जमने लगा सेना का खून नहीं रुकी जोरावर की तलवार कहलाए ‘भारत का नैपोलियन’

इतिहास में अभी तक किसी ने भी उस दिशा में हमला करने की नहीं सोची थी. शून्‍य से भी कम तापमान और बर्फीला इलाका यहां पर किसी सुरक्षा कवच की तरह था. बावजूद इसके जनरल जोरावर ने हिम्‍मत नहीं हारी और वहां परचम लहारा दिया, जहां तक पहुंचने के बारे में किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था. जोरावर की बहादुरी की वजह से भारत को अपना वह छोर मिला, जिसकी सीमा तिब्‍बत है. जोरावर सिंह को दुनिया अब ‘भारत के नैपोलियन’ के तौर पर जानती है.

जमने लगा सेना का खून नहीं रुकी जोरावर की तलवार कहलाए ‘भारत का नैपोलियन’