क्या है अखिलेश का PDA+B विधानसभा में 4 पदों की घोषणा किसी यादव को मौका नहीं!
क्या है अखिलेश का PDA+B विधानसभा में 4 पदों की घोषणा किसी यादव को मौका नहीं!
Akhilesh Yadav PDA+B Formula: लोकसभा चुनाव में मिली शानदार जीत के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव अपने पीडीए फॉर्मूले को विस्तार देने में जुटे हैं. इससे सीधे तौर पर भाजपा परेशान हो सकती है.
Akhilesh Yadav PDA+B Formula: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में शानदार जीत मिलने के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने जनाधार को और विस्तार देने में जुटे हैं. इस दिशा में उन्होंने रविवार को एक और मास्टर स्ट्रॉक लगाया. उन्होंने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर वरिष्ठ समाजवादी नेता माता प्रसाद पांडेय को बैठाने का निर्णय लिया. यह पद सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के सांसद चुने जाने के बाद विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने की वजह से रिक्त हुआ है. माता प्रसाद ब्राह्मण समुदाय से आते हैं और वह 82 साल के हैं. सोमवार को विधानसभा सत्र की कार्यवाही शुरू होने से एक दिन पूर्व रविवार को अखिलेश यादव ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को भेजे एक पत्र में माता प्रसाद पांडेय (Mata Prasad Pandey) को नेता प्रतिपक्ष बनाये जाने का अनुरोध किया.
इसके साथ ही अखिलेश यादव ने विधानसभा में महबूब अली-अधिष्ठाता मंडल, कमाल अख्तर-मुख्य सचेतक और राकेश कुमार उर्फ आर के वर्मा-उप सचेतक नियुक्त किया है. लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition in UP Assembly) की भूमिका का निर्वहन कर रहे थे. उन्होंने कन्नौज संसदीय क्षेत्र से लोकसभा सदस्य चुने जाने के बाद (मैनपुरी जिले की) करहल विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था.
सात बार के विधायक
माता प्रसाद सिद्धार्थ नगर जिले की इटवा सीट से विधायक हैं. ब्राह्मण समाज से आने वाले पांडेय उत्तर प्रदेश विधानसभा के दो बार अध्यक्ष रह चुके हैं और सातवीं बार विधायक हैं. पांडेय पहली बार 1980 में फिर 1985 और 1989 में विधायक बने. इसके बाद 2002, 2007 और 2012 में पांडेय लगातार चुनाव जीतने में कामयाब रहे.
हालांकि साल 2017 में वह पराजित हो गये लेकिन 2022 में वह फिर इटवा से विधायक निर्वाचित हुए. पांडेय 1990-1991 के बीच मुलायम सिंह यादव की कैबिनेट में चिकित्सा और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री रहे. 2002-2004 के बीच मुलायम की सरकार में उन्हें फिर से मंत्री बनाया गया और उन्हें श्रम एवं रोजगार मंत्रालय का प्रभार दिया गया. पांडेय पहली बार 2004-2007 के बीच उप्र विधानसभा के अध्यक्ष बने और 2012-17 के बीच फिर से इस पद पर रहे.
अधिष्ठाता मंडल बनाये गये महबूब अली-अमरोहा, मुख्य सचेतक कमाल अख्तर-मुरादाबाद जिले के कांठ और सचेतक आरके वर्मा प्रतापगढ़ जिले के रानीगंज विधानसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के विधायक हैं.इसके पहले विधानसभा में मुख्य सचेतक रहे रायबरेली जिले के ऊंचाहार से सपा विधायक मनोज पांडेय ने राज्यसभा चुनाव के दौरान मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा दे दिया था. हाल में सपा प्रमुख यादव ने उन पर भाजपा की मदद करने का आरोप लगाते हुए विधानसभा अध्यक्ष से उनकी सदस्यता रद्द करने की गुजारिश की थी.
