तिरुपति मंदिर की है खुद की गौशाला यहां होने वाले दूध का कैसे होता है इस्तेमाल

Tirupati Temple Goshala: तिरुपति तिरुमला मंदिर का प्रबंधन टीटीडी ट्रस्ट संभालता है. यह ट्रस्ट एकगौ शाला का भी संचालन करता है. इनके पास करीब 1000 गायें हैं और प्रतिदिन 800 लीटर दूध का उत्पादन होता है. इस दूध का इस्तेमाल मंदिर के पूजा-्अनुष्ठानों में किया जाता है. टीटीडी की योजना 2025 तक दूध का उत्पादन बढ़ाकर 4,000 लीटर करने की है.

तिरुपति मंदिर की है खुद की गौशाला यहां होने वाले दूध का कैसे होता है इस्तेमाल
Tirupati Temple Goshala: पूरे देश में सबसे ज्यादा श्रद्धालु आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर में आते हैं. इसको श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्मग्रंथों में इस मंदिर का जिक्र कलियुग के दौरान भगवान विष्णु के सांसारिक निवास स्थान के रूप में किया गया है. इस मंदिर का प्रबंध तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम करता है, जिसे टीटीडी के नाम से भी जाना जाता है. यह एक स्वतंत्र सरकारी ट्रस्ट है जो दुनिया के दूसरे सबसे अमीर धार्मिक केंद्र का प्रबंधन संभालता है. टीटीडी कई तरह के सामाजिक, धार्मिक, साहित्यिक और शैक्षणिक गतिविधियों में शामिल है. टीटीडी की अपनी एक गौशाला भी है.    रोज निकलता है 800 लीटर दूध तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम की गौशाला में लगभग एक हजार गायें हैं. इन गायों से करीब 800 लीटर दूध रोज मिलता है. टीटीडी की योजना दूध का प्रतिदिन का उत्पादन 800 लीटर से बढ़ाकर 4,000 लीटर करने की है. टीटीडी के अंतर्गत कई मंदिर आते हैं, जिनमें विभिन्न अनुष्ठानों को करने के लिए दूध, घी, दही और मक्खन की जरूरत होती है.  टीटीडी का अनुमान है कि अगले साल तक इन मंदिरों में अनुष्ठानों को कराने के लिए दूध की मांग बढ़ जाएगी. उसी को देखते हुए दूध का उत्पादन बढ़ाकर 6,000 लीटर तक करने की योजना बनाई गई है.  ये भी पढ़ें- दुनिया के वो 10 शानदार शहर, जहां घूमने जाते हैं सबसे ज्यादा लोग, क्या है वहां खास 500 से ज्यादा गायें शामिल की गईं ‘द हंस इंडिया’ की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले कुछ सालों में गौशाला में सात अलग-अलग प्रजातियों की 500 से ज्यादा गायें शामिल की गई हैं. ताकि दूध का उत्पादन बढ़ाया जा सके. गौशाला के अधिकारियों के अनुसार, यह टीटीडी के पूर्व कार्यकारी अधिकारी डॉ. के. एस. जवाहर रेड्डी के प्रयासों से यह संभव हो सका. अधिकारियों ने बताया कि जवाहर रेड्डी ने गौशाला का निरीक्षण किया और फिर टीटीडी के तहत सभी मंदिरों द्वारा आवश्यक दूध और अन्य उत्पादों की जरूरत का गहन अध्ययन किया. जवाहर रेड्डी ने दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाए.  ये भी पढ़ें- तिरुपति मंदिर के गर्भगृह में ही लिखा है प्रसाद बनाने का तरीका, घी के इस्‍तेमाल का भी जिक्र, फिर कैसे हुआ ‘महापाप’ गौ सेवा बढ़ाने पर विशेष ध्यान टीटीडी के अधिकारियों ने कहा, “डॉ. जवाहर रेड्डी को न केवल एक कुशल एडमिनेस्ट्रटर माना जाता है, बल्कि उनका टेंपल सिटी के साथ करीब 40 साल पुराना जुड़ाव है. इसीलिए वो मंदिरों और टीटीडी जिनका प्रशासन देखता है उनके सभी निकायों की जरूरतों को समझते हैं. इससे टीटीडी को कई बदलाव करने में मदद मिली. विशेष रूप से प्रसादम (प्रसाद का लड्डू) की पेशकश सहित दैनिक अनुष्ठानों के संबंध में उन्होंने जो भी पहल की, वह सनातन धर्म के सिद्धांतों के अनुरूप थी. उन्होंने गौ सेवा को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया जो हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है.” ये भी पढ़ें- Explainer: कौन होते हैं लोकायुक्त, क्या है उनकी पॉवर्स, कैसे हुई इसकी शुरुआत  विभिन्न मंदिरों को दान में दीं गायें ‘द हंस इंडिया’ के अनुसार ‘गुडिको गोमाथा कार्यक्रम’ के तहत, टीटीडी ने अब तक आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक और नई दिल्ली के विभिन्न मंदिरों को 134 गायें और बछड़े दान किए हैं. इसके अलावा तिरुपति, तिरुचानूर और श्रीनिवासमंगापुरम में सभी टीटीडी मंदिरों को भी कवर किया है. मंदिर परिसर के गोसदन में देसी नस्ल की सात गायें रखी गई हैं. टीटीडी का मानना है कि गो आराधना को बढ़ावा देने के हिस्से के रूप में भक्तों को गायों की पूजा करने के लिए गौ तुलाभारम की व्यवस्था करने से देशभर में भक्तों को गोसंरक्षण के लिए प्रेरित करने में काफी मदद मिलेगी. ये भी पढ़ें- ये है भारत का सबसे छोटा ट्रेन रूट… 3 किमी का सफर, लगते हैं सिर्फ 09 मिनट, किराया है चौंकाने वाला कब बना था तिरुपति मंदिर तिरुपति बालाजी मंदिर का निर्माण कार्य लगभग 300 ईस्वी में शुरू हुआ था. कई सम्राटों और शासकों ने समय-समय पर इसके निर्माण में योगदान दिया. 18वीं शताब्दी के मध्य में, मराठा जनरल राघोजी प्रथम भोंसले ने मंदिर की प्रक्रियाओं की देखरेख के लिए एक समिति बनाई. 1933 में टीटीडी कानून के पारित होने के साथ, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) की स्थापना की गई. आज, टीटीडी बड़ी संख्या में मंदिरों और उनके सहायक मंदिरों की देखरेख और रखरखाव करता है. इसके अलावा टीटीडी के पास उन सभी विंग का प्रबंधन देखता है, जो उसके द्वारा वित्त पोषित हैं.  टीटीडी तीर्थयात्रियों के लिए तिरुमला और तिरुपति के लिए बस सेवायें, भोजन और आवास सहित विभिन्न सेवाएं प्रदान करता है. यह कतार प्रबंधन प्रणाली को बनाए रखता है. सिरोमुंडन और लड्डू के वितरण की भी व्यवस्था यही करते हैं. यह विभिन्न विवाह मंडप, डिग्री कॉलेज, जूनियर कॉलेज और हाई स्कूलों को चलाता है. Tags: Andhra paradesh, Chandrababu Naidu, Jagan mohan reddy, Tirupati balaji, Tirupati newsFIRST PUBLISHED : September 27, 2024, 16:30 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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