अब तक 4 जजों के खिलाफ लाया जा चुका है महाभियोग जानें क्या रहा उसका रिजल्ट

Justice Shekhar Yadav: पिछले दिनों विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में अपनी बयानबाजी को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव मुश्किलों में घिरते नजर आ रहे हैं. संसद में उनके खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी हो रही है. अगर ऐसा होता है तो है तो किसी जज पर महाभियोग चलाए जाने का कोई पहला मामला नहीं होगा. इससे पहले भी देश के चार जजों के खिलाफ महाभियोग लाया जा चुका है.

अब तक 4 जजों के खिलाफ लाया जा चुका है महाभियोग जानें क्या रहा उसका रिजल्ट
हाइलाइट्स जस्टिस शेखर कुमार यादव मुश्किलों में घिरते नजर आ रहे हैं संसद में उनके खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी हो रही है इससे पहले भी 4 जजों के खिलाफ महाभियोग लाया जा चुका है Justice Shekhar Yadav: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव पिछले दिनों विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में बयानबाजी को लेकर चर्चा में हैं. जस्टिस शेखर कुमार यादव अपनी बयानबाजी की वजह से मुश्किलों में फंसते नजर आ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने उनके बयान को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट से पूरी जानकारी मांगी है. वहीं, संसद में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी हो रही है. यदि यह महाभियोग संसद के दोनों सदनों से पारित हो जाता है, तो उन्हें पद छोड़ना पड़ेगा.  इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट में 16 दिसंबर से कुछ न्यायाधीशों के क्षेत्राधिकार में बदलाव किया जा रहा है. इनमें जस्टिस शेखर कुमार यादव का नाम भी शामिल हैं. गुरुवार देर शाम जारी सप्लीमेंटरी रोस्टर के मुताबिक जस्टिस शेखर कुमार यादव अब साल 2010 तक की पुरानी प्रथम अपीलों से जुड़े मामलों में सुनवाई करेंगे. 2011 के बाद की प्रथम अपीलों की सुनवाई जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र करेंगे.  ये भी पढ़ें- कौन हैं वो माइंड गुरु जिन्होंने डी गुकेश को बना दिया वर्ल्ड चेस चैंपियन, भारत के साथ पहले भी कर चुके हैं काम बयानबाजी पर सियासी बवाल जस्टिस शेखर कुमार यादव ने आठ दिसंबर को विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में न सिर्फ शिरकत की थी बल्कि इसमें जो भाषण दिया था, इस पर इन दिनों सियासी बवाल मचा हुआ है. कांग्रेस पार्टी ने जस्टिस शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. राज्यसभा सदस्य और सुप्रीम कोर्ट में सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग की मांग की और उसके बाद ही इसकी तैयारी शुरू हो गई. कपिल सिब्बल ने अपील की है कि महाभियोग के लिए सत्ता पक्ष के लोग भी साथ दें, क्योंकि एक जस्टिस का ऐसा भाषण न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाता है. अगर जस्टिस शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग लाया जाता है तो यह किसी जज पर महाभियोग चलाए जाने का कोई पहला मामला नहीं होगा. इससे पहले भी देश के चार जजों के खिलाफ महाभियोग लाया जा चुका है.   ये भी पढ़ें- Explainer: जानिए कितने तरह के होते है कुंभ, क्या है महा, अर्ध और पूर्ण कुंभ में अंतर जस्टिस वी. रामास्वामी जस्टिस वी. रामास्वामी पहले न्यायाधीश थे जिनके खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू की गई थी. उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव 1993 में लोकसभा में लाया गया था. लेकिन यह प्रस्ताव गिर गया था क्योंकि उसे जरूरी दो-तिहाई बहुमत हासिल नहीं हो सका,  क्योंकि सत्ताधारी कांग्रेस ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया था. सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने उस समय लोकसभा में न्यायमूर्ति रामास्वामी का बचाव किया था. जस्टिस रामास्वामी 1990 में पंजाब और हरियाणा के मुख्य न्यायाधीश थे तब उन पर आधिकारिक तौर पर अलॉट किए गए घर पर कब्जा किए जाने का आरोप लगा था.  ये भी पढ़ें- फीफा वर्ल्ड कप से कितनी मोटी कमाई करते हैं मेजबान देश, 2 साल पहले कतर को हुआ कितना फायदा  जस्टिस सौमित्र सेन कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस सौमित्र सेन देश के दूसरे जज थे जिन्हें महाभियोग का सामना करना था. उनके खिलाफ 2011 में राज्य सभा द्वारा महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था. जस्टिस सौमित्र सेन ने महाभियोग चलाए जाने के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल को अपना इस्तीफा भेज दिया था. वह पहले ऐसे न्यायाधीश थे जिन पर उच्च सदन द्वारा कदाचार के लिए महाभियोग का प्रस्ताव लाया गया था. उन्होंने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा था, “मैं भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में दोषी नहीं हूं. मैंने अपनी शक्तियों का कभी भी किसी भी रूप में दुरुपयोग नहीं किया है, लेकिन फिर भी मुझे महाभियोग से गुजरना पड़ रहा है.”  यह अकेला ऐसा मामला है, जो राज्यसभा में पारित होकर लोकसभा तक पहुंचा था. हालांकि, लोकसभा में इस पर वोटिंग होने से पहले ही सौमित्र सेन ने इस्तीफा दे दिया था. जस्टिस जे.बी. पारदीवाला 2015 में राज्यसभा के 58 सदस्यों ने गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस जे.बी. पारदीवाला के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया था. जेबी पारदीवाला ने आरक्षण के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. सांसदों ने अपने प्रस्ताव में अनुसूचित जाति और जनजाति के खिलाफ उनके अपशब्द कहे जाने पर आपत्ति जताई थी. उस समय उपराष्ट्रपति रहे  हामिद अंसारी के पास महाभियोग का प्रस्ताव भेजे जाने के बाद जस्टिस पारदीवाला  ने अपने जजमेंट से वह शब्द हटा लिए थे. ये भी पढ़ें- किम जोंग की खास ट्रेन में क्यों रखी जाती है स्मार्ट लड़कियों की ब्रिगेड, करती हैं क्या-क्या काम पी.डी. दिनाकरन भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग के आरोपों पर सिक्किम हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी.डी. दिनाकरन के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी की गई थी. लेकिन सुनवाई के कुछ दिनों पहले ही दिनाकरन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. दिनाकरन पर जमीन पर कब्जा करने और आय से अधिक संपत्ति के मामले थे. राज्यसभा के 75 सांसदों ने जस्टिस दिनाकरन के खिलाफ महाभियोग चलाने की मांग की थी. तब सभापति हामिद अंसारी को पत्र सौंपा गया था. हामिद अंसारी ने एक न्यायिक पैनल गठित किया था. जुलाई 2011 में अपने खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही दिनाकरन ने इस्तीफा दे दिया.  आगे नहीं बढ़े 3 प्रस्ताव इसके अलावा 2017 में राज्यसभा सांसदों ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हाईकोर्ट के जस्टिस सी.वी. नागार्जुन रेड्डी के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया गया था. मार्च 2018 में विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए एक मसौदा प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे. उन पर विपक्षी दलों ने दुर्व्यवहार का आरोप लगाया, लेकिन राज्यसभा के तत्कालीन सभापति ने उसे खारिज कर दिया था. इसके अलावा मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस एस.के. गंगले के खिलाफ भी महाभियोग की कार्यवाही की प्रक्रिया शुरू हुई थी, लेकिन पूरी नहीं हो पायी. स्वतंत्र भारत के इतिहास में आज तक एक भी जज के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है. यानी, किसी भी जज को महाभियोग के जरिए नहीं हटाया गया है.  ये भी पढ़ें- दुनिया को मिल सकता है छठा महासागर, तो क्या 2 हिस्सों में बंट जाएगा अफ्रीका महाद्वीप? समझिए पूरा प्रोसेस क्या है महाभियोग की प्रक्रिया हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज को पद से हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है. संविधान के अनुच्छेद 124(4) और अनुच्छेद 217 के तहत, जजों को पद से हटाने की प्रकिया बताई गई है. हालाकि यह प्रक्रिया काफी मुश्किल है, लेकिन यह फिर भी संभव है. अगर जज पर भ्रष्टाचार, गलत व्यवहार या क्षमता की कमी जैसे आरोप लगें तो महाभियोग जैसा कदम उठाया जा सकता है. किसी जज को हटाने के लिए प्रस्ताव को संसद के हर सदन यानी लोकसभा और राज्यसभा से विशेष बहुमत से पास होना चाहिए. विशेष बहुमत वास्तव में उस सदन की कुल सदस्यता का बहुमत और उस सदन के उपस्थित और मतदान करने वाले कम से कम दो-तिहाई सदस्यों का बहुमत होता है. Tags: Allahabad high court, Chief Justice, Chief Justice of India, Impeachment Notice, Impeachment ProposalFIRST PUBLISHED : December 13, 2024, 13:05 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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