अखिलेश का PDA+B फॉर्मूला
लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने पीडीए फॉर्मूला अपनाया था. पीडीए का मतलब पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक है. उन्होंने टिकट बंटवारे में भी इस फॉर्मूले का बखूबी ध्यान रखा. इस फॉर्मूले के जरिए वह सपा की ‘यादव समुदाय की पार्टी’ होने की छवि तोड़ना चाहते थे. इसका अनुमान आप इसी से लगा सकते हैं सपा ने बीते लोकसभा चुनाव में यूपी की 63 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. इसमें से केवल पांच सीटों पर उन्होंने यादव समुदाय के नेताओं को टिकट दिया. ये पांचों सीटें भी अखिलेश यादव परिवार के भीतर की है. खुद अखिलेश यादव कनौज से और डिंपल यादव मैनपुरी से मैदान में थे. इनमें अधिकतर सीटें गैर यादव पिछड़ी जातियों के उम्मीदवारों को दिया गया. फिर उन्होंने बलिया से ब्राह्मण उम्मीदवार सनातन पांडे को मैदान में उतारा. सनातन पांडे विजयी भी हुए.
ब्राह्मण वोटर्स पर नजर
अखिलेश यादव माता प्रसाद को नेता प्रतिपक्ष बनाकर एक तीर से कई निशान साध रहे हैं. इस वक्त यूपी में भाजपा के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राजपूत समुदाय से आते हैं. राज्य में अगड़ी जातियों में राजपूत और ब्राह्मण दोनों समुदाय राजनीतिक रूप से बेहद प्रभावी रहा है. आबादी में भी इनकी संख्या अच्छी है. आमतौर पर ये दोनों प्रभावी जातियां एक साथ सहज नहीं रहती हैं. ऐसे में मीडिया में बार-बार ऐसी खबरें आती भी हैं कि योगी से ब्राह्मण समुदाय खुश नहीं है. भाजपा नेतृत्व भी राज्य में ब्राह्मण समुदाय के प्रभाव और महत्व को समझता है. ऐसे में उसने राज्य में उपमुख्यमंत्री पद की एक कुर्सी ब्राह्मण नेता ब्रजेश पाठक को दे रखी है. लेकिन, ऐसी रिपोर्ट है कि ब्रजेश पाठक के भी सीएम योगी के साथ बहुत अच्छे रिश्ते नहीं हैं. ऐसे में कहीं न कहीं ब्राह्मण समुदाय की इस नाराजगी को कुछ हद तक अपने पक्ष में करने के लिए अखिलेश यादव ने माता प्रसाद पांडेय को यह अहम पद दिया है.
यादव समुदाय से दूरी
लोकसभा चुनाव में मिली जीत के बाद अखिलेश यादव सपा के सर्वमान्य नेता बन गए हैं. ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि अखिलेश जब सदन में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी छोड़ेंगे तो अपने चाचा शिवपाल यादव को यह पद देंगे. लेकिन, उन्होंने ऐसा नहीं किया. अगर वह ऐसा करते तो एक बार फिर उन पर यादव और परिवार प्रेमी होने का आरोप लगता. साथ ही अखिलेश सपा में वैसा कोई सत्ता का केंद्र नहीं बनना देना चाहते जिससे उनको दिक्कत पैदा हो. दरअसल, अखिलेश जब 2012 से 2017 तक राज्य के मुख्यमंत्री थे तब उनको इसी चीज से चुनौती का सामना करना पड़ा था. ऐसा कहा जाता है कि अखिलेश के सीएम रहते उनकी सरकार में पांच-पांच सुपर सीएम हुआ करते थे. इसी कारण अखिलेश अपने विकास कार्यों को जनता तक पहुंचाने में नाकाम रहे और प्रशासन पर अपना प्रभावी नियंत्रण नहीं बना पाए. अब अखिलेश उस गलती को दोहराना नहीं चाहते हैं.
Tags: Akhilesh yadav, Samajwadi partyFIRST PUBLISHED : July 28, 2024, 18:30 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed