OPINION: मोदी सरकार का 41000 करोड़ वाला भारी भरकम विशालकाय बंदरगाह
OPINION: मोदी सरकार का 41000 करोड़ वाला भारी भरकम विशालकाय बंदरगाह
Great Nicobar Port Project: केंद्र सरकार ने अपने बजट में ग्रेट निकोबार पोर्ट प्रोजेक्ट के लिए 41000 करोड़ रुपए दिए हैं. इस पोर्ट के बन जाने के बाद भारत का अंतरराष्ट्रीय व्यापार ना सिर्फ आसान हो जाएगा, बल्कि यह सस्ता भी होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में आधारभूत संरचना के विकास को लेकर के लगातार अपनी प्रतिबद्धता दोहराते रहे है. पीएम नरेंद्र मोदी कहते हैं कि विकास की बयान तेज से बहे इसके लिए देश में मजबूत आधारभूत संरचना आवश्यक है. पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार देश में आधारभूत रचना के विकास के लिए देश में सड़कों का जाल बिछा रही है इसके साथ ही रेल मार्ग और हवाई मार्ग सहित एयरपोर्ट को दुरुस्त कर रही है. मोदी सरकार ने इसके साथ ही साथ देश में जल मार्ग के माध्यम से परिवहन को बढ़ावा देने की नीति को आगे बढ़ा रही है. इसी कड़ी में बंगाल की खाड़ी में ग्रेट निकोबार में प्रस्तावित इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट के निर्माण की ओर सरकार ने एक कदम और बढा दिया है.
सरकार वाणिज्यिक और रणनीतिक रूप से अति महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट को सरकार अंतिम रूप दे दिया है. पोर्ट के निर्माण के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से पर्यावरण संबंधी मंजूरी भी मिल गई है. गौरतलब है कि प्रस्तावित इस पूरी परियोजना पर 41 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसका पहला चरण साल 2028 तक पूरा होने की उम्मीद है. ग्रेट निकोबार ट्रांस शिपमेंट पोर्ट के बन जाने से सभी विशालकाय जहाज भी माल लेकर सीधे भारत आ सकेंगे. अभी तक बड़े जहाज श्रीलंका के कोलंबो, सिंगापुर और मलेशिया की कलौंग बंदरगाह पर आते हैं. फिर वहां से छोटे जहाजों में माल को लादकर भारत लाया जाता है.
इस परियोजना से यह होगा फायदा
ग्रेट निकोबार पोर्ट परियोजना का उद्देश्य विभिन्न बंदरगाहों के बीच कंटेनरों के ट्रांसशिपमेंट को सुविधाजनक बनाना है. ग्रेट निकोबार द्वीप के गैलाथिया खाड़ी में प्रस्तावित ICTP, रणनीतिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग व्यापार मार्ग से केवल 40 समुद्री मील की दूरी पर स्थित है. भारत के लगभग 75 फीसदी ट्रांसशिप्ड कार्गो की व्यवस्था विदेशी बंदरगाहों पर की जाती है. यानी भारत के लिए बड़े जहाजों में आया माल पहले कोलंबो, सिंगापुर और क्लैंग जैसे बंदरगाहों पर आता है. वहां से फिर छोटे जहाजों में भारत आता है. वर्तमान में भारत का ट्रांसशिप्ड कार्गो में से 85 फीसदी ये तीनों बंदरगाह संभालते हैं.
अकेले कोलंबो बंदरगाह भारत का 45 फीसदी ट्रांसशिप्ड कार्गो मैनेज करता है. इसके साथ ही ग्रेट निकोबार पोर्ट हर साल 1.6 करोड़ कंटेनरों को हैंडल करने में सक्षम होगा. इसके पहले चरण को 2028 तक 18000 करोड़ रुपये की लागत से चालू किया जाएगा. पहले चरण की क्षमता 40 लाख से अधिक कंटेनरों को हैंडल करनी की होगी. ट्रांसशिपमेंट पोर्ट के आसपास एक एयरपोर्ट, एक टाउनशिप और एक पावर प्लांट लगाने की भी योजना है. आईसीटीपी के बन जाने से भारत की बड़े कार्गो के ट्रांसशिपमेंट के लिए विदेशी बंदरगाहों पर निर्भरता कम होगी. सामान के आयात और निर्यात में खर्च कम होगा और टाइम भी बचेगा.
41 हजार करोड़ रुपये होंगे खर्च
ग्रेट निकोबार इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट की लागत 41000 करोड़ रुपये है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कुछ दिन पहले ही दावा किया था कि कुछ महीनों में प्रोजेक्ट का काम शुरू होगा. पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के सचिव टी के रामचंद्रन ने पीटीआई से बातचीत में कहा, “इस प्रोजेक्ट को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) से पर्यावरण संबंधी मंजूरी मिल गई है और अब इसके क्रियान्वयन में कोई बाधा नहीं है.”
बीजेपी के युवा नेता मनोज यादव का दावा है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में देश में आधारभूत संरचना और परिवहन तंत्र का जल बढ़ रहा है. मनोज यादव कहते हैं कि मोदी सरकार के कार्यकाल में जल परिवहन पर भी खास जोड़ दिया गया है. मनोज यादव का कहना है कि इसके लिए जहां देश के अंदर नदियों में भी यात्री और सामान की आवाज आई के लिए जल परिवहन को बढ़ावा दिया गया है वहीं पर देश के समुद्री मार्गो में पोर्ट को भी मजबूत किया गया है. इसी के अंतर्गत हमें ग्रेटर निकोबार बंदरगाह के निर्माण और विकास को समझ जाना चाहिए.
FIRST PUBLISHED : August 12, 2024, 17:48 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed