा क्यों ले रहे हैं? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो महाराष्ट्र की राजनीति और महायुति के भीतर की चीजों को बताने के लिए काफी हैं.
Maharashtra Chunav 2024: महाराष्ट्र चुनाव का मंच सज चुका है. मंगलवार को नामांकन की आखिरी तारीख खत्म हो गई. दोनों प्रमुख गठबंधनों के उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल कर दिया. लेकिन, कई सीटों पर ममला अब भी उलझा हुआ है. कम से कम ऐसी 15 सीटें हैं जहां गठबंधन के सहयोगी दलों ने एक दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतार दिए हैं. इस बीच सबसे बड़ी चर्चा एनसीपी नेता नवाब मलिक की उम्मीदवारी है. भाजपा के कड़े विरोध के बावजूद अजीत पवार ने उन्हें और उनकी बिटिया को टिकट थमा दिया है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि एनसीपी प्रमुख अजीत पवार साथ रहते हुए भी भाजपा के पंगा क्यों ले रहे हैं. भाजपा ने मंगलवार को एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि वह नवाब मलिक के लिए चुनाव प्रचार नहीं करेगी. उसने कहा कि पार्टी ऐसे किसी व्यक्ति के लिए प्रचार करने के बारे में नहीं सोच सकती जिसका दाउद इब्राहिम के साथ संबंध रहा हो.
खैर, अब सवाल उठता है कि अजीत पवार भाजपा से पंगा क्यों ले रहे हैं? इसके पीछे कई कारण हैं. महाराष्ट्र की राजनीति के जानकारों का कहना है कि अजीत पवार जिस उद्देश्य से महायुति के साथ आए थे वो उद्देश्य कहीं न कहीं अधूरा रह गया. वह एनसीपी पर कब्जा कर करीब-करीब एकनाथ शिंदे जितनी ताकत के साथ महायुति में शामिल हुए लेकिन उनको कभी भी शिवसेना शिंदे गुट के बराबर की हैसियत से नहीं देखा गया.
शिवसेना जितनी ताकत
जानकारों का कहना है कि महायुति में शिवसेना शिंदे गुट और एनसीपी के पास करीब-करीब 40-40 विधायक हैं. लेकिन, गठबंधन के भीतर दोनों की हैसियत में काफी अंतर है. यह अंतर लोकसभा चुनाव और अब विधानसभा चुनाव में भी दिख रहा है. लोकसभा में एनसीपी को केवल चार सीटें मिली थीं. हालांकि इन चार में भी उसका प्रदर्शन बहुत बुरा रहा और उसे केवल एक सीट पर जीत मिली. दूसरी तरफ शिवसेना शिंदे गुट ने 15 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसे सात सीटों पर जीत भी मिली.
मात्र 40 सीटों के साथ शिवसेना राज्य में सीएम पद भी ले रखा है. इसके साथ ही इस बार के विधानसभा चुनाव में उसे करीब 85 सीटें मिली हैं. भाजपा 148 पर लड़ रही है. दूसरी तरफ अजीत पवार की एनसीपी केवल 51 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इस तरह उनको हर स्तर पर समझौता करना पड़ा है.
भाजपा के सामने झुकी एनसीपी
रिपोर्ट की माने तो इस कारण एनसीपी के भीतर सबकुछ ठीक नहीं है. पार्टी नेताओं का एक धड़ा यह मानने लगा है कि हम भाजपा के सामने कुछ ज्यादा ही झुक रहे है. गठबंधन ने उसे उसका हक नहीं दिया जा रहा है.
पार्टी नेताओं के इसी दवाब के कारण नामांकन के दिन अंतिम समय में अजीत पवार ने नवाब मलिक को टिकट थमा दिया. नवाब मलिक एनसीपी के शीर्ष के नेताओं में शामिल हैं. वह पार्टी के भीतर एक प्रमुख मुस्लिम चेहरा हैं. ऐसे में अजीत पवार और पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि भाजपा के दबाव में नवाब मलिक को किनारा करने से अल्पसंख्यक समुदाय में गलत संदेश जाएगा. वे पार्टी के दूर हो जाएंगे और इसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में देखने के मिल सकता है.
Tags: Ajit Pawar, Devendra Fadnavis, Maharashtra election 2024, Maharashtra Elections, Nawab MalikFIRST PUBLISHED : October 30, 2024, 07:31 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed