Dr AK Sharma: देश के मशहूर रेडियोलॉजिस्ट जिन्होंने नई तकनीक से बजाया डंका

डॉ शर्मा ने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने डीएमआरडी और एमडी को भी पूरा किया. लेकिन रेडियोलॉजी में आने का मन डॉक्टर शर्मा ने कभी नहीं बनाया था.

Dr AK Sharma: देश के मशहूर रेडियोलॉजिस्ट जिन्होंने नई तकनीक से बजाया डंका
विशाल झा /गाज़ियाबाद :कई बार आदमी की उम्र से बड़ी उसकी उपलब्धियां हो जाती है. देश के मशहूर रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर एके शर्मा के बारे में भी यह बात बिलकुल सटीक बैठती है. जिन्होंने न केवल रेडियोलॉजी के क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज में सीट्स बढ़ाने का योगदान दिया है. बल्कि देश में कई हाई -टेक्निक मशीनों को लाने में भी अपनी भूमिका निभाई है. डॉ एके शर्मा ने अपनी सातवीं तक की पढ़ाई ग्रामीण क्षेत्र से की. इसके बाद चंडीगढ़ में डीएवी स्कूल से अपनी शिक्षा को जोर दिया. ये वहीं स्कूल था जहां से कपिल देव और युवराज सिंह जैसे मशहूर खिलाड़ियों ने अपनी पढ़ाई पूरी की थी. इसके बाद डॉक्टर एके शर्मा का गवर्नमेंट एमबीबीएस कॉलेज शिमला के तत्कालीन जेपी मेडिकल कॉलेज में दाखिला हो गया. इसी कॉलेज को आज इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के नाम से जाना जाता है. कहां से की पढ़ाई? डॉ शर्मा ने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने डीएमआरडी और एमडी को भी पूरा किया. लेकिन रेडियोलॉजी में आने का मन डॉक्टर शर्मा ने कभी नहीं बनाया था. दरअसल उनके मेडिकल कॉलेज में सारी सीट रिजर्व हो चुकी थी, ऐसे में कॉलेज के प्रिंसिपल ने कहा कि आपको अपनी पसंद का ऑर्थोपेडिक डिपार्मेंट नहीं मिल पाएगा और रेडियोलोजी को चुनना होगा. उस वक़्त शर्मा के लिए यह फैसला किसी बड़ी मुसीबत से कम नहीं था. दरअसल 1985 में अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन और एमआरआई जैसी मशीन भारत के लिए बिल्कुल नई थी. तब इन मशीनों के बारे में समझाना काफी मुश्किल था. विदेश में ली ट्रेनिंग डॉ एके शर्मा ने जितना मरीजों के लिए योगदान दिया उतना ही मेडिकल के छात्रों के लिए भी. अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी होने के बाद डॉ शर्मा ने पांडिचेरी स्थित जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ़ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर ज्वाइन कर लिया. फिर दिल्ली जाकर मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज मैं बतौर प्रोफेसर और फिर प्रमोशन के बाद (डायरेक्टर प्रोफेसर) अपनी जिम्मेदारियां को निभाया.  एमडी की सीट बढ़ाने में अहम भूमिका कई मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमडी की सीट को बढ़ाने के लिए भी डॉक्टर शर्मा ने अहम भूमिका निभाई है. दरअसल वो कई मेडिकल यूनिवर्सिटी में एग्जामिनर और कंट्रोलर का पद संभाल चुके हैं. इस दौरान डॉक्टर शर्मा ने नई तकनीक को समझने के लिए कनाडा, यूरोप और यूनाइटेड किंगडम जैसी जगहों पर जाकर मशीनों के बारे में जानकारी लेते थे. भारत में स्पाइरल सिटी मशीन को चलाने वाले डॉक्टर शर्मा पहले रेडियोलॉजिस्ट हैं. शर्मा ने कहा, ‘मेरे प्रयास से जीबी पंत में रहते हुए 250 डिटेक्टर सिटी मशीन अस्पताल को मिली थी. जो भारत में पहली बार आई थी, ऐसे में गरीब मरीजों को बेहतर जांच सुविधा देने के लिए यह कदम काफी जगहों पर सराहा गया था. पाकिस्तान में भी दी ट्रेनिंग डॉ शर्मा ऐसे पहले रेडियोलॉजिस्ट है जिनको पाकिस्तान में भी मशीन की तकनीक को लेकर लेक्चर देने का मौका मिला है. अपना तजुर्बा साझा करते हुए शर्मा बताते हैं कि उन्होंने बांग्लादेश और पाकिस्तान की कराची में रेडियोलोजी विभाग को लेकर लेक्चर दिए थे. जिसमें मरीज के जीवन में नई तकनीक की मशीनों द्वारा बीमारी को स्पष्ट रूप से पता लगाने के लिए स्पीकर बनने का मौका मिला था. अब तक कई अवॉर्ड अपने क्षेत्र में ही डॉ शर्मा ने सैकड़ों जर्नल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पब्लिश किए है. जिसमे सबसे पहले एडिटोरियल इंडियन जनरल ऑफ़ रेडियोलॉजी में ( न्यू एक्सपीरियंस ऑफ़ स्पाइरल सिटी इन इंडिया) के ऊपर अपने तजुर्बे बताए थे. इसके बाद लेटेस्ट स्टेट ऑफ एमआरआई एंड रिलेटेड स्टडीज, लिस्ट रेडिएशन इन पीडियाट्रिक्स पेशेंट ड्यूरिंग टेस्ट आदि जैसे सैकड़ो रिसर्च पेपर डॉ शर्मा ने सबमिट किए है. Tags: Local18, Medical18FIRST PUBLISHED : May 24, 2024, 14:20 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed