क्या है वो वाल्मीकि समुदाय जिसे कश्मीर में एससी लिस्ट में डाला जा सकता है

क्या है वाल्मीकि जाति, जिसे केंद्र अब जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करना चाहता है. केंद्र ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस आशय की घोषणा भी की है. वैसे तो देशभऱ के तमाम राज्यों में वाल्मीकि को इस सूची में अलग अलग नामों से जगह मिली है. जानते हैं वाल्मीकि समुदाय और अनुसूचित जाति सूची में किसी जाति को शामिल करने की प्रक्रिया के बारे में

क्या है वो वाल्मीकि समुदाय जिसे कश्मीर में एससी लिस्ट में डाला जा सकता है
हाइलाइट्सआमतौर पर वाल्मीकि समुदाय को देशभर में अनुसूचित जाति की सूची में रखा गया हैजम्मू-कश्मीर में वाल्मीकि एससी लिस्ट में नहीं लेकिन केंद्र का प्रस्ताव उन्हें इस लिस्ट में लाने कावाल्मीकि देश में तकरीबन हर राज्य में अलग अलग नाम से अनुसूचित जाति सूची में शामिल हैं जम्मू और कश्मीर में जल्दी ही चुनाव होने वाले हैं. इस चुनावी माहौल में राज्य में कई तरह की घोषणाएं केंद्र के सत्ताधारी दल द्वारा की जा रहीं हैं. हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि वाल्मीकि समुदाय को जम्मू और कश्मीर की अनुसूचित जाति की सूची में शामिल किया जा सकता है. वैसे हर राज्य की अनुसूचित जाति की सूची अलग अलग होती है. घाटी में लंबे समय से वाल्मीकि को इस सूची में रखने की मांग होती रही हैं. वैसे देश के ज्यादातर राज्यों में ये समुदाय एससी लिस्ट में आमतौर पर शामिल है. चूंकि जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील हो चुका है, लिहाजा इस राज्य में वाल्मीकियों को शेड्यूल्ड कास्ट यानि अनुसूचित जाति की सूची में रखना केंद्र का विषय है. केंद्र सरकार का समाज कल्याण मंत्रालय सितंबर के मध्य में इस आशय का एक प्रस्ताव तैयार कर चुका है. फिलहाल ये प्रस्ताव नेशनल कमीशन फार शेड्यूल्ड कास्ट के पास भेजा जा चुका है. उसकी राय के बाद इसे केंद्रीय कैबिनेट की मीटिंग में मंजूर करने के लिए रखा जाएगा. अनुसूचित जाति क्या होती है. संवैधानिक तौर पर इसकी क्या स्थिति है. कोई भी जाति किस तरह से अनुसूचित जाति में शामिल की जाती है, इसकी प्रक्रिया क्या है, ये तो हम जानेंगे ही लेकिन पहले जानते हैं कि वाल्मीकि क्या होते हैं. जम्मू कश्मीर में कितने वाल्मीकि हैं. क्या होते हैं वाल्मीकि वाल्मीकि या बाल्मीकि मूल रूप से दलित(द्रविड़) समुदाय है. इन्हें कई राज्यों में अनुसूचित जाति की सूची में रखा हुआ है. इस समाज के हेला,डोम, हलालखोर,लालबेग, भंगी, चूहड़ा, बांसफोड़, मुसहर, नमोशूद्रा, मातंग, मेहतर, महार, सुपच, सुदर्शन, मज़हबी, गंगापुत्र, नायक, बेदा, बोया, हंटर, कोली आदि हैं. अलग अलग राज्यों की एससी लिस्ट में आप इन्हें इन्हीं अलग अलग नामों से मौजूद पाएंगे. पंजाब में बसे मजहबी को भी इनका हिस्सा माना जाता है. ये सिख धर्म के अनुयायी हैं. वाल्मीकि नाम वाल्मीकि से लिया गया है जिन्हें ये समुदाय अपना गुरु मानता है. वाल्मीकि समुदाय के लोग भगवान वाल्मीकि को ईश्वर का अवतार मानते हैं. उनके द्वारा रचित श्रीमद रामायण तथा योगवासिष्ठ को पवित्र ग्रंथ मानते हैं. वाल्मीकि पूरे देश में पाई जाने वाली एक जाति या संप्रदाय है. इससे संबंधित लोग जो खुद के भगवान वाल्मीकि के वंशज होने का दावा करते हैं. इसे मार्शल जातीय समुदाय भी माना जाता रहा है. पारंपरिक रूप से इनका काम युद्ध करना रहा है. वाल्मीकि समाज के लोग पारंपरिक तौर पर क्या करते रहे हैं उत्तर भारत में पाए जाने