विस्फोट के बाद कैसा था ट्विन टावर्स के अंदर का नजाराबताएंगे CBRI के 10 ब्लैक बाॅक्स
विस्फोट के बाद कैसा था ट्विन टावर्स के अंदर का नजाराबताएंगे CBRI के 10 ब्लैक बाॅक्स
ट्विन टावर्स को गिरते हुए बाहर से तो सबने देखा. उसके ध्वस्त होने के बाद आसमान में करीब 300 मीटर की ऊंर्चाई और कई किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला धूल का गुबार भी नजर आया. लेकिन बहुमंजिला इमारतों में विस्फोट के बाद अंदर से कैसा नजारा था, इस मंजर के गवाह सिर्फ 10 ब्लैक बॉक्स हैं.
नई दिल्लीः नोएडा के सेक्टर 93-ए स्थित सुपरटेक ट्विन टावर्स को 3700 किलोग्राम बारूद और 8 महीने की तैयारी के बाद 28 अप्रैल, 2022 को ठीक दोपहर 2:30 बजे सिलसिलेवार विस्फोट की मदद से महज 7 सेकेंड में सफलतापूर्वक ध्वस्त कर दिया गया. ट्विन टावर्स को गिरते हुए बाहर से तो सबने देखा. उसके ध्वस्त होने के बाद आसमान में करीब 300 मीटर की ऊंर्चाई और कई किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला धूल का गुबार भी नजर आया. लेकिन बहुमंजिला इमारतों में विस्फोट के बाद अंदर से कैसा नजारा था, इस मंजर के गवाह सिर्फ 10 ब्लैक बॉक्स हैं. इन ब्लैक बॉक्स को सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) रुड़की के वैज्ञानिकों ने ट्विन टावर्स के भीतर इस मकसद से स्थापित किया था कि भविष्य में इस तरह के ध्वस्तीकरण पर और बारीक अध्ययन किया जा सके.
इनमें से एक ब्लैक बॉक्स मिल गया है. बाकी की तलाश जारी है. वैज्ञानिकों ने दोनों इमारतों के चारों ओर 150 मीटर के दायरे में कई तरह के उपकरण लगाए थे, जो विभिन्न दृष्टिकोण से ध्वस्तीकरण के प्रभाव को बताएंगे. ट्विन टावर्स जितने सुरक्षित तरीके से जमींदोज हो गए, उसने भारतीय वैज्ञानिकों की कुशलता को दुनियाभर में साबित कर दिया है. इस पूरे काम में काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) के रुड़की स्थित सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) और सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च (CIMFR) धनबाद के वैज्ञानिकों की अहम भूमिका रही.
ब्लैक बॉक्स में रिकार्ड हुआ होगा ध्वस्त इमारतों के अंदर का नजारा
सीबीआरआई के चीफ साइंटिस्ट एवं जियो हेजार्ड रिस्क रिडक्शन ग्रुप लीडर डॉ. डीपी कानूनगो ने मीडिया से बातचीत में बताया कि एयरोप्लेन की तरह ही ट्विन टावर्स के ध्वस्तीकरण से पहले इनके अंदर 10 ब्लैक बॉक्स लगाए थे, जो डिमोलिशन की पूरी प्रक्रिया को दोनों इमारतों के भीतर से रिकार्ड करेंगे. इन ब्लैक बॉक्स में रिकार्ड जानकारी से पता चलेगा कि इमारतें किस तरह से गिरीं, कितनी स्पीड में धराशायी हुईं और किस तरह रोटेट होकर गिरीं. कुल मिलाकर ये ब्लैक बॉक्स इस तरह की डिमोलिशन के लिए आगे की रिसर्च में सहायता करेंगे. ट्विन टावर्स के मलबे को नोएडा अथॉरिटी साफ करने में जुट गई है. संभव है कि कुछ ब्लैक बॉक्स मलबे में दबकर क्षतिग्रस्त भी हो गए हों. इस पूरे काम में 10 वैज्ञानिकों की टीम लगी थी, जिनमें से 8 सीबीआरआई रुड़की और 2 सिम्फर धनबाद के थे.
पूरी तरह स्वदेशी हैं ट्विन टावर्स में लगाए गए ब्लैक बॉक्स
एक और खास बात यह है कि जिन ब्लैक बॉक्स को ट्विन टावर्स में लगाया गया था, वे पूरी तरह स्वदेशी हैं. सीबीआरआई के वैज्ञानिकों ने ही इन्हें बनाया है. डॉ. डीपी कानूनगो ने बताया कि ट्विन टावर्स के 150 मीटर की रेडियस में 19 सिस्मोग्राफ इंस्ट्रूमेंट लगाकर मॉनिटरिंग की गई. जो अलग-अलग दूरी पर मलबे से गिरने पर जमीनी कंपन को मापेंगे. साथ ही ड्रोन से भी तस्वीरें ली गई हैं. आस-पास की बिल्डिंग में जगह-जगह कैमरे और सेंसर लगाए गए थे. ब्लैक बॉक्स और ड्रोन की इमेज प्रोसेसिंग से भविष्य के लिए शोध किया जा सकेगा.
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Tags: Supertech Emerald Tower, Supertech twin tower, Supertech Twin Tower caseFIRST PUBLISHED : August 29, 2022, 10:41 IST