वाले इस समुदाय के लोग पारंपरिक तौर पर सीवेज क्लीनर और स्वच्छता कर्मी के रूप में काम करते आए हैं. हालांकि, शिक्षा और रोजगार के आधुनिक अवसरों का लाभ उठाकर वो अब दूसरे पेशों में भी जा रहे हैं. इससे उनकी सामाजिक के साथ आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है. जनसंख्या 2001 की जनगणना के अनुसार, पंजाब में यह अनुसूचित जाति की आबादी का 11.2% थे‌. दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में यह दूसरी सबसे अधिक आबादी वाली अनुसूचित जाति थी. 2011 की जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश मेें अनुसूचित जाति की कुल आबादी 13,19,241 दर्ज की गई. जम्मू कश्मीर में स्थिति जम्मू कश्मीर में इनकी संख्या बहुत ज्यादा नहीं है. 50 के दशक के आखिर में कई वाल्मीकि परिवार जम्मू – कश्मीर गए थे. अब वहां उनकी संख्या 450-500 परिवारों की है. उनके पंजाब से कश्मीर जाने की भी एक कहानी है. दरअसल जम्मू कश्मीर में सफाई कर्मियों ने हड़ताल कर दी. हालात जब खराब होने लगे तो पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों ने वाल्मीकि समुदाय से वहां जाने की गुजारिश की. तब जो बाल्मीकि परिवार वहां गए, वहीं के होकर रह गए. पारिवारिक तौर पर वो जरूर वहां बढ़ते रहे. हालांकि वहां पहले से भी वाल्मीकियों की मौजूदगी रही है. इन सभी ने खुद को अनूसूचित जाति की लिस्ट में रखने की लंबी लड़ाई लड़ी है.आंकड़े बताते हैं कि जम्मू कश्मीर में करीब 7.38 फीसदी हिस्सा अनुसूचित जातियों का है. जनसंख्या के लिहाज से वो 924,991 हैं. दक्षिण भारत के वाल्मीकि समाज दक्षिण भारत में बोया या बेदार नायक समाज के लोग अपनी पहचान के लिए वाल्मीकि शब्द का प्रयोग करते हैं. आंध्र प्रदेश में इन्हें बोया वाल्मीकि या वाल्मीकि के नाम से जाना जाता है.‌ बोया या बेदार नायक पारंपरिक रूप से एक शिकारी और मार्शल जाति है. आंध्र प्रदेश में यह मुख्य रूप से अनंतपुर, कुरनूल और कडप्पा जिलों में केंद्रित हैं. कर्नाटक में यह मुख्य रूप से बेलारी, रायचूर और चित्रदुर्ग जिलों में पाए जाते हैं. आंध्र प्रदेश में पहले इन्हें पिछड़ी जाति में शामिल किया गया था, लेकिन अब इन्हें अनुसूचित जनजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. तमिलनाडु में इन्हें सबसे पिछड़ी जाति जबकि कर्नाटक में अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है. वाल्मीकि समाज किस धर्म को मानते हैं? – यह मुख्य रूप से हिंदू धर्म को मानते हैं. पंजाब में निवास करने वाले कुछ वाल्मीकि सिख धर्म के अनुयायी हैं इन्हें संविधान में कहां रखा गया है – भारत के संविधान के अनुच्छेद 366 (24) “अनुसूचित जातियों” से ऐसी जातियां, मूलवंश या जनजातियां अथवा ऐसी जातियों, मूलवंशों या जनजातियों के भाग या उनमें के यूथ अभिप्रेत हैं जिन्हें इस संविधान के प्रयोजनों के लिए अनुच्छेद 341 के अधीन अनुसूचित जातियां समझा जाता है. जम्मू-कश्मीर में वाल्मीकि को अनुसूचित जाति में रखने की प्रक्रिया क्या होगी – नेशनल कमीशन फार शेड्यूल्ड कास्ट की राय मिलने के बाद संबंधित प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट की मीटिंग में लाया जाएगा.वहां से पास होने के बाद ये फिर संसद में आएगा. वहां पास होते ही इसे जम्मू-कश्मीर की अनुसूचित जाति सूची में जगह मिल जाएगी. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Jammu and kashmir, Sc politics, SC ST Category, SC ST CommissionFIRST PUBLISHED : November 21, 2022, 16:47 